Sunday 26 February 2017

एक आरक्षण विरोधी को लिखित जबाव

एक आरक्षण विरोधी को लिखित जबाव :--
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"करता हूँ अनुरोध आज मेैं, भारत की सरकार से !
प्रतिभाओं को मत काटो, आरक्षण की तलवार से !!"

यहाँ से उत्तर काव्य में है :---
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एकलव्य जब-जब पढ़ा स्वयं के सुधार से,
कई द्रोणों ने काटे अंगूठे, आरक्षण की तलवार से,
एकलव्य जब बिना द्रोण के, योग्य धनुर्धर यार हुआ,
तब सोचो, द्रोण ने अर्जुन को फिर क्यों आरक्षण दिया ?

सूत पुत्र कह के परशुराम ने कर्ण को जब ठुकराया था,
क्या याद तुझे है, अज्ञानी, क्या कर्ण ने नहीं बताया था ?
क्या प्रतिभा नहीं थी कर्ण के अंदर ?
न ही जन्म से, सूत का जाया था ?
फिर क्यों पापी, जातिवादी ने कर्ण को नहीं सिखाया था?

जब आरक्षण की बात चली तो - शंकराचार्य का पद आरक्षित मुक्त करो ?
जितने आलय हैं "पूरे देश में, आरक्षण से मुक्त करो ?"
चाहे शिवालय, या देवालय, या मदिरालय, या विश्वविद्यालय,
बिना आरक्षण नियुक्त करो,

जब बात चली है आरक्षण की, तो
धन, धरती को शून्य करो,
जितनी जिसकी संख्या है,
उसको उतना नियुक्त करो,
और सारी धरती को,
आरक्षण से मुक्त करो ?

चाहे ज़िन्दा या हो मुर्दा,
सबको अपना काम दो,
एक समान हो, सबकी शिक्षा,
अवसर एक समान दो,
फिर देखेंगे, मिलकर यारा,


किसको कितना आरक्षण मिलता है ?
मदिरालय से देवालय तक
कितना हिस्सा मिलता है ?
काम का जब बटवारा होगा,
कितना द्रव्य जब मिलता है ?

जब बात चली आरक्षण की, तो
बिना भेद की शिक्षा देकर देखो,
बिना जाति के देश को करके देखो,
नाम से सरनेम हटाकर देखो,
गोत्र हताओ, नक्षत्र हटाओ,
तिलक हटाओ, जनेऊ हटाओ।
फिर देश की तरक्क़ी देखो ?

जब बात चली आरक्षण की तो,
कितने कर्मचारी विभाग में पूरे देखे ?
उनमें कितने काम चोर देखे ?
कितने ड्यूटी पर सोते देखे ?
कितने भ्रष्टाचारी देखे ?

जब बात चली आरक्षण की तो,
भ्रष्टाचारियों को जेल क्यों नहीं ?
बलात्कारियों को सजा क्यों नहीं ?
क्या उसे भी आरक्षण ने रोका है ?
अपनी नाक़ामी छुपाने का यही सही एक मौक़ा है?


जो अक्षम हैं, कहते हैं कि आरक्षण ने मौक़ा नहीं दिया ?
क्या आरक्षण वास्तव में मौक़ा छीनता है ?
या युगों-युगों से पिछड़ों को मौका देता है ?

फिर भी जब आरक्षण की बात चली तो,
खतम करो आरक्षण और,
और दे दो, अवसर समान,
बना दो देश महान,
जितनी जिसकी भागेदारी,
उतनी उसकी हिस्सेदारी ?

बोलो, बोलो, अब तो बोलो,
सोच समझ के अब मुँह खोलो,
हमने आरक्षण कभी न माँगा ?
हमने तो, सम्मान था माँगा।

बात चली आरक्षण की तो ,
आओ साथ में, बात करेेंगें,
आपस में हम गले मिलेेगें,
हाथ-हाथ में डाल रहेंगें ।
आधी रोटी बाँट खायेगें ।
चलो एक हम कहलायेंगे ।

आरक्षण की बात चली तो,
मंदिर तो भगवान का है, तो उसमें पुजारी क्यों?
मंदिर भगवान का है, तो उसमें ताला क्यों ?
मंदिर जब भगवान का घर है, तो पण्डा एक जाति का क्यों ?
मंदिर जब भगवान का घर तो,
एक खास को आरक्षण क्यों ?

