एक तरफ हम काल्पनिक देवी देवताओं के उत्सव मनाते रहे और दूसरी तरफ मनुवादी हमारे समाज पर अत्याचार करते रहे
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पहले जानो फिर मानो
जी हां बिल्कुल आज हमारे समाज पर इसी तरह के अत्याचार हो रहा है मनुवादी ब्राह्मण बादी लोग हमें धार्मिक उलझाकर अपने अपने समाज के महापुरुषों के मिशन से भटका दिया है!
आज हम गीता रामायण महाभारत पढ़ते रहे और वह संविधान पढ़कर हमारे हक और अधिकारों को खत्म करने के लिए गुप्त एजेंडा तैयार कर रहे
आज शिवरात्रि है लोग सोशल मीडिया पर मुबारकवाद भेज रहे हैं तो हम और हमारे बहुत से लोग उन्हें ऐसा करने से मना कर रहे हैं।
अब समझने की बात यह कि हमारे लोग शिवरात्रि की मुबारकवाद क्यों भेज रहे हैं और हम लोग उन्हें क्यों रोक रहे हैं ?
मैं सबसे पहले यह पूछना चाहता हूँ यदि पिसाई के लिए चक्की में गेंहूँ डालेंगे तो अन्दर से आटा गेंहूँ का ही निकलेगा या मक्की का ?
अब स्वभाविक है कि सभी का उत्तर यही होगा की गेंहूँ डालेंगे तो आटा भी गेंहूँ का ही निकलेगा।
अब मैं जानना चाहता हूँ कि जो लोग शिवरात्रि की मुबारकवाद भेज रहे हैं उनको कभी हम लोगों ने हमारे साथ बैठाकर बाबा साहब अम्बेडकर का मिशन समझाने का प्रयास किया, उनको महामानव ज्योति राव फुले की लिखी हुई गुलामगिरी पुस्तक पढ़ने को दी या फिर मनुस्मृति के बारे में विस्तार से समझाया या फिर बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं को घर घर पहुंचाया।?
हम सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ व्यक्तियों को जागरुक कर सकते हैं लेकिन युद्ध ब्राह्मण वादी व्यवस्था से नहीं जीत सकते हैं?
आपको मैं बताना चाहता हूँ की मीर्च पीसने के बाद यदि चने की दाल पिसेंगे तो उस दाल से प्राप्त होने वाला बेसन मिर्च का असर जरूर दिखाएगा, वैसे ही यदि धनिया पीसने के बाद दूसरा कुछ भी पिसेंगे तो उसमें धनिये की सुगन्ध जरूर आएगी।
जो लोग सोशल मीडिया पर या तो नये जुड़े हैं या मिशनरी पोस्ट पढ़ते कम हैं या उनको ठीक से समझ नहीं आया है वे ही लोग शिवरात्रि Navratri इत्यादि की शुभकामनाएं भेज रहे हैं।
इन्हें रीमूव मत करो कुछ दिनों का मौका दो और उन्हें समझाने का प्रयास करो,सोशल मीडिया के अलावा भी समझाने का प्रयास करो।
पीढ़ी दर पीढ़ी *(हम बचपन से इसी मनुवादी व्यवस्था से पहले बड़े हैं) जो संस्कार हमारे समाज में डाले गए हैं तो स्वभाविक है कि उनका असर तो देखने को मिलेगा लेकिन जो साथी लम्बे समय से सोशल मीडिया पर ठीक से पोस्ट पढ़ रहे हैं उनमें से कुछ ने भी शिवरात्रि की मुबारकवाद नहीं भेजी हैं।*
बाबा साहब अम्बेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को घर घर जब तक हम नहीं पहुंचाएंगे तब तक अच्छा परिणाम मिलना मुश्किल है।
जो भी व्यक्ति सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं सभी व्यक्तियों को पता है और होगा भी कि आज हमारे समाज पर इस मनुवादी व्यवस्था द्वारा कितनी अमानवीय अत्याचार शोषण किया जा रहा है लेकिन इस विषय पर किसी भी हमारे बुद्धिजीवी वर्ग लोग भी इस पर अपना विचार प्रकट नहीं किया इस मानवीय अत्याचार के विरुद्ध हम अपने समाज पर हो रहे अत्याचार को कैसे रोका जाए और हम कैसे इस व्यवस्था के खिलाफ जंग जीते बस सब लोग अंधविश्वास काल्पनिक देवी देवताओं के अंधभक्त बनकर प्रताड़ित हो रहे हैं और अपने समाज को भी प्रतारित करवा रहे हैं सर शर्म आनी चाहिए ऐसे व्यक्ति को
आपको शर्म आनी चाहिए की पांचवी क्लास पास ब्राह्मण आपसे पैर बुझ जाता है आप चाहे जितना भी पढ़ लिख कर ऑफिसर ias ips बन जाए फिर भी ब्राह्मण आपको वह इज्जत को सूरत नहीं दे सकता जो हमें बाबासाहेब ने देख कर गए हम जानते हैं कि सारे समस्याओं का हाल शिक्षा ह लेकिन जो हमारे अशिक्षित समाज इस मनुवादी व्यवस्था ब्राह्मण वादी व्यवस्था के कारण अत्याचार शोषण सहा रहा है क्या उसका जिम्मेदार हम नहीं हैं?
क्या हम सिर्फ खुद के लिए तो नहीं ना सोच रहे हैं?
