Sunday 26 February 2017

शिवरात्रि की मुबारक देने वालों को मत रोको

शिवरात्रि की मुबारक देने वालों को मत रोको

आज शिवरात्रि है लोग सोशल मीडिया पर मुबारकवाद भेज रहे हैं तो हमारे बहुत से लोग उन्हें ऐसा करने से मना कर रहे हैं।

अब समझने की बात यह कि हमारे लोग शिवरात्रि की मुबारकवाद क्यों भेज रहे हैं और हम लोग उन्हें क्यों रोक रहे हैं ?

मैं सबसे पहले यह पूछना चाहता हूँ यदि पिसाई के लिए चक्की में गेंहूँ डालेंगे तो अन्दर से आटा गेंहूँ का ही निकलेगा या मक्की का ?

       अब स्वभाविक है कि सभी का उत्तर यही होगा की गेंहूँ डालेंगे तो आटा भी गेंहूँ का ही निकलेगा।
  
 अब मैं जानना चाहता हूँ कि जो लोग शिवरात्रि की मुबारकवाद भेज रहे हैं उनको कभी हम लोगों ने हमारे साथ बैठाकर बाबा साहब अम्बेडकर का मिशन समझाने का प्रयास किया, उनको महामानव ज्योति राव फुले की लिखी हुई गुलामगिरी पुस्तक पढ़ने को दी या फिर मनुस्मृति के बारे में विस्तार से समझाया या फिर बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं को घर घर पहुंचाया।

हम लोग सोशल मीडिया के हीरो बनकर युद्ध जीतना चाहते हैं जो कि मुमकिन नहीं है।
      आपको मैं बताना चाहता हूँ की मीर्च पीसने के बाद यदि चने की दाल पिसेंगे तो उस दाल से प्राप्त होने वाला बेसन मिर्च का असर जरूर दिखाएगा, वैसे ही यदि धनिया पीसने के बाद दूसरा कुछ भी पिसेंगे तो उसमें धनिये की सुगन्ध जरूर आएगी।

     जो लोग सोशल मीडिया पर या तो नये जुड़े हैं या मिशनरी पोस्ट पढ़ते कम हैं या उनको ठीक से समझ नहीं आया है वे ही लोग शिवरात्रि की मुबारकवाद भेज रहे हैं।

     इन्हें रीमूव मत करो कुछ दिनों का मौका दो और उन्हें समझाने का प्रयास करो,सोशल मीडिया के अलावा भी समझाने का प्रयास करो।

पीढ़ी दर पीढ़ी जो संस्कार हमारे समाज में डाले गए हैं तो स्वभाविक है कि उनका असर तो देखने को मिलेगा लेकिन जो साथी लम्बे समय से सोशल मीडिया पर ठीक से पोस्ट पढ़ रहे हैं उनमें से किसी ने भी शिवरात्रि की मुबारकवाद नहीं भेजी हैं।

बाबा साहब अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को घर घर जब तक हम नहीं पहुंचाएंगे तब तक अच्छा परिणाम मिलना मुश्किल है।

बाबा साहब को पढो, आगे बढ़ो।

    बी एल बौद्ध  

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