बात चली जब आरक्षण की तो,
एक भूखा नंगा क्यों ?
और दूजे के आँगन में,
खाने को फिर दंगा क्यों ?
एक-एक प्रश्न पर बवाला क्यों ?


अब भी समझो
इंसानों को इंसान,
या कहलाना बंद करो
अपने को इंसान,
क्योंकि,
कुत्ते को छोड़ कर,
गाय, गाय को प्यार करती है, ( पशु है ),
सांप, सांप को प्यार करता है, ( कीड़ा है ),
मछली, मछ्ली के साथ रहती है, (जलचर है )।
चील, कौए, बाज, कोयल सब आपस में प्यारे हैं, ( सब पंक्षी हैं )।
फिर इंसान को इंसान से इतनी नफ़रत क्यों ?

बात चली अारक्षण की तो,
क्यों इंसान, इंसान से कतरा रहा है,
आरक्षण का रोना, रोकर गा रहा है ?
यदि वह एक आरक्षण से दो वक़्त का खाना का रहा है ?
तो तुम्हें रोना क्यों आ रहा है ?

तो सुनो, मेरा एक सुझाव भी है :-
यदि है, फिर भी है तक़लीफ़ तो तुम भी चुनो :
"जो कुछ मेरे पास है, जाति, नाम, काम, धाम, मान,
सब मुझसे ले लो,
मैं तैयार हूँ- और तुम तैयार हो जाओ,
जो कुछ तुम्हारे पास है वो मेरा आज से,
जो कुछ मेरे पास है, वह आज से सब कुछ तुम्हारा है,
जाति, नाम, मान, काम, धाम ?
बोलो हो तैयार,
आओ मैदान में यार ।

फिर ये ही कहना मित्र मेरे,
ये तुम गा-गाकर,
प्रतिभाओं को मत काटो,
आरक्षण की तलवार से,
करता हूँ अनुरोध आज मैं,
भारत की सरकार से ।

हम ज़िन्दा हैं,
क्योंकि हम कामग़र हैं।
तुम क्या करोगे,
क्या हमारी तरह पसीना बहाओगे ?
या तिलकधारियों की तरह,
भिक्षाटन पर जाओगे ?

अब तो बताओ, सच-सच यार,
समस्या, आरक्षण है, या जातिवाद ?
तुम जाति ख़त्म करो,
आरक्षण अपने आप ख़त्म हो जायेगा।

मेरा मानना है तब भारत स्वर्ग बन जायेगा,
फिर यहाँ कोई लाचार नज़र नहीं आएगा,
नहीं होगा यहाँ आरक्षण, न कोई रोता नज़र आएगा,
पुरे देश में, शिष्टाचार नज़र आएगा !!

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"जिस भी कवि महोदयजी ने इस उत्कृष्ट कविता को लिखा है,
 उनको मेरा  अभिनंदन् , सप्रेम् जयभीम !!"


बिना आरक्षण का विजय माल्या भारत को कर्ज मे डालकर भाग गया।

बिना आरक्षण वाला ललित मोदी भारत को कर्ज मे डालकर भाग गया।

बिना आरक्षण वाले नोटबंदी मे सबसे ज्यादा पकडे गये।

विना आरक्षण वाले साधु महिलाओ का योन शोषण करने मे जेल मे हैं।

विना आरक्षण वाले मैच फिक्सिंग के कारण वैन हैं।

विना आरक्षण वाले फिल्मी स्टारों पर हथियार रखने और देश से गद्दारी के मुकद्दमे चल रहे।

बिना आरक्षण वाले दुश्मन के लिये जासूसी करते पकडे जातें।

बिना आरक्षण वाले व्यापम घोटाले मे भागीदार।

बिना आरक्षण वाले सेना के हेलीकॉप्टर घोटाले के मुखिया। 

आरक्षण तो बदनाम है
किसी के हक के लिये,

पर देश तो लुट गया विना आरक्षण वालो के लिये,,,



आरक्षण कैसे हो।
🙏🏻
जिनको लगता है आरक्षण का आधार सामाजिक न्याय नहीं "गरीबी" होना चाहिए वो कृपया बताएं:
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गरीब होने के कारण कितने सवर्ण बेइज्जत होते हैं?

