Sunday, 26 February 2017

लात मरता हु

लात मरता हु


जिस धर्म में भगवान विष्णु ने सुवर का अवतार लिया हो ,फिर उसी धर्म में सुवर पलने वाले से छुवा-छूत  भेद भाव  क्यों  ?
जिस धर्म में बै ल को भैस को , गधे  को ,बकरे को उल्लू को भगवान का दर्जा दिया जाता हो , फिर उसी धर्म में  एक मनुष्य को दूसरे मनुष्य से भेद भाव क्यों ?छुवा छूत की  भावना क्यों  ?
क्या यही है धर्म ?
क्या एक विशेष वर्ग की तुलना इन पशुओ से भी गिरी   हुई है ?
क्या कोई बता सकता है की मैं क्या गर्व करू , की मैं  हिन्दू  हु  ,
जिस धर्म में अपने ही लोगो को छोटी जाती का मन कर मंदिर में नहीं घुसने दिया जाता है ,
क्या मैं इस बात पे गर्व करू
खैर मुझे हिन्दू धर्म पे नहीं लेकिन मुझे दलित वर्ग का होने पे  गर्व है, जहा बाबा साहब जैसे व्यक्तित्व का जन्म हुवा हो ।
 ऐसे धर्म को लात मरता हु
जीस धर्म ने हमारे पूर्वजों को अपमान भरी जिंदगी जीने पे मजबूर किया , उन्हें जानवरो से भी बत्तर जिंदगी जीने पे मजबूर किया मैं उस धर्म  को ख़त्म कर दूंगा ये मेरा मनुवादियो से वादा रहा, जिस मंदिर में हमारा प्रवेश वर्जित था मैं उस मंदिर की एक दिन तोड़ दूंगा जिसे जो करना है कर ले         

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