चमारो का इतिहास
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आप सभी साथी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे ।
हजारो वर्षो पहले एशिया महाद्वीप में एक राजवंश रहा
करता था । जिसे इक्ष्वाँकु राजवंश या सूर्यवंशी क्षत्रिय
कहते थे । इस इक्ष्वाँकु राजवंश से सब घबराते थे । इसी वंश में
भगवान गौतम बुद्ध , अशोक सम्राट ,
चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे महान सम्राट पैदा हुए थे ।
लेकिन आज कल कुछ हिंदूवादी इस परिवार का हिन्दुकरण
करना चाहते हैं। जब की सच्चाई ये है की इक्ष्वाँकु राजवंश
चमारो का वंश है।
चमार ही सूर्यवंशी क्षत्रिय है । और बुद्ध के वंशज हैं ।आइये
प्रमाणित करे कैसे ।
1- बौद्ध लोग जीव हिंसा से विरक्त रहते थे ।लेकिन मांस
खाते थे अर्थात वो किसी भी जीव को काट कर कुर्बानी
दे कर या बली देकर माँस नही खाते थे । बल्कि भारतीय
बुद्धिस्ट सिर्फ मरे हुए जानवर का माँस खाते थे । जिस में
की जीव होता ही नही था । इस प्रकार जीव हत्या नही
करते थे । और पुरे भारत में ऐसा करने वाली सिर्फ एक जाती
थी वो है चमार, आप बुजुर्गो से पता कर सकते हैं ।
2- पुरे भारत में जनश्रुतियो और लोक कथाओ में चमार को
ब्राह्मण बड़ा भाई बताता है । क्यों की ब्राह्मण हिन्दू धर्म
का मुखिया है । तो चमार बौद्ध धर्म का मुखिया है ।
इसीलिए चमारो की शादी में पंडित नही बुलाया जाता ।
3- रामायण में और कुमारिल भट्ट की किताबो में बुद्ध को
शुद्र लिखा गया है और रिअल में भी चमार को ही मुख्य शुद्र
माना गया है । अन्य जातिया कभी निशाने पर नही रही।
4- समस्त जातियों में सिर्फ चमार जाती ही ऐसी है जो
गरीब होने के बावजूद अपनी आन - बाँन - शाँन पे मर मिटती
है और इस जाती में आज भी राजसी गुण झलकते हैं ।
5- चमारो का घर गाँव के बाहर अक्सर होता है । क्योंकि
चमार गाँव के राजा होते थे । इनको ही गाँवों में डीह
बाबा कहा जाता है।
6- चमार जाती से बौद्ध धर्म छिनने के बाद उसे धर्म विहीन
कर दिया गया था और अछूत इस लिए बना दिया गया की
यह जाती फिर कही से बौद्ध धम्म न खड़ा कर पाए ।
7- चमार जाति की शिक्षा पर रोक इसीलिए लगाई गई थी
की वह अनपढ़ रहेगा तो खुद को चमार अछूत समझेगा कभी
यह नही जान पायेगा की चमार एक राजशाही खून है । इस
लिए चमारों की शिक्षा पर रोक लगाई गई थी की चमार
शिक्षा पायेगा तो फिर से बौद्ध धम्म खड़ा कर देगा ।
8 - चमार खूद को इसीलिए चमार कहलाना पसंद नही करते
क्योंकि चमार इन का नाम है ही नही इनका नाम तो
सूर्यवंशी क्षत्रिय था ।
इसीलिए चमार आज भी खुद को चमार कहने पर भडक जाते हैं
। और लड़ाईयाँ हो जाती है ।
9- ब्राह्मणो में जिस तरह शुक्ला, शर्मा आदि समर्थ
जातियाँ हैं, चमारो की भी समर्थ जातियाँ थी ।
जैसे की - कोरी चमार ,
नोनिया - चमार
तांती - चमार
दुसाध - चमार
पासी - चमार
आदि लेकिन चमारो की सत्ता विलुप्त होने के बाद इन सब
में फुट पड़ती गई ।
10- चन्द्रगुप्त मौर्य भी चमार थे । लेकिन गोरे और सुन्दर थे
जब की चाणक्य ब्राह्मण था और काला इसी लिए कहावत
बन गई की -
"काला बाभन गोरा चमार दुई जात से सदा होशियार" ।
11- जो भी जातियाँ आर्य नही थी वो चमार कहलाती
थी और ऐसा आज भी है चाहे मौर्या हो या नोनिया,
यादुशाध या अन्य शुद्र ब्रह्मण सब को चमार ही कहता है।
ये सारी बाते जो ऊपर लिखी गई हैं ।ये वर्मा और तिब्बत के
बौद्ध ग्रंथो में इसका प्रमाण है । और अधिक जानकारी हेतु
आप बाबा साहब की लिखी किताब
WHO WAS SHUDRAS?
(शुद्र कौन थे ?)
से पढ़ सकते हैं।
अत: हर चमार से अनुरोध है कि इस मैसेज को किसी अगले
चमार बौद्ध भाई के पास जरुर भेजे ताकि उसको भी यह पता
चले कि उस का खून भेड़-बकरियों का नही है बल्कि हर चमार
सूर्यवंशी है ।
जय भीम ।
जय भारत ।।
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