Tuesday 14 February 2017

चुनावी कहानी

"चुनावी कहानी"

टेलीविजन पर चुनावी कार्यक्रम चल रहा था। दो सौ से ज्यादा कॉलेज के बच्चे बैठे थे। एंकर ने ओपिनियन पोल कराया। आप में से कितने लोग बीजेपी को वोट करेंगे ? 70% बच्चों ने जोश से हाथ उठा दिया। एंकर का चेहरा ख़ुशी से लाल हो गया (जो पहले से लाल, गोल मटोल, स्मार्ट और आर्यन था) उत्साह में उसने पूछा कि कितने लोग सपा को वोट करेंगे ? 15-20 विद्यार्थियों ने हाथ उठा दिए। अब एंकर की ख़ुशी थोड़ी और बढ़ी।और उसने आखिरी सवाल पूछा कि कितने लोग बसपा को वोट करेंगे? विद्यार्थियों में से एक ने भी हाथ नहीं उठाया। ख़ुशी से रक्त रंजित लाल हो चुकी एंकर अब उत्साह से लबरेज थी। उसके शरीर के जिस जिस अंग में बांछे थीं, वो पूरी तरह से खिल चुकी थीं। वह उत्साह में बसपा के प्रवक्ता ठाकुर सुधींद्र भदौरिया की ओर मुखातिब हुई। पूरे जोशो खरोश और उत्साह से पूछा कि भदौरिया साहब अब बताइए, कहां है आपकी पार्टी ? भदौरिया साहब को पसीने नहीं छूटे। वह बौखलाए भी नहीं। वह विद्यार्थियों की ओर मुखातिब हुए। एक सवाल पूछा कि आप में से कितने स्टूडेंट दलित हैं ? ऑडिएंस में सन्नाटा पसर गया। एक भी हाथ न उठा। एंकर का चेहरा गुलाबी सुर्ख लाल से पीला पड़ने लगा था। इसी बीच भदौरिया ने एक सवाल और उछाल दिया कि आपमें से पिछड़े लोग कितने हैं ? इस पर दो विद्यार्थियों ने हाथ ऊपर उठाए। जलकर राख हो रही एंकर ने किसी तरह अपने को सम्भाला और भदौरिया के ऊपर करीब चींखते हुए कहा कि हम जाति पूछकर स्टूडेंट्स को नहीं बुलाते। आप जातिवाद कर रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट ने जाति पर वोट माँगने पर रोक लगा दी है ब्लॉ ब्लॉ ब्लॉ... भदौरिया साहब ने मुस्कुराते हुए कहा कि इस देश की 80% आबादी दलित पिछड़ों की है। 200 विद्यार्थियों में सिर्फ 2 पिछड़े वर्ग के है और दलित एक भी नहीं। आपने किस तरह का ऑडिएंस बिठाया है यह जानने के लिए मैंने पूछा। वोटिंग का अधिकार तो भारत के संविधान ने 80% दलितों पिछड़ों को भी दिया है!

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