Friday, 10 February 2017

सवालो के घेरे में हींदु धर्म

सवालो के घेरे में आ गया हींदु धर्म 

अगर किसी के पास ईस का कोई जवाब है तो जरूर दीजियेगा............
अनुसूचित जाति / जनजाति के वो सभी लोग जो
देवी देवताओं
को पूजते हैं, ध्यान दें और जवाब दें ।
1👉. एक भी ऐसे अछूत व्यक्ति का नाम बताएं
जिसका भला किसी देवी देवता अथवा भगवान ने
किया हो ?
👉संविधान लागू होने से पहले किसी एक
व्यक्ति को नौकरी दिलवाने वाले किसी देवता
का नाम बताये ?
👉किसी भी ऐसे देवता का नाम बताएं जिसने जाति
व्यवस्था के
खिलाफ संघर्ष किया हो ?
👉किसी भी ऐसे देवता का नाम बताये जिसने जाति
के कारण
अपमानित होते हुए किसी अछूत कहे जाने वाले
व्यक्ति को अपमानित होने से बचाया हो ?
👉किसी भी ऐसे देवता का नाम बताएं जिसने प्यास
से मरते हुए
किसी अछूत को पानी पिलाया हो ?
किसी भी ऐसे देवता का नाम बताये जो किसी
अछूत के घर
पैदा हुआ हो ?
👉किसी भी ऐसे देवता का नाम बताएं जिसने
द्विजों से
कहा हो कि अछूतों से इंसानों के समान व्यवहार
करो । बदले में मैं
ऐसे द्विजों को अपने परम धाम में जगह दूँगा ?
👉किसी भी ऐसे देवता का नाम बताओ जिसने कहा
हो कि जातीय
भेदभाव करने वाले व्यक्तियों को नर्क की भट्टी में
जलाया जायेगा या उसके पकौड़े तले जायेंगे या
उसको कीलों के
बिस्तर पर सुलाया जायेगा ?


👉किसी भी ऐसे देवता का नाम बताओ जिसने कहा
हो कि अगर कोई
किसी अछूत कहे जाने वाले इन्सान के स्पर्श अथवा
परछाई से
अपवित्र होने की बात कहता है तो मैं उसको
दण्डित करूँगा ?
👉किसी भी एक ऐसे देवता का नाम बताइए जिसने
किसी मरे हुए
ढोर का मांस खाते हुए किसी अछूत से कहा हो
कि तुम इन्सान
हो । तुमको ये सब खाने की आवश्यकता नही है ।
आओ मैं
तुमको गाँव में ले जाकर भोजन करवाता हूँ ?
👉किसी भी ऐसे देवता का नाम बताइए जिसने गाँव
के बाहर
बस्ती बनाकर रहने वाले किसी अछूत से कहा हो
कि तुम
भी बाकि सभी आदमियों की तरह हो आओ मैं
आपको गाँव में रहने
के लिए स्थान दिलवाऊंगा ?
👉आप कोशिश करिए,आपको इनमे से किसी भी
सवाल का जवाब
नही मिलेगा
👉क्योंकि पहली बात तो ये सब
काल्पनिक हैं ।
काल्पनिक होने के नाते ये कुछ भी नही कर सकvते हैं
। जिनका ये
भला करते हैं, उन्होंने इनकी रचना की है ।
 👉 अपनी
बुद्धि लगाओ
और विचार करो ।
संस्कृत से PHD. किया हुआ एक दलित मंदिर में
पूजा नहीं करा सकता,
👉लेकिन पांचवी जमात फेल एक ब्राह्मण को सभी
अधिकार हैं,
जो 5000 हजार सालों से चला आ रहा है , ये
👉कैसा आरक्षण है...
अपने इस धंधे में किसी गैर जाति को प्रवेश नहीं
करने दिया,ये कैसा आरक्षण है....?
👉भारत के मंदिरों में अथाह धन जमा है,
जो सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मणों के एकाधिकार में
है और धर्म के नाम पर ब्राह्मण अपने अय्याशी के
लिए प्रयोग करता है..
👉इस धन से दलित और गरीब की मदद किया जा
सकता है किन्तु नहीं
दलित आज भी दलित ही रह गया..
👉एक बात और बताना चाहूँगा कि यह धन किसी
और का नहीं ये धन हमारे पूर्वजों का है जिसे इन
ब्राह्मणों ने
छल और कपट से हमसे छीन लिया..
👉 आज से हम सब को यह प्रण लेना होगा कि हम ना
तो मंदिर जायेगे और ना ही कोई दान मंदिर में
करेंगे...
👉इन मंदिरों ने हमें कुछ नहीं दिया,
देने वाले तो हमारे "बाबा साहब डाॅ○ भीम
राव अंबेडकर जी" हैं जिन्होंने हमें शिक्षा और
समानता का अधिकार दिलवाया.
👉इस मैसेज को हर दलित भाईयों तक पहुंचाया
जाये, जिससे हमारा समाज अंजान है
और ब्राह्मणों (लुटेरे, धुतॆ, कामचोर, नीच, अय्याश)
के छल कपट नीति को जान सके


