Sunday, 26 February 2017

सारे पाप धोकर अपने आप को पवित्र कर लिया

👉👉👉भाइयों आज महाशिवराति के पर्व पर लाखों लोगों ने गंगा मे सारे पाप धोकर अपने आप को पवित्र कर लिया उसके बाद शेष लोग शिवलिंग पर जल चडाकर पवित्र हो जाएंगे। तब हर वर्ष यह पर्व मनाने की क्या आवश्यकता है। जब सभी पवित्र हो गए तो हर वर्ष अपवित क्यों हो जाते हैं सोचनीय विषय है ।


 दूसरा विषय यह है कि यह दलित- पिछड़े लोग ही पवित्र क्यों होना चाहते हैं। क्या यही लोग पाप करते है सवर्ण नहीं क्योंकि आज मैंने जो सर्वे किया उसमें 95 प्रतिशत लोग दलित पिछड़े थे जो कावर लेकर जा रहे थे । जबकि 95%   अत्याचार यानी कि पाप सवर्ण लोग करते है और मन्दिर में बैठा उनका ही पुजारी दान के लाखों रुपए भी इकट्ठा कर रहा है फिर भी इन पाखंण्डियो का ढोग दलित पिछडो की समझ मैं नहीं आ रहा।

👉👉👉अपनी सोच बदलो और इन पाखंण्डियो के पाखंण्ड से बचो खुद शिछित बनो और अपने बच्चों को शिछित करो।

"मन्दिर नहीं स्कूल बनाओ परिवर्तन आ जायेगा,  स्वयं पढ़ें बच्चों को पढ़ाये रोजगार मिल जाएगा"                            

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कहते हैं उसके (भगवान) इज़ाज़त के बिना पत्ता भी नहीं हिलता।तो ऐसा शोषण करने का दिमाग सवर्णो में ईश्वर देता था क्या ? यदि नहीं भी देता था, तो ईश्वर ने ऐसा कुछ क्यों नहीं किया जिससे हमारे पूर्वजों के हालात में सुधार आता।

👉जब ऐसे भगवान के रहते हुए भी हमारे पूर्वजो का बहुत शोषण हुआ तो फिर हमें ऐसे भगवन की जरुरत नहीं। हमारा भगवन सिर्फ एक है डॉ आंबेडकर। उन्होंने हमें मन्दिरों में जाने का हक़ तो दिला  दिया था पर साथ में ये भी कहा था कि आत्मा परमात्मा में विश्वास मत करो (बाबा साहेब की शूद्रों के लिए 22 प्रतिज्ञाओं को पढ़े) इसलिए शूद्रों (SC ST & OBC) को मंदिरों में जाने से मना किया था। सिर्फ पढ़ो लिखो संघर्ष करो , संगठित रहो, फिर तुम्हे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

👉 इसलिए देवी देवताओँ का त्याग करो। जो देवी देवता हमारे लिए या हमारे पूर्वजों के लिए कुछ नहीं कर पाए वो तुम्हारा कुछ भी नहीं कर सकते।
🙏ऐ भारत के गरीबों, दलितों, व शोषितो...

🖕तुम्हारी मुक्ति का मार्ग धर्मशास्त्र व मंदिर नहीं हैं बल्कि तुम्हारा उद्धार उच्च शिक्षा, व्यवसायी बनाने वाले रोजगार तथा उच्च आचरण व नैतिकता में निहित है ।
🖕तीर्थयात्रा, व्रत, पूजा पाठ व कर्मकांड़ों में कीमती समय बर्बाद मत करो।
🖕धर्मग्रंथों का अखण्ड पाठ करने, यज्ञों में आहुति देने व मंदिरों में माथा टेकने से तुम्हारी दासता दूर नहीं होगी, तुम्हारे गले में पड़ी रुद्राक्ष, तुलसी की माला गरीबी से मुक्ति नहीं दिलाएगी। 🖕काल्पनिक देवी देवताओं की मूर्तियों के आगे नाक रगड़ने से तुम्हारी भुखमरी, दरिद्रता व गुलामी दूर नहीं होगी।
🖕अपने पुरखों की तरह तुम भी चिथड़े मत लपेटो, सड़ा गला अनाज खाकर जीवन मत बिताओ, दड़बे जैसे घरों में मत रहो और इलाज़ के अभाव में तड़प तड़प कर जान मत गंवाओ।
🖕भाग्य व ईश्वर के भरोसे मत रहो, तुम्हें अपना उद्धार खुद ही करना है। 👉धर्म मनुष्य के लिए है, मनुष्य धर्म के लिए नहीं और जो धर्म तुम्हें इन्सान नहीं समझता वह धर्म नहीं अधर्म का बोझ है। जहाँ ऊंच- नीच की व्यवस्था है, वह धर्म नहीं गुलाम बनाये रखने की साज़िश है !!
--- भारत रत्न डा० भीमराव अम्बेडकर

ना रब ने दिया है
ना शंकर ने दिया है
मुझे मेरी जिंदगी जीने हक़
सिर्फ....

बाबा साहेब आंबेडकर ने दिया है।
दोस्तों हमारे और आपके शरीर का एक एक खून का कतरा बाबा साहेब का दिया हुआ है तथा हम इसके रीनी है हम इसका रिन तो नहीं चुका सकते हैं लेकिन इनके मिशन को तो आगे ले जा सकते हैं

 दोस्तों मैं बाबा साहेब के मिशन के लिए पूरे निस्वार्थ भाव से समर्पित हो और आखरी सांस तक समर्पित रहूंगा

जय भीम जय भारत जय मूल निवासी जय संविधान सत सत नमन परम पूज्य बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर को

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