Monday, 27 February 2017

ओबीसी के लिए GOOD NEWS

52% ओबीसी के लिए GOOD NEWS सभी OBC भाइयों को जरूर पढ़ाएं...


केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय पिछड़ावर्ग आयोग (एनसीबीसी) को वह संवैधानिक दर्जा नहीं देगी। यह जानकारी केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दी गई है। सांसद लक्ष्मी नारायण यादव ने लोकसभा में यह जानना चाहा था कि क्या तमाम अन्य आयोगों को जिस तरह संवैधानिक दर्जा प्राप्त है, वैसा ही दर्जा पिछड़ावर्ग आयोग को दिया जाएगा। इस पर मंत्रालय का जवाब है कि हालांकि सरकार के पास इस संबंध में कई अनुरोध आए हैं, लेकिन ऐसे अनुरोधों पर विचार करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है।

यह प्रश्न और उत्तर लोकसभा की साइट पर मौजूद है, प्रश्न संख्या 2593 है और इसका जवाब 10 मई 2016 को दिया गया है। सांसद लक्ष्मी नारायण यादव ने लोकसभा में यह भी जानना चाहा था कि क्या ओबीसी के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास के लिए कोई कमेटी गठित की जाएगी। सरकार का जवाब है कि नहीं। संबंधित राज्य मंत्री का जवाब था कि ओबीसी के विकास के लिए किसी और कमेटी के गठन का सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है।

गौरतलब है कि मंडल कमीशन के मुताबिक देश की 52% आबादी ओबीसी है और प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में खुद को बार- बार ओबीसी और नीची जाति का बताया था। ऐसे में ओबीसी के विकास के लिए किसी भी कमेटी के गठन से सरकार का इनकार आश्चर्यजनक है।


गौरतलब है कि मोदी गुजरात में वैश्यों की एक उपजाति मोढ घांची से हैं जो सामान्य वर्ग में आती थी, किन्तु अपने मुख्मंत्रित्व काल में इस उपजाति को ओबीसी में शामिल करने वाला शासनादेश जारी करके शामिल किया और ओबीसी को गुमराह करने के लिए RSS ने मोदी को ओबीसी का व्यक्ति होने का इस कदर प्रचारित किया कि अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता पर काबिल हो गया।

सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आधारित गिनती नहीँ कराने का हलफनामा मोदी ने इसीलिए दिया क्योंकि मोदी ओबीसी की नस्ल का है ही नहीं। अभी अभी क्रीमीलेयर की परिभाषा बदल कर ओबीसी को नया तोहफा देते हुए मोदी ने साबित भी किया कि वह ओबीसी की नस्ल के नहीं हैं, किन्तु फिर भी ओबीसी है कि वह ब्राह्मणों की अवैतनिक फोर्स का होने में अपने को गौरवान्वित महसूस करता है।

16 नवंबर 1992 को इन्द्रा साहनी के केस में 52% ओबीसी को 27% ही नौकरी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिनिधित्व दिया गया , इस फैसले से नाराज होकर ओबीसी कहीं आन्दोलन न कर बैठे इसलिए ठीक 20वें दिन 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा कर ओबीसी को डायवर्ट करके भाजपा ने सत्ता प्राप्त कर ली और 52% को संतुष्ट कर दिया। यह अलग बात है कि मंदिर/मस्जिद के आन्दोलन में सबसे ज्यादा मरने वालों की संख्या ओबीसी की ही थी। आज तक आरक्षण की लड़ाई सबसे ज्यादा SC ने ही अपने लिए ही नहीं अन्य वर्गों के लिए भी लड़ी है । इसीलिए 16 नवंबर के फैसले में ही सुप्रीम कोर्ट ने S.C., S.T. को सबक सिखाने के उद्देश्य से ही इनके पदोन्नति में आरक्षण को शर्तों के अधीन कर दिया। बाबा साहब डा० अम्बेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसंबर पर ही मंदिर/मस्जिद का मुद्दा खड़ा करके S.C.,S.T. के आन्दोलन को भी कुछ हद तक डायवर्ट करने की कोशिश की गई। हमेशा याद रखो कि आरक्षण नौकरी का नहीं प्रतिनिधित्व के अधिकार का मामला है। वैसे भी अब न्यायपालिका द्वारा यह व्यवस्था कर दी गई है कि आपकी योग्यता चाहे जितनी हो किन्तु अनारक्षित सीट पर अब दावा नहीं कर सकोगे।

72 करोड़ ओबीसी जागो

2 comments:

  1. आ गये अच्छे दिन राम राज्य भक्तों जयकारा लगाओ ....हर हर मोदी....नौकरी हर मोदी*


    *पिछड़ों को DOCTOR नहीं बनने देगी मोदी सरकार, मेडीकल की पहली सूची में OBC को मिला सिर्फ 2 फीसदी आरक्षण*

    *भक्तों करो नागिन डांस*

    14 July, 2017 नेशनल जनमत ब्यूरो

    नई दिल्ली। नेशल जनमत ब्यूरो

    खामोश रहकर जुल्म सहने वाली कौमों का इतिहास तो छोड़िए वर्तमान भी खत्म कर दिया जाता है। भारत देश के पिछड़ों को धार्मिक बनाकर उनको मौनी बाबा बना दिया गया है। मोदी सरकार आरक्षण के खिलाफ हमले पर हमला करती जा रही है, ओबीसी हैं कि धर्म की चासनी में लिपटकर भक्तिराग और राममंदिर का राग अलापने में व्यस्त हैं। अब एक बार फिर बुजदिल ओबीसी के साथ अन्याय हुआ है।