कुछ हमारे समाज के लोग कहते हैं बुद्धिजीवी वर्ग कि समाज को शिक्षित करो लेकिन शिक्षित करेगा कौन जब तक हम लोग उसको जागरुक नहीं करेंगे तब तक वह शिक्षित नहीं हो पाएगा यहां तक कि मनुवादी व्यवस्था के चपेट में हमारे बुद्धिजीवी वर्ग भी आए हुए हैं अशिक्षित वर्ग व्यवस्था से पीड़ित है तो क्या फर्क पड़ता
मैं आप लोगों को कुछ ही दिनों पहले की घटनाओं को याद दिलाना चाहता हूं
राजस्थान के दलित विधायिका के साथ मारपीट कर दुर्व्यवहार किया गया
पटना में एक दलित लड़की के साथ बलात्कार किया गया
कल झारखंड के पलामू में दो दलितों को जिंदा जला दिया गया
इससे पहले भी हरियाणा में दलित दो दुधमुहे बच्चों को जिंदा जला दिया गया नोएडा में दलित दंपति को सरेआम नंगा करके पुलिस द्वारा पीटा गया इसके साथ ही मोदी के गृह राज्य में गौरक्षकों द्वारा तालिबानी यातनाएं एवं अत्याचार किया गया तथा बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक पासवान शब्द भाई को मुंह में पेशाब पिलाया गया उत्तर प्रदेश में एक पासवान को जिंदा जला दिया गया बाबा साहेब के सच्चे अनुयाई रोहित बेमुला जैसे होनहार छात्र को इस मनुवादी व्यवस्था के कारण हत्या किया गया या करना पड़ा
ऐसे हजारों की संख्या में दिन प्रतिदिन अत्याचार हमारे समाज के ऊपर हो रहा है लेकिन किसी भी नेता से लेकर मंत्री हो या समाजिक कार्यकर्ता हो या संगठन हो किसी ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया एवं विरोध के लिए आगे नहीं बढ़ा।
इससे ही मनुवादियों का हौसला बढ़ते जा रहा है क्योंकि हमारा समाज और हमारे समाज के कुछ नेता राजनेता मंत्री सब के सब मनुवादियों के चाटुकार है चमचे है दलाल है सिर्फ अपने फायदे के लिए राजनीति कर रहा है उसे अपने समाज पर हो रहे अत्याचारों से कोई मतलब नहीं है
दोस्तों जब आपने इतिहास उठा कर देखेंगे तब आपको अपने महापुरूषों की योगदान एक कठिन घड़ी समस्याओं को झेलते हुए हमारे महापुरुषों ने हमें समानता भाईचारा एवं आर्थिक राजनीतिक शैक्षणिक स्तर पर लाकर हमारे समाज को यहां तक पहुंचाया और हक दिलाया।
हमारे जितने भी महापुरुष हुए सभी ने अपने युवा व्यवस्था में ही समाज के लिए पूर्ण रुप से समर्पित हुए जैसे महात्मा ज्योतिबा फुले, पेरियार रामास्वामी, संत गाडगे, बाबा साहेब डॉक्टर भीम राव अंबेडकर, मान्यवर काशीराम और भी महापुरुषों ने निस्वार्थ भाव से अपने समाज के लिए अपना सारा जीवन न्यौछावर किए इनमें से किसी भी महापुरुष ने मनुवादियों के गुलामी नहीं किए (हमेशा मनुवादी ब्राह्मण वादी व्यवस्था का खुल कर विरोध किया) और नहीं चाटूकार बने हमेशा अपने समाज के लिए समर्पित रहे
अगर इन महापुरुष मनुवादी व्यवस्था के गुलाम रहते तथा दलाली करते तो आज हम और हमारा समाज का इस्तिथि ऐसी नहीं होती जितना बेहतर आज हम हैं (100 साल पहले से) इन सभी महापुरुषों के कारण खासकर परम पूज्य बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के रिऋ हैं हम लोग हमारे समाज पर हो रहे अत्याचारों का समाधान के लिए हमारे महापुरुषों ने रास्ते बतलाया
जरूरत है हमे अमल करने की तथा आत्मसत होने की!
जरूरत है हमें जन आंदोलन के तहत सड़क पर उतरने की!
दोस्तों जनांदोलन में वह शक्ति है कि चाहे जितनी भी शक्तिशाली दलित विरोधी व्यवस्था हो या सरकार हो वह सब हमारे जूते के नीचे आ सकता है
जरूरत है हम सभी को एक मंच पर आकर इन सभी मानव विरोधी व्यवस्थाओं के खिलाफ संघर्ष करने की
हम लगभग अनुसूचित जाति 30% परसेंट है
भाई बुरा न मानना ! हिन्दू मतलब गुलाम, काफिर, चोर, गवांर, होता है। और ब्राह्मणवादी मनुवादी शैतानी व्यवस्था के गुलाम मानसिकता वाले कपोलकल्पित हिन्दू धर्म के कपोल कल्पित और आस्तित्व विहीन देवी-देवताओं, तीज-त्योहारों, आडम्बर, अंधविश्वास आदि को मानना गुलामी मानसिकता का प्रतीक व परिचय होता है। इसलिए मुझे सिर्फ मूलनिवासी(sc,st,obc&minorities) समाज में जन्मे समस्त संत गरूओं, महापुरुषो जयंती व मूलनिवासी समाज के कल्याण की तिथि आदि की बधाई व शुभकामनाएँ ही दें। कष्ट के लिए खेद है ।
दोस्तों कम लिखना और ज्यादा समझना
जागो और जगाओ अंधविश्वास पाखंडवाद मनुवाद ब्राह्मण बाद भगाओ समाज को शिक्षित करो संगठित करो और जागरुक करो
बाबा साहब को पढो, आगे बढ़ो।
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