Sunday 26 February 2017

मूलनिवासियों को आरक्षण समाप्त होना चाहिए

मोहन बैद्य जो आर एस एस के चिन्तक है उन्हें इस बात से परेशानी है कि इस देश के मूलनिवासियों को जो आरक्षण मिल रहा है बह समाप्त होना चाहिए ।आरक्षण के स्थान पर पिछडी जातियों को अर्थात् दलित और अन्य पिछडी बर्गो को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए ।इस सम्बन्ध में बैद्य जीने बाबा साहब को संदर्भित किया है ।बैद्य जी को लगता है संविधान की जानकारी नहीं है ।बैद्य जी और और उनके संगठन आर एस एस को दलितों पिछडों की शासन सत्ता में भागीदारी रास नही आ रही है ।बैद्य जी आरक्षण कोई भीख नही बल्कि संविधान प्रदत्त अधिकार है और संविधान की धारा १५(४)और १६(४)के आधार पर संविधान प्रदत्त अधिकार है ।संविधान की धारा १५(४)और १६(४) के अनुसार दलित पिछडी जाति के लोगों को प्रयाप्त प्रतिनिधित्व शासन प्रशासन में अर्थात् आबादी के अनुपात में मिलना चाहिए ।दलितों पिछडों और अल्पसंख्यकोंकी भागीदारी ८५%होनी चाहिए ।२०११के जातिगत आकडों को जारी किया जाय और जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी शासन सत्ता में सुनिश्चित की जाय ।बैद्य जी दलितों पिछडों को जिस अच्छी शिक्षा देने की बात आप कह रहे हैं ।उत्तर प्रदेश में अच्छी शिक्षा का नमूना प्रायमरी शिक्षाप्रयमरी बिद्यालयों में आकर देख सकतें हैं ।सत्र समाप्त होने जा रहा है लेकिन अब तक सरकार किताबें उपलव्ध नही करायी पायीं हैं ।प्रायमरी और सरकारी जूनियर बिद्यालयो में प्रयाप्त सुयोग्य अध्यापक नहीं हैं अधिकांश दलितों पिछडों और अल्पसंख्यको के बच्चे इन्हीँ बिद्यालयो में पढतें हैं ।
आप इसके लिए प्रदेश सपा सरकार का दोषारोपित कर सकतें हैं लेकिन शिक्षा समवर्ती सूची का बिषय है ।अर्थात् केन्द्र सरकार इसके लिए बराबर की जिम्मेदार है ।आजादी के ६९बर्षों के बाद भी पिछडी जातियों जिनकी आबादी ५४%है शासन और प्रशासन में भागीदारी ५%है और दलित जातिया जो दिन रात आपकी आंखों में चुभती हैं उनकी भागीदारी केवल ७%है ।आज भी सवर्ण जातियां जिनकी  आबादी मात्र १५%है उनकी भागीदारी ८८%है ।इन्ही सवर्ण भाइयों के पास ९४%जमीन और ९६%ब्यापार है ।अल्पसंख्यक संख्यक मुसलमान की स्थिति और भी दयनीय है ।सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार मुसलमान भाइयो की स्थिति दलित और पिछडी जातियों से भी बदतर है ।इसी कारण आपका संगठन देश में धार्मिक उन्माद फैलाने का काम करता है ।किसी राष्ट्र के विकास के पांच मानक होतें हैं ।शिक्षा संडक स्वास्थ्य सुरक्षा और रोजगार ।देश में शिक्षा सडक स्वास्थ्य सुरक्षा और रोजगार की स्थिति बहुत ही दयनीय है ।

अंग्रेज कहा करतें थे कि भारतीयों को आजादी नही दी जा सकती क्योंकि भारतीयों में शासन चलाने की योग्यता नही हैं और आप भी यही बात कह रहे हैं कि दलितों पिछडों को भागीदारी नहीं दी जा सकती क्योकि दलितों पिछडों में शासन प्रशासन चलाने की योग्यता नहीं है ।इसका मतलब आप अंग्रेजों की भाषा बोल रहे हैं ।पहलें हम अंग्रेजों के गुलाम थेऔर आज हम  सवर्णों के गुलाम हैं ।आप आरक्षण का बिरोध करतें हैं अर्थात् भारत के संबिधान का बिरोध करतें हैं ।अलगाववादी भी संविधान का बिरोध करतें है मतलव आप इस देश का एक और बिभाजन कराना चाहतें हैं ।आरक्षण बिरोध का मतलव संबिधान का बिरोध और संबिधान का बिरोधी का मतलव राष्ट्र द्रोह ।जय भीम जय   मूलनिवासी        नमो बुद्धाय

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