आज आप सभी को "युगों" के बारे में बताता हूं :--
1- "सतयुग" = जिस युग में केवल ब्राह्मण ही पढ़-लिख सकता था, इसलिये वह जो बोलता था, वही सत्य समझा जाता था, इसलिये उसे सतयुग कहते हैं ।
2- "द्वापर" = जिस युग में ब्राह्मण के साथ क्षत्रिय भी पढ़ने लगे..यानी दो वर्ण पढ़ने लगे इसलिये उसे द्वापर युग कहने लगे.
3- "त्रेतायुग" = जिस युग में बाह्मण, क्षत्रिय, वैश्य..यानी तीनों वर्ण पढ़ने लगे, इसलिये त्रेतायुग कहने लगे ।
4- "कलयुग" = जिस युग में ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य..के साथ-साथ शूद्र/अवर्ण(obc/scst) भी पढ़ने लगे..इसलिये इसे कलयुग यानी अशुभ/अधर्म/पाप का युग कहने लगे ।
अब आप खुद समझ जाइये.....
कलयुग यानी "कलम-युग", आपके लिये अच्छा है..... / या सतयुग, द्वापर, त्रेता, अच्छा था..... ?????
आप खुद सोचो 🙏
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1- "सतयुग" = जिस युग में केवल ब्राह्मण ही पढ़-लिख सकता था, इसलिये वह जो बोलता था, वही सत्य समझा जाता था, इसलिये उसे सतयुग कहते हैं ।
2- "द्वापर" = जिस युग में ब्राह्मण के साथ क्षत्रिय भी पढ़ने लगे..यानी दो वर्ण पढ़ने लगे इसलिये उसे द्वापर युग कहने लगे.
3- "त्रेतायुग" = जिस युग में बाह्मण, क्षत्रिय, वैश्य..यानी तीनों वर्ण पढ़ने लगे, इसलिये त्रेतायुग कहने लगे ।
4- "कलयुग" = जिस युग में ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य..के साथ-साथ शूद्र/अवर्ण(obc/scst) भी पढ़ने लगे..इसलिये इसे कलयुग यानी अशुभ/अधर्म/पाप का युग कहने लगे ।
अब आप खुद समझ जाइये.....
कलयुग यानी "कलम-युग", आपके लिये अच्छा है..... / या सतयुग, द्वापर, त्रेता, अच्छा था..... ?????
आप खुद सोचो 🙏
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