डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा क्यू दिया..???
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मुख्य चार कारण:-
डा० बी.आर. अंबेडकर ने अनुच्छेद 340 में OBC आरक्षण के विषय मे लिखा उसकी सच्चाई और महत्वपूर्ण तथ्य..
(1) अनुच्छेद 341 के अनुसार शेड्यूल कास्ट (SC) को 15% प्रतिनिधित्व दिया....
(2) अनुच्छेद 342 के अनुसार..
शेड्यूल ट्राईब (ST) को 7.5% प्रतिनिधित्व दिया...
और इन वर्गो का विचार करने से पहले डा. अंबेडकर ने सर्वप्रथम OBC अर्थात अन्य पिछड़ी जातियों का विचार किया... इसीलिये डा.अंबेडकर ने अनुच्छेद 340 के अनुसार OBC को सर्वप्रथम प्राथमिकता दी....
3) अनुच्छेद 340 के अनुसार OBC को 52% प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान किया, उस समय लौह-पुरूष "सरदार पटेल" इसका विरोध करते हुए बोले....
"ये OBC कोन है"...???
ऐसा प्रश्न सरदार पटेल स्वत: OBC होते हुए भी पूछा... !!!
क्युकि उस समय तक SC और ST मे शामिल जातियों की पहचान हो चुकी थी.... और OBC में शामिल होने वाली जातियों की पहचान....(जो आज 6500 से अधिक है) का कार्य पूर्ण नहीं हुआ था.......
कोई भी "अनुच्छेद" लिखने के बाद.. डा० अंबेडकर को उस "अनुच्छेद" को...प्रथम तीन लोगो को दिखाना पड़ता था.....
1) पंडित नेहरू
2) राजेंद्र प्रसाद
3) सरदार पटेल
..इन तीनों की मंजूरी के बाद... उस अनुच्छेद का विरोध करने की हिम्मत किसी में नहीं थी...
उस समय संविधान सभा में कुल 308 सदस्य होते थे, उसमें से 212 Congress के थे....
अनुच्छेद 340, अनुच्छेद 341 और 342 के पहले है... सभी पिछड़ी जातियों को इस महत्वपूर्ण तथ्य पर ध्यान देना चाहिए..
340 वां अनुच्छेद असल में क्या है... ???
जिस समय बाबासाहब डा० अंबेडकर ने 340 वां अनुच्छेद का प्रावधान किया और सरदार पटेल को दिखाया.. उस पर सरदार पटेल ने बाबासाहेब से प्रश्न किया " ये OBC कौन है".... "हम तो SC और ST को ही backward मानते हैं"... ये OBC आपने कहा से लाये......???
सरदार पटेल भी बॅरिस्टर थे, और वह स्वयं OBC होते हुए भी ...उन्होंने OBC से संबधित अनुच्छेद 340 का विरोध किया...!!!
किंतु इसके पीछे की बुद्धि.. सिर्फ गांधी और नेहरू की थी...
...तब डा. अंबेडकर ने सरदार पटेल से कहा...
"it's all right Mr. Patel " मै आपकी बात संविधान मे डाल देता हूँ
" संविधान के अनुच्छेद 340 में सरदार पटेल के मुख से बोले गये वाक्य के अाधार पर ... 340 वें अनुच्छेद के अनुसार ...इस देश के राष्ट्रपति को OBC कौन है...?? "ये मालूम नहीं है"....और इनकी पहचान करने के लिए एक "आयोग गठित" करने का आदेश दे रहे हैं "......
गांधी..... नेहरू...पटेल....प्रसाद और उनकी Congress की, OBC को प्रतिनिधित्व देने की इच्छा नहीं है... ये बाबासाहेब को दिखा देना था....
परंतु 340 वें अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने OBC कौन है..
इन्हें पहचानने के लिए आयोग नहीं बनाया.!! इसलिए दि. 27 Sept 1951 को बाबासाहेब ने केन्द्रीय कानून मंत्री पद से इस्तीफा दिया..
मतलब OBC के कल्याण के लिए केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले पहले और अंतिम व्यक्ति डॉ बाबासाहेब आंबेडकर है...
परंतु आज भी यह घटना अपने OBC जाति के मित्र को शायद मालूम नहीं है इस बात पर बहुत आश्चर्य और दुख होता है.... !!!!
भारत में आरक्षण के औचित्य पर जब बहस होती है तो कुछ मेरे आरक्षण विरोधी मित्र कहते हैं कि आरक्षण के कारण देश में जातिवाद बढ़ रहा है . आजादी के पहले देश में आरक्षण नही था . क्या उस समय जातिगत भेदभाव नही था जिसके शिकार बाबा साहब अंबेडकर जैसे व्यक्ति भी हुए थे ? अब बताईये कि जातिवाद के कारण आरक्षण आया है या आरक्षण के कारण जातिवाद ? हकीकत तो यह है कि देश के १५% लोग शेष ८५% लोगों के उपर शासन करने की मंशा रखते हैं जो आज के जमाने में संभव नही है . आज यदि यह हो रहा है तो इसके पीछे ५५% obc की दोहरी निष्ठा है जो तय नही कर पा रहे हैं कि किसके साथ रहें . अपर कास्ट उन्हे अपने बराबर स्थान नही देगा और sc st को obc अपने बराबर समझता नही . यही पेंच है . इसी पेंच के चलते इस देश पर १५% लोगों का शासन चल रहा है और हम मानने के लिए बाध्य हैं कि देश में बहुमत का शासन होता है .