गीता के अंदर नौवें अध्याय के 32वें श्लोक में लिखा है
"माँ हि पार्थ व्यापाश्रित्य येअपिस्यु पापयोनयः।
स्त्रियों वैश्यस्तथा शुद्रास्ते अपि यान्ति परां गतिम्।।"

यानि :-
हे अर्जुन!स्त्री,वैश्य,शुद्र तथा पाप योनि-चाण्डालादि जो कोई भी हो, वे मेरे शरण होकर परम गति को ही प्राप्त होते है।

यानि
ब्राह्मण और क्षत्रिय गीता से डरे बगैर मुक्त होकर मस्ती करे।
और हम और आप इस ब्राह्मणी कुचक्रयुक्त गीता से डरते रहे।

अत्त दीपो भव

वही पर गौतम ने किसी को या कही पर भी ये नहीं कहा कि
गौतम के शरण में आओ?
उन्होंने कहा कि
ज्ञान के शरण में जाओ और बोद्धि प्राप्त करो।
यानि
बुद्धम शरणम गच्छामि।

गौतम ने कभी नहीं कहा कि बुद्ध धर्म के शरण में जाओ?
उन्होंने कहा कि धम्म यानि शील,समाधी और प्रज्ञा के शरण में जाओ।
यानि
धम्मम शरणम गच्छामि

गौतम ने कभी नहीं कहा कि मेरे मार्ग या भिख्खू के शरण में आओ?
उन्होंने कहा कि संघम यानि (संघ) जिसके पास ज्ञान का भंडार होता था उसे संघ कहा जाता था वैसे संघ के पास जाओ।
यानि
संघम शरणम गच्छामि



🔴मौलिक जानकारी 🔴

 जानकारी के अभाव मे शूद्र लोग अपने पूर्वज के हत्यारा का जाप करते है।
    जिस रामायण मे जात के नाम से गाली दिया गया है, उसी रामायण को शूद्र लोग रामधुन  ( अष्टयाम ) मे अखण्ड पाठ करते है, और अपने को गाली देते है । और मस्ती मे झाल बजाकर निम्न दोहा पढते है :-

श्री राम जय राम जय जय राम ।
श्री राम जय राम जय जय राम ।।

जे बरनाधम तेलि कुम्हारा।
स्वपच किरात कोल कलवारा।।
             नारी मुई गृह संपत्ति नासी ।
             मूड़ मुड़ाई होहिं संयासी ।।
                     (उ•का• 99ख  03)

श्री राम जय राम जय जय राम ।

       ते बिप्रन्ह सन आपको पुजावही।
       उभय लोक निज हाथ नसावही।

बिप्र निरक्षर लोलुप कामी।
निराचर सठ बृषली स्वामी ।।
         (उ•का•99ख 04)

     श्री राम जय राम जय जय राम ।

शूद्र करहीं जप तप ब्रत नाना।
बैठी  बरासन  करहिं  पुराना।।
     सब नर कल्पित करहिं अचारा।
      जाइ न बरनि अनीति  अपारा।।
             ( उ• का • 99 ख 05)

श्री राम जय राम जय जय राम ।

मै खल मल संकुल मति नीच बस          मोह।
हरिजन द्विज देखे जरऊ करऊ विष्णु द्रोह।।   (उ• का• 105 क )

