Sunday, 26 February 2017

शूद्रों के भाव बढ़ गए हैं

साले शूद्रों के भाव बढ़ गए हैं ।

एक बार भंते सुमेधानंद गांव के पास एक राह से गुजर रहे थे । एक ब्राह्मण उसी रास्ते पर उनके सामने से आ रहा था और बड़े गुस्से में बड़ बड़ा रहा था कि अम्बेडकर ने साले शूद्रों के भाव बढ़ा दिए हैं । आजकल पढ़ लिख गए हैं तो हमारी सुनते ही नही हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! क्या हो गया ? क्यों गुस्से में हो ?
ब्राह्मण - हे भंते ! आजकल शूद्र लोग हमारी बात ही नही सुनते हैं , इनके बहुत ही भाव बढ़ गए हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! शूद्रों के भाव कैसे बढ़े हुए हैं ?
ब्राह्मण - हे भंते ! देश की आजादी से पहले ये लोग हमारे इशारे पर नाचते थे और जब से अम्बेडकर ने संविधान बनाया है तब से ये हमारे सिर पर नाच रहे हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! ये शूद्र लोग आपके सिर पर कैसे नाच रहे हैं ।
ब्राह्मण - हे भंते ! पहले ये लोग निस्वार्थ भाव से हमारी सेवा में रत रहते थे , पर अब दो क्लास पढ़ कर नौकरी लगने से बड़े भाव बता रहे हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! आजादी से पूर्व आपका पुस्तैनी कार्य क्या था ?
ब्राह्मण - हे भंते ! भीख मांगना और यज्ञ कराना ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! शूद्रों का कार्य आजादी से पूर्व क्या था ?
ब्राह्मण - हे भंते ! तीनों उच्च वर्णों की निस्वार्थ भाव से सेवा करना ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! शूद्र लोग अभी कौनसा कार्य कर रहे हैं ?
ब्राह्मण - हे भंते ! पढ़ लिख कर सरकारी सेवा का कार्य कर रहे हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! अभी आप लोग कौनसा कार्य कर रहे हैं ?
ब्राह्मण - हे भंते ! हमारे लोग भी सरकारी सेवा का कार्य कर रहे हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! पहले भी शूद्र सेवा के कार्य करते थे और अब भी कर रहे हैं । परन्तु आप पहले भीख मांगने और पाखण्ड के नाम पर लोगों को ठगने का कार्य करते थे और अब सेवा के कार्य कर रहे हैं तो भाव आपके बढ़े हैं या शूद्रों के ।
ब्राह्मण - हे भंते ! सत्य है , भाव हमारे ही बढ़े हैं । पहले हम भिखारी थे और पाखण्ड के नाम पर दूसरों को ठग कर अपना गुजारा करते थे और अब सरकारी उच्च पदों पर पदस्थ हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! बाबा साहेब अम्बेडकर के संविधान से आपके भाव बढ़े हैं या शूद्रों के ।
ब्राह्मण - हे भंते ! हमारे ही भाव बढ़े हैं ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! जब तुम्हारे 33 करोड़ देवी देवता थे , तब तुम भीख मांगते थे और पाखण्ड के नाम पर लोगों को ठगते थे और बाबा साहेब के कारण आज तुम ऊँचे ऊँचे पदों पर बैठे हैं तो तुम्हारे भगवान बाबा साहेब होने चाहिए या 33 करोड़ देवी देवता ।
ब्राह्मण - हे भंते ! बाबा साहेब ही पूज्यनीय होने चाहिए , 33 करोड़ देवी देवता नही ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! बाबा साहेब क्यों पूज्यनीय होने चाहिए और देवी देवता क्यों नही होने चाहिए ?
ब्राह्मण - हे भंते ! बाबा साहेब के संविधान के उपरांत हमारे परिवार के सभी लोग उच्च पदों पर बैठे हैं और 33 करोड़ देवी देवताओं के राज्य में हम और हमारा परिवार भीख मांग कर और पाखण्ड रच कर पेट भरते थे ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! बाबा साहेब ने आप लोगों को ऊँचे ऊँचे पदों पर बैठा कर तुम्हारा उद्धार कर दिया है तो तुम्हारे घर और दफ्तरों में बाबा साहेब की तस्वीर होनी चाहिए या आपको भीख मंगवाने वाले 33 करोड़ पाखण्डी देवी देवताओं की ।
ब्राह्मण - हे भंते ! बिल्कुल सत्य है रोजी रोटी देने वाला ही भगवान होता है । बाबा साहेब ने हमें भिखारी से राजा बना दिया और 33 करोड़ देवी देवताओं के राज्य में हम भीख ही मांगते रहे 
श्रमण - हे ब्राह्मण ! आपके मंदिरों में बाबा साहेब जैसे उद्धारक की मूर्ति होनी चाहिए या उनकी होनी चाहिए जिन्होंने तुम्हें भिखारी बनाया ।
ब्राह्मण - हे भंते ! बाबा जैसे महापुरुष की मूर्ति होनी चाहिए , जिसने समस्त ब्राह्मण समाज का उद्धार कर दिया ।
श्रमण - हे ब्राह्मण ! ये शुभ कार्य तुम कब से करोगे ।
ब्राह्मण - हे भंते ! ये शुभ कार्य मैं आज से करूँगा और अपने घर में बाबा साहेब के अतिरिक्त किसी पाखण्डी देवी देवता की तस्वीर नही रखूंगा ।
श्रमण - हे बुद्धिमान ब्राह्मण ! आपका मंगल हो ।
ब्राह्मण - हे भंते ! जय भीम ।

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