देश के सबसे बड़े देशभक्त चैनेल ज़ी टीवी पर आज बहुत प्यार आया।
देशभक्त टीवी की देशभक्त एंकर चिल्ला चिल्ला कर बता रही है कि पंडित, भदौरिया, ठाकुर, सिंह, सक्सेना, अग्रवाल, खुल्लर sirname वाले कई पाकिस्तानी आतंकी ISI के लिए देश से गद्दारी कर सेना और देश की सुरक्षा के अहम् दस्तावेज कई सालों से पकिस्तान, ISI और आतंकियों को उपलब्ध करा रहे थे। ये युवक हालिया विभिन्न ट्रैन दुर्घटनाओं के सूत्रधार, धन उपलब्ध कराने वाले और फिर उसके योजनाकार भी रहे हैं।
इन सब आतंकियों का सरगना सक्सेना तो भाजपा युवा मोर्चा का पदाधिकारी और मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री का खास आदमी है। मुख्यमंत्री के साथ उसकी निकटता के कई फोटो पब्लिक डोमेन में भी उपलब्ध हैं।
अब विचारणीय प्रश्न ये है कि भाजपा के जो बड़े नेता (योगी आदित्य, साक्षी महाराज, साध्वी, और खुद अमित शाह और प्रधान मंत्री तक) इस्लामी आतंकवाद का रोना रोते आये हैं अब इस विषय पर क्या कहते हैं।
मेरे कई विद्वान दोस्त भी अक्सर ये तर्क देते रहे हैं कि हर आतंकी मुसलमान क्यों होता है। अब प्रश्न की गेंद उनके पाले में है।
आज मैं बड़े कठोर शब्दों में बताना चाहता हूँ कि आप ये तर्क ताने के रूप में देते रहे हैं, कि मुस्लमान अरब मुल्कों और पाकिस्तान से खुद को जोड़ते है और वहां से प्रेरणा पाकर 'वैश्विक इस्लामी भाईचारे' के तहत ये कार्यवाही भारत को चोट पहुंचाने के लिए करते हैं।
आपके इस कठोर भाषा वाले तर्क की तर्ज पर आज में भी कुछ कठोर शब्दों में पूछना चाहता हूँ कि ब्रह्मा के मुख से उत्पन्न पंडित, ब्रह्मा की बांह से उत्पन्न सिंह और ठाकुर, चंद्रवरदाई द्वारा वर्णित आबू पर्वत पर किये गए पवित्र यज्ञ की अग्नि से उत्पन राजपूत भदौरिया, साक्षात् चित्रगुप्त की संतानों के वंशज सक्सेना और खुद को शूद्रों से ऊँचा दिखा ब्राह्मण और क्षत्रियों के समान उच्चवर्णीय बताने वाले वैश्यों के वंशज अग्रवाल जातियों ने ये कपूत किस प्रकार पैदा किये होंगे जो खुद अपने हाथों से माँ भारती की अस्मत का सौदा आतंकियों और दुश्मन देश से करते होंगे?
कहाँ से ये दुष्ट भारत माता की अस्मत बेंचने की प्रेरणा प्राप्त करते होंगे? ये नराधम तो बाबर की संतान भी नहीं हैं। इनमें से कोई ब्रेनवाश किया मासूम अनपढ़ या घोर निर्धन भी नहीं है। वो कौन सा वैश्विक भाईचारा रहा होगा जो ये ऐसे बने? क्या उस दर्शन में ही कोई सैद्धांतिक कमी तो नहीं जिसके अनुसार इनके माता पिता ने इन्हें पाला पोसा।
क्या वो राजनैतिक विचारधारा संदेह के घेरे में नहीं आनी चाहिए जिसकी टोपी पहने इस गैंग का सरगना मुख्य मंत्री के साथ खड़ा है?
क्या झाबुआ के दोषी का स्वयं सेवक होना आशंका भी पैदा नहीं करता?
मध्य प्रदेश सरकार, खुफिया और सुरक्षा एजेंसीज के बड़े क़ाबिल अफसर टीवी पर इन देशद्रोहियों का भंडाभोड़ कर रहे हैं।
ये वही जाबांज़ सुरक्षा दल के लोग हैं जिन्होंने लकड़ी की चाबी से जेल तोड़ कर फरार हुए आतंकियों को महाराणा प्रताप की हल्दी घाटी के युद्ध जैसी विजय दिलाऊ शूरवीरता का प्रदर्शन कर मुठभेड़ में मार गिराया था।
अतः इनकी जाबांजी असंदिग्ध और ईमानदारी यम से बढ़कर है इसलिए गलती की कोई गुंजाईश भी नहीं हैं।
आपको याद होगा अभी पिछली साल ही मध्य प्रदेश के झाबुआ में आतंकी विस्फोट से 100 से ज़्यादा लोगों की जान ले लेने वाला संघ का पदाधिकारी फरार ही चल रहा है। फिर भोपाल से तथाकथित आतंकी आसानी से भाग निकले और अब इतना बड़ा आतंकी नेटवर्क पकड़ में आया। क्या भोपाल में गुजरात जैसी कोई खिचड़ी पक रही है?
अधिकारी बता रहे हैं कि इस नेटवर्क के कनेक्शन दुबई के ज़रिये पाकिस्तान से थे।
निसंदेह दुबई से सम्बंधित नेटवर्क का खुलासा मोदी जी की क्रेडिट में जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही दुबई के शाहों का बाहें फैला कर भारत में स्वागत किया था।
लेकिन दुबई से हुई डील के अंतर्गत केवल अगड़ी जाति के नाम वाले देश के गद्दारों के रैकेट की पोल खुलने से संदेह उत्पन्न होता है कि मोदी जी किस टीम के कप्तान हैं?
शिवराजसिंह चौहान को कौन निपटा रहा है?
शेखों से क्या डील हुई है?
संघ, भाजपा और अगड़ी जातियों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
भोपाल इनकॉउंटेर के समर्थन में फेसबुक के पेज पर पेज काले कर देने वाले कितने मित्र इस घटना पर देशभक्ति पूर्ण पोस्ट लिखेंगे?
क्यों न इन देशद्रोहियों का बिना सबूत, बिना मुकदमा, बिना सुनवाई, बिना सजा ठोंक दिया जाये?
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