श्री राम जय राम जय जय राम ।

       अधम जाति मै बिधा पाए।
       भयऊँ जथा अहि दूध पिआएँ।।
              (उ• का•105 क  03 )

श्री राम जय राम जय जय राम ।

आभीर ( अहिर) जमन किरात खस। स्वपचादि     अति    अधरूप    जे।।
              (उ• का• 129  छं•01 )

श्री राम जय राम जय जय राम ।

काने खोरे कूबरे कुटिल कुचली जानि।। (अ• का• दोहा 14)

सति हृदय अनुमान किय सबु जानेउ सर्वग्य।
कीन्ह कपटु मै संभु सन नारी सहज अग्य।।(बा • का• दोहा 57क)

श्री राम जय राम जय जय राम ।

जदपि जोषिता नहि अधिकारी ।
दासी मन  क्रम  बचन  तुम्हारी ।।
        (बा• का• दोहा 109  /01)

श्री राम जय राम जय जय राम ।

ढोल गवार शूद्र पशू नारी ।
सकल ताड़ना के अधिकारी ।।
    ( सु•का•  दोहा 58/ 03)

पुजिए   बिप्र  शील  गुण हीना।
शूद्र न पुजिए गुण ज्ञान प्रविना।।

श्री राम जय राम जय जय राम ।
श्री राम जय राम जय जय राम ।।

    इस प्रकार से अनेको जगह जाति एवं वर्ण के नाम रखकर अपशब्द बोला गया है ।पुरे रामायण मे जात के नाम से गाली दिया गया है,
     इसी रामायण मे बालकाण्ड के दोहा 62  के  श्लोक 04  मे कहा गया है, कि जाति अपमान सबसे बड़ा अपमान है

जद्धपि जग दारूल दुख नाना।
सब ते जाति कठिन अवमाना।।

 इतना अपशब्द लिखने के बाद    भी हमारा समाज( शूद्र , sc, st, obc ) रामायण को सीने से लगा कर रखे हुए है, और हजारो , लाखो रूपये खर्च कर रामधुन  ( अष्टयाम ) कराते है ।कर्ज मे डूबे रहते है ।बच्चे को सही शिक्षा नही देते है ।और कहते है कि भगवान के मर्जी है ।
           कुछ लोग पढ़ने-लिखनेके पश्चात (बाबासाहब डाॅ भीमराव अंबेडकर जी के लिखे गए संविधान के आधार पर )नौकरी पाते है, और कहते है, कि ये सब राम जी के कृपा से हुआ है।
          यदि आप राम  ( भगवान ) के कृपा से ही पढे लिखे और नौकरी पाए तो , आपके पिताजी ,दादाजी, परदादाजी ,लकरदादाजी इत्यादि भी पढे लिखे होते नौकरी पेशा मे होते !!
        यदि सब राम  (  भगवान )
के  कृपा   से  ही  हुआ   है, तो  आप बताइए कि  अंग्रेज़ के राज के पहले एक    भी  शूद्र   ( sc, st, obc and minority ) पढ़ा लिखा विद्वान बना हो?
      साथियो, हम (शूद्र sc, st, obc and minority ) जो भी कुछ है, भारतीय संविधान के बल पर ही है।
       इसलिए हमसब का परम कर्तव्य बनता है कि भारतीय संविधान की रक्षा करें।
         क्योंकि    भारतीय    संविधान अभी    खतरे   मे है , इसे     ब्राह्मणी  (सवर्णो का ) संगठन  (RSS)  ध्वस्त करने पर लगा हुआ है ।और हमलोग हाथ पर हाथ रख कर सोय हुए है ।ब्राह्मणो के षडयंत्र मे फंसकर धर्म कार्य  (अंधभक्ति ) मे लगे हुए है ।
          ( विशेष जानकारी के लिए RSS संस्थापक  गोलवरकर द्वारा लिखित पुस्तक बंच आॅफ थाॅट्स की अध्ययन किया जाए, जिसमे लिखा है कि भारतीय संविधान जहरिला बीज है, इसे समाप्त कर देना चाहिए )

      साथियो हमारा सबसे बड़ा धर्म  ( कर्तव्य ) है , भारतीय संविधान की रक्षा करना । 


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