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मुख्य चार कारण:-
डा० बी.आर. अंबेडकर ने अनुच्छेद 340 में OBC आरक्षण के विषय मे लिखा उसकी सच्चाई और महत्वपूर्ण तथ्य..
(1) अनुच्छेद 341 के अनुसार शेड्यूल कास्ट (SC) को 15% प्रतिनिधित्व दिया....
(2) अनुच्छेद 342 के अनुसार..
शेड्यूल ट्राईब (ST) को 7.5% प्रतिनिधित्व दिया...
और इन वर्गो का विचार करने से पहले डा. अंबेडकर ने सर्वप्रथम OBC अर्थात अन्य पिछड़ी जातियों का विचार किया... इसीलिये डा.अंबेडकर ने अनुच्छेद 340 के अनुसार OBC को सर्वप्रथम प्राथमिकता दी....
3) अनुच्छेद 340 के अनुसार OBC को 52% प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान किया, उस समय लौह-पुरूष "सरदार पटेल" इसका विरोध करते हुए बोले....
"ये OBC कोन है"...???
ऐसा प्रश्न सरदार पटेल स्वत: OBC होते हुए भी पूछा... !!!
क्युकि उस समय तक SC और ST मे शामिल जातियों की पहचान हो चुकी थी.... और OBC में शामिल होने वाली जातियों की पहचान....(जो आज 6500 से अधिक है) का कार्य पूर्ण नहीं हुआ था.......
कोई भी "अनुच्छेद" लिखने के बाद.. डा० अंबेडकर को उस "अनुच्छेद" को...प्रथम तीन लोगो को दिखाना पड़ता था.....
1) पंडित नेहरू
2) राजेंद्र प्रसाद
3) सरदार पटेल
..इन तीनों की मंजूरी के बाद... उस अनुच्छेद का विरोध करने की हिम्मत किसी में नहीं थी...
उस समय संविधान सभा में कुल 308 सदस्य होते थे, उसमें से 212 Congress के थे....
अनुच्छेद 340, अनुच्छेद 341 और 342 के पहले है... सभी पिछड़ी जातियों को इस महत्वपूर्ण तथ्य पर ध्यान देना चाहिए..
340 वां अनुच्छेद असल में क्या है... ???
जिस समय बाबासाहब डा० अंबेडकर ने 340 वां अनुच्छेद का प्रावधान किया और सरदार पटेल को दिखाया.. उस पर सरदार पटेल ने बाबासाहेब से प्रश्न किया " ये OBC कौन है".... "हम तो SC और ST को ही backward मानते हैं"... ये OBC आपने कहा से लाये......???
सरदार पटेल भी बॅरिस्टर थे, और वह स्वयं OBC होते हुए भी ...उन्होंने OBC से संबधित अनुच्छेद 340 का विरोध किया...!!!
किंतु इसके पीछे की बुद्धि.. सिर्फ गांधी और नेहरू की थी...
...तब डा. अंबेडकर ने सरदार पटेल से कहा...
"it's all right Mr. Patel " मै आपकी बात संविधान मे डाल देता हूँ
" संविधान के अनुच्छेद 340 में सरदार पटेल के मुख से बोले गये वाक्य के अाधार पर ... 340 वें अनुच्छेद के अनुसार ...इस देश के राष्ट्रपति को OBC कौन है...?? "ये मालूम नहीं है"....और इनकी पहचान करने के लिए एक "आयोग गठित" करने का आदेश दे रहे हैं "......
गांधी..... नेहरू...पटेल....प्रसाद और उनकी Congress की, OBC को प्रतिनिधित्व देने की इच्छा नहीं है... ये बाबासाहेब को दिखा देना था....
परंतु 340 वें अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने OBC कौन है..
इन्हें पहचानने के लिए आयोग नहीं बनाया.!! इसलिए दि. 27 Sept 1951 को बाबासाहेब ने केन्द्रीय कानून मंत्री पद से इस्तीफा दिया..
मतलब OBC के कल्याण के लिए केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले पहले और अंतिम व्यक्ति डॉ बाबासाहेब आंबेडकर है...
परंतु आज भी यह घटना अपने OBC जाति के मित्र को शायद मालूम नहीं है इस बात पर बहुत आश्चर्य और दुख होता है.... !!!!
भारत में आरक्षण के औचित्य पर जब बहस होती है तो कुछ मेरे आरक्षण विरोधी मित्र कहते हैं कि आरक्षण के कारण देश में जातिवाद बढ़ रहा है . आजादी के पहले देश में आरक्षण नही था . क्या उस समय जातिगत भेदभाव नही था जिसके शिकार बाबा साहब अंबेडकर जैसे व्यक्ति भी हुए थे ? अब बताईये कि जातिवाद के कारण आरक्षण आया है या आरक्षण के कारण जातिवाद ? हकीकत तो यह है कि देश के १५% लोग शेष ८५% लोगों के उपर शासन करने की मंशा रखते हैं जो आज के जमाने में संभव नही है . आज यदि यह हो रहा है तो इसके पीछे ५५% obc की दोहरी निष्ठा है जो तय नही कर पा रहे हैं कि किसके साथ रहें . अपर कास्ट उन्हे अपने बराबर स्थान नही देगा और sc st को obc अपने बराबर समझता नही . यही पेंच है . इसी पेंच के चलते इस देश पर १५% लोगों का शासन चल रहा है और हम मानने के लिए बाध्य हैं कि देश में बहुमत का शासन होता है .
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