Tuesday, 14 February 2017

हिन्दू धर्म पर गर्व है

एक OBC युवक का इंटरव्यूह
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(युवक जिसे हिन्दू धर्म पर गर्व है। उसकी एक पत्रकार से वार्ता के कुछ अंश ........)

पत्रकार : आप किस धर्म से आते हैं ?

युवक :  हिन्दू !
          और मुझे हिन्दू धर्म पर गर्व है।
"गर्व से कहो, हम हिन्दू हैं।"

पत्रकार : हिन्दू धर्म का मूल आधार क्या है ?

युवक : वेद्-पुराण, मनुस्मृति और वर्ण- व्यवस्था है।

पत्रकार : हिन्दू धर्म में कितने वर्ण होते हैं ?

युवक : चार।

पत्रकार :चरों वर्णों के नाम बताओ ?

युवक :  चार वर्ण निम्नानुसार
            हैं :-
1. ब्राह्मण
2. क्षत्रीय
3. वैश्य
4. शुद्र

पत्रकार : क्या आप ब्राह्मण हैं ....

युवक : नहीं।

पत्रकार : क्या आप क्षत्रीय हैं....

युवक : नहीं।

पत्रकार : क्या आप वैश्य हैं ....

युवक : नहीं।

पत्रकार : (अर्थात आप ऊपर के चार वर्णों में नहीं हो) अब बताइए कौनसा वर्ण बचा ?

युवक : शुद्र।

पत्रकार : इसका मतलब तो यही हुआ क़ि आप शुद्र हैं।

युवक : अरे हाँ।
      हिन्दू धर्म के मूल सिध्दांतों के अनुसार, तो सभी obc शुद्र ही हुए।

पत्रकार : यदि आपको हिन्दू धर्म पर गर्व है, तो आप उसके सिध्दांतों को भी मानते होंगे......

युवक : हाँ।

पत्रकार : तो इसका मतलब ये हुआ की शुद्र का जन्म सिर्फ ऊपर के वर्णों की सेवा करने के लिए ही होता है।

युवक : बिल्कुल सही है। जिसे हिन्दू धर्म पर गर्व है, उसे हिन्दू धर्म के प्रत्येक सिध्दांत और नियमों को मनना ही चाहिए। और ऊपर के तीन वर्णों की सेवा ही, उसके जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

पत्रकार : क्या आप बता सकते हैं  क़ि sc/st क़ि स्थिति हिन्दू धर्म में कैसी है ?

युवक : हाँ ! हिन्दू धर्म में हम शूद्रों(obc) से sc/st की स्थिति बहुत ही खराब है।

पत्रकार : तो sc/st किस वर्ण में आते हैं ?

युवक : जब हम obc शुद्र वर्ण में आते हैं, तो sc/st की क्या बिसात है ? वे तो हर हाल में शुद्र वर्ण में ही आएंगे। बल्कि वे तो माह शुद्र वर्ण में आएंगे।

पत्रकार : हिन्दू धर्म में शूद्रों का क्या स्थान है ?

युवक : ऊपर के तीन वर्णों की सेवा करना। वैसे तो हिन्दू धर्म के अनुसार शूद्रों को पढ़ने, संपत्ति रखने, ज्ञान प्राप्त करने का भी अधिकार नहीं है।

पत्रकार : इसका मतलब ये हुआ क़ि हिन्दू धर्म में वर्ण है, वर्ण में जात-पांत, जात-पांत में ऊंच-नीच और छुआ-छूत, और ब्राह्मण के आगे सब नीच।
     क्या आप मानते हो क़ि हिन्दू धर्म में ऊंच-नीच है ?

युवक :  हाँ ! शतप्रतिशत है।

पत्रकार : तो क्या हिन्दू नीच होते हैं?

युवक : सब नहीं, किन्तु कुछ नीच होते हैं।

पत्रकार : कुछ से क्या मतलब ?

युवक : जो शुद्र वर्ण में हैं, वे नीच हैं।

पत्रकार : शुद्र वर्ण में कौन हैं ?

युवक : जैसे क़ि, ऊपर बताये अनुसार सारे obc, sc एवं st सब शुद्र हैं। जिन्हें सिर्फ नीच माना जाता हैं।

पत्रकार : भारत में इनकी संख्या कितनी है ?

