Friday 10 February 2017

महाराष्ट्र मे दो शिवाजी है

महाराष्ट्र मे दो शिवाजी है ।मतलब शिवाजी एक ही है पर उनका इतिहास दो अलग अलग लोगोने अलग अलग तरिकेसे बताया है।राष्ट्रपिता फुलेने सर्वप्रथम शिवाजी महाराज की समाधी रायगड पर ढूंडकर निकाली और जब वे समाधी को साफ करकर उसकी पुजा करने लगे तो एक ब्राह्मण ने उपर आकर समाधी पर लाथ मारकर जो फुल फुलेसाहब ने समाधीपर चढाये थे उनको बिखेर दिया। उसने फुलेसाहब को मारा और पीटा और गालीगलौच भी की।शिवाजी को भी उसने गाली दी और कहा "हे कुनबट(कुर्मीयोंके लिये गाली के तैारपर महाराष्ट्र के ब्राह्मण ये शब्द इस्तेमाल करते है) वो शिवाजी क्या भगवान था जो तु उसकी पुजा कर रहा है ।वो शुद्र था । " फुलेसाहब को शिवाजी का ये अपमान सहन नही हुआ और उन्होने फिर हर साल शिवाजी की जयंन्ती मनाने की और उसके द्वारा शिवाजी के इतिहास को शुद्रो (आज के ओबीसी ) और अतिशुद्रो (एससी/एसटी)तक पहुचाने की ठानी ।इसलिये उन्होने छत्रपती शिवाजी महाराज का पवाडा लिखा जिसमे उन्होने शिवाजी महाराज को कुलवाडीभुषण (खेतीहरोंका गौरव) इस पदवी से गौरवांकीत किया।शिवाजी को उन्होने शद्र अतिशुद्रोंका राजा बताया और ब्राम्हणोने शिवाजी के साथ क्या बदामाशी की ये बात भी उन्होने बतानी शुरु की(संदर्भ- महात्मा फुले समग्र वांग्मय महाराष्ट्र शासन द्वारा प्रकाशित)
जब फुलेसाहब शिवाजी महाराज के सच्चे इतिहास को लोगोके सामने ला रहे थे तब तिलक जैसे ब्राह्मनोको इसका खतरा महसुस हूआ। उसको ऐसा लगा की लोग अगर शिवाजी महाराज के इतिहास को जानेन्गे तो वो ब्राह्मनी प्रभुसत्ता को नकार देंगे जैसा शिवाजी ने कीया था । केवल इतनाही नही ब्राह्मनोने शुद्र होणे की वज्ह से शिवाजी महाराज का जो अपमान इतिहास मे किया था उसका बदला भी लेंगे।इसलिये उन्होने शिवाजी महाराज के झूठे इतिहास की रचना की और लोगोंके सामने उसे प्रस्तुत किया ।इस झुठे इतिहास मे ब्राह्मनोने शिवाजी महाराज को गोब्राह्मन प्रतिपालक(गाय और ब्राह्मनोंको पालनेवाला) बताया और एक ब्राह्मण को शिवाजी महाराज का झुठमुठ गुरु बताया । ब्राह्मनोनेही शिवाजी महाराजको मुस्लीमविरोधी बताया।प्रचारतंन्र ब्राह्मनो के हाथ मे होने की वजहसे ब्राह्मनोद्वारा बताया गया शिवाजी ही लोगोंके पास पहूचा। फुलेसाहब ,शेजवलकर,बेन्द्रे,विचारे,मा म देशमुख ईन बहुजन समाज के इतिहासकारोंद्वारा लिखा गया शिवाजी का सच्चा इतिहास लोगोंतक पहुचाही नही।
बाल ठाकरे ये ब्राह्मनो द्वारा बताया गये शिवाजी महाराज को माननेवाले थे
Pushpraj Dahiwale

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