    मौजूदा मोदी सरकार पिछड़े वर्ग के छात्रों को मेडिकल में दाखिले से रोकते हुए अब खुलकर ओबीसी विरोधी कदम उठा रही है। मेडीकल परीक्षा में ओबीसी को आरक्षण तक सीमित रखने की बात केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कही थी लेकिन यहां तो खेल ही अलग है। आज मेडीकल काउंसलिंग कमेटी की तरफ से जारी सूची में 27 तो छोड़िए ओबीसी को 2 प्रतिशत सीटें ही दी गई हैं।

    *27 प्रतिशत की जगह मिला सिर्फ 2 फीसदी आरक्षण-*

    मेडीकल काउंसलिंग कमेटी ( एमसीसी) की ओर से देश में 63835 मेडिकल सीटों के लिये हुई नीट की परीक्षा में ओबीसी को 27 के बजाय केवल 2 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। नियम के मुताबिक ओबीसी को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 15 प्रतिशत एवं अनुसूचित जनजाति को 7.5 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए और इसी के हिसाब से सीटों का बंटवारा चाहिए। लेकिन व्यवहार में ओबीसी को केवल 2 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।

    *कैसे हुआ खेल-*

    कुल 63835 सीटों में से राष्ट्रीय स्तर के कोटे में 9575 सीटें हैं

    27 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से ओबीसी को इसमें 2585 सीटें मिलनी चाहिए थी, राष्ट्रीय कोटे में

    *ओबीसी को मिली सिर्फ 68 सीट यानि 1.78 प्रतिशत आरक्षण*

    अनुसूचित जाति को 14.95 प्रतिशत यानी 555 सीट

    अनुसूचित जनजाति को 7.46 प्रतिशत यानी 277 सीटे

    अनारक्षित (सवर्णो के लिए आरक्षित) के लिए 2811 यानी 75.74 प्रतिशत सीट

    मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी ने अपनी वेबसाइट पर सूची में नेशनल कोटे की जो सीट मेट्रिक्स कॉलेजों के नाम सहित डाली हैं, उसका विस्तृत अध्ययन करने पर ये बात सामने आई है।

    http://mcc.nic.in/ इस लिंक पर * जाकर आप पूरी लिस्ट देख सकते हैं।*

    विडंबना यह है कि सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि ओबीसी को अब अनारक्षित सीटें नहीं दी जाएंगी और ओबीसी को सीटें सरकार आरक्षित कर ही नहीं रही है या केवल नाम मात्र के लिए कर रही है। मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी ने जो 181 मेडीकल कॉलेजों की 3711 सीटों की जो सूची प्रकाशित कर सीट मेट्रिक्स वेबससाइट पर डाली है उसमें ये सारा खल कर दिया गया है।

    *सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी खेल-*

    सुप्रीम कोर्ट के 10 अप्रैल 2008 के केस ‘अशोक कुमार ठाकुर बनाम केंद्र सरकार’ के निर्णय में भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण की बात कही गई है। इसके बाद भी ओबीसी के साथ छलकपट करके ओबीसी समाज के छात्रों को शिक्षा से वंचित रखने का षडयंत्र सरकार कर रही है। इतना सब होने के बाद भी ओबीसी के जनप्रतिनिधियों ने सरकार के सामने ढंग से बात नहीं उठाई है।

    *कोर्ट जाने का फैसला –*

    राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ के खेमेंद्र कटारे ने मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी के इस कदम के खिलाफ न्यायालय जाने का फैसला किया है। मेडिकल काउंसिल की वेबसाइट (mcc.nic.in) पर राष्ट्रीय कोटे की सूची को प्रकाशित किया गया है। इसमें महाराष्ट्र के 21 कॉलेजों के नाम हैं जिनमें ज्यादातर सरकारी मेडीकल कॉलेज ही हैं। पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज 23 सीटें अनारक्षित, 4 एससी और 3 एसटी के लिए हैं। जुहू मेडिकल कॉलेज 18 सीटें अनारक्षित, 4 एससी, 1 एसटी, सोलापुर मेडिकल कॉलेज में 18 सीटें अनारक्षित, 3 एससी और एक एसटी सीट हैं।

    यही स्थिति कमोबेश अन्य राज्यों में है। नेशनल कोटे में कुल 9575 सीटों में से जहाँ 27 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से ओबीसी को 2585 सीटें मिलनी चाहिए, वहीं मेडिकल काउंसिलिंग कमेटी उसे केवल 68 सीटें दे रही है, और ये भी तय है कि अनारक्षित सीटों पर ओबीसी को मौका मिलना नहीं है।

    इसे बारे में वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल अपना गुस्सा प्रकट करते हुए लिखते हैं कि –

    *इस साल MBBS एडमिशन के लिए ऑल इंडिया की 3705 सीटों में OBC को 2% सीट यानी 68 सीटें मिली हैं.*

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