युवक : भारत में obc, sc एवं st की आबादी, कुल आबादी का 75% से 85% है।

पत्रकार : मतलब देश में 75 से 85 प्रतिशत हिन्दू नीच हैं।

युवक : हाँ।

पत्रकार : बताइए ! जिस धर्म में नीचों का बसेरा हो, ओ धर्म कैसे आगे बढ़ सकता है। क्या आपने कभी सोचा क़ि हिन्दू धर्म विश्व का एक मात्र धर्म है जिसमें नीच लोग होते हैं। और जिस धर्म में नीच लोग होंगे..... क्या वह धर्म भी कोई धर्म हो सकता है ?..... जरा सोचिए।

  युवक : धर्म सबको  जोड़ने का काम करता है, तोड़ने का नहीं।मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है क़ि मैं आज तक एक नीच का जीवन जी रहा था।

पत्रकार : आपको पता है, प्राचीन अखंड भारत कैसा था ?

युवक : हाँ !
      एक समय था, जब अखंड भारत (जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल अदि कई देश....आते थे) जो पूर्णतः हिन्दूओं की आबादी से जाना जाता था। किन्तु आज ये सब देश हिन्दू  विहीन हो गए हैं। और आज के भारत को छोड़कर विश्व में कहीं भी हिन्दू नहीं बचा है। और यही नहीं, अब तो भारत के  ही कई राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो रहे हैं।

पत्रकार : तो बताइए..... अब आपको कैसे महसूस हो रहा है ?

युवक : पत्रकार महोदय, अब बात समझ में आई क़ि "जिस धर्म में अपनों को ही नीच समझ गया हो, उनको पढ़ने-लिखने व् सम्पति तक रखने से रोका गया हो, ओ धर्म क्या खाक विकास करेगा।"
    आज बात सचमुच में समझ आई क़ि आखिर क्यों कई लोग हिन्दू धर्म को त्याग रहे हैं और दूसरे धर्मों में जा रहे हैं। आगे भी ऐसी ही स्थिति रही तो कुछ वर्षों के बाद, तो हिन्दू गिनती के रहे जायेंगे।

पत्रकार : अभी-अभी सुना है क़ि आदिवासियों ने अपने-आप को हिन्दू मानने से इंकार कर दिया है। आप इस पे क्या कहना चाहेंगे ?

युवक : बिल्कुल वे सही कर रहे हैं। वैसे भी आदिवासियों की संस्कृति हिन्दू संस्कृति से अलग व् स्वतन्त्र है। यदि उनकी संस्कृति और पहचान को बचाना है, तो उन्हें उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए। यदि उन्होंने अपने को आज तक स्थापित कर रखा है, तो आगे भी जी लेंगे। वैसे देखा जाये, तो भारत के खास मूल निवासी तो आदिवासी ही हैं। और यही नहीं वे ही प्राचीन कालीन भारत के असली मालिक और राजा भी हैं।

पत्रकार : आदिवासी हिन्दू नहीं हैं, इसके पक्ष में कोई सुबूत है ?

युवक : वे हिन्दू नहीं हैं। इसका सुबूत सन् 1891 की जनगणना  है। क्योंकि इसी जनगणना से sc/st की जानकारी एकत्र करते समय उनके धर्म वाले कालम में हिन्दू लिखा जाना शुरू हुआ है। इससे पूर्व sc/st को हिन्दू नहीं माना गया था। आप इतिहास उठाकर देख सकते हैं।

पत्रकार : आखिर ऐसा क्यों करना पड़ा होगा ?

युवक : ऐसा इसलिए करना पड़ा, क्योकिं इसी वक़्त मनुवादियों को ये बात समझ में आ थी क़ि हिंदुओं की संख्या निरंतर घटती जा रही है। और अब भी नहीं चेते, तो हमारा बुरा हाल होने में देर नहीं लगने वाली है। और भयभीत हो तत्कालीन मनुवादियों ने sc/st को  हिन्दू मानना प्रारम्भ किया । किन्तु चौथे वर्ण शुद्र वर्ण में।

पत्रकार : यदि नीचता से मुक्ति पाना है, तो क्या करना चाहिए ?

युवक : फौरन हिन्दू धर्म को त्याग देना चाहिए। जिस धर्म में मान-सम्मान, प्रतिष्ठा, इज्जत, समानता नहीं हो, वहां क्या रहना। इस जंजीर को जितने जल्दी हो सके, तोड़ देना चाहिए।

पत्रकार : यदि कोई obc/st/sc ऐसा नहीं करता, तो उसके लिए आपका क्या सन्देश है ?

युवक : यदि वह ऐसा नहीं करता, तो समझिए- वह अपनी आने वाली भविपिढी को विरासत में नीचता सौंपने जा रहा है। 

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