✅(1)-क्या आपने कभी किसी सवर्ण ब्राह्मण ठाकुर बनिया की बेटी की बारात"गरीब होने के कारण"चढ़ने से रोकने की घटना सुनी है?
✅(2)-क्या किसी सवर्ण दूल्हे को"गरीब होने के कारण" घोड़ी से उतारकर पीटने की घटना सुनी है?
✅(3)-क्या"गरीब होने के कारण" ब्राह्मण ठाकुर बनिया को मन्दिर जाने से रोका गया?
✅(4)-क्या कोई सवर्ण "गरीब होने के कारण"स्कूल कॉलेज में छुआछूत का शिकार हुआ?
✅(5)-क्या किसी सवर्ण शिक्षक को "गरीब होने के कारण" स्कूल कॉलेज में नियुक्ति प्रदान करने से रोका गया?
✅(6)-क्या किसी सवर्ण को सार्वजनिक कुंएं से"गरीब होने के कारण" पानी पीने से रोका गया?
क्या किसी सवर्ण ब्राह्मण ठाकुर बनिया को "गरीब होने के कारण शमशान में शव फूंकने से रोका गया?
✅(7)-क्या किसी सवर्ण सरपंच-प्रधान को"गरीब होने के कारण"राष्ट्रीय पर्व पर तिरंगा फहराने से रोका गया?
✅(8)-क्या किसी सवर्ण मजदूर को "गरीब होने के कारण"मजदूरी के पैसे मांगने पर मौत के घाट उतारा गया?
✅(9)-क्या किसी सवर्ण को "गरीब होने के कारण"सामूहिक भोज में से दावत खाने से रोका गया?
✅(10)-क्या किसी सवर्ण महिला को"गरीब होने के कारण"नंगा करके गाँव में घुमाया गया?
✅(11)-क्या किसी सवर्ण लड़के को "गरीब होने के कारण" अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी लड़की से प्रेम करने पर मार डाला और सवर्णों की बस्तियां फूंकी गयी?
✅(12)-इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक सवर्ण जज ने अछूत जज के जाने के बाद कुर्सी को गंगाजल से धोया था यह गरीबी के कारण नहीं बल्कि जातिय घृणा के कारण ही हुआ था।
✅(13)-आप एक उदाहरण बता दें कि,फलां ब्राह्मण ठाकुर बनिया का केवल "गरीब होने के कारण" एस सी , एसटी, ओबीसी की तरह उत्पीड़न किया गया हो।
अछुत की तरह रौंदा गया हो और घिनौने तरीके से जलील किया गया हो।
✅(14)-फलां ब्राह्मण ठाकुर बनिया महिलाओं के साथ बदले की भावना से सामूहिक बलात्कार किये हों।
✅(15)-अगर आप भारतीय समाज के चरित्र से अच्छी तरह परिचित होंगे तो आपको मालूम होगा कि कोई ऐसा गरीब ब्राह्मण ठाकुर बनिया नहीं मिलेगा जिसको केवल जाति के आधार पर बेइज्जत होना पड़ा हो,जबकि अछूतो पिछड़ो के लिए आमबात है।
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तो आरक्षण का आधार गरीबी कैसे हो सकता है , गरीबी अर्थात् आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात को कहने वालो यह संवैधानिक नहीं है, बल्कि एक मनुवादी झांसा है।...

आरक्षण कोई भीख नही है बल्कि पूना पैक्ट का वायदा है।पाकिस्तान की तर्ज पर बचे हुए भारत के ओर टुकड़े न हो उसे बचाने के एवज मे सामाजिक स्तर पर समानता लाने के लिए किया गया प्रयास था।जब ये प्रयास हुआ था तब क्या देश मे सिर्फ दलित ही गरीब थे।गरीब तो उस समय भी सभी जाति के लोग थे फिर सबको उस समय आरक्षण क्यो नही मिला।क्या उस समय गरीब स्वर्णो के हितैषी नेता नही थे ? आज तो लोक सभा मे 120 एम पी दलित है उस जमाने मे तो एक डा अम्बेड़कर को छोड़कर कोई भी नही था।बाकी सभी स्वर्ण नेता थे वो भी मंजे हुए।उन्होने जाति के आधार पर गरीब स्वर्णो को आरक्षण दिलाने की पैरवई क्यो नही की।सच ये है कि आरक्षण का आधार" गरीबी" कभी नही थी इसीलिए उस समय किसी भी स्वर्ण नेता ने यह मुद्दा नही उठाया था कि सभी गरीबो को गरीबी के आधार पर आरक्षण मिले।

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