Sunday 26 February 2017

मोहम्मद_साहब द्वारा दी गई शिक्षाओं में दो अहम बातें

मोहम्मद_साहब द्वारा दी गई शिक्षाओं में दो अहम बातें __

1_ उनकी शिक्षाएं किसी एक देश या धर्म के लिए नहीं है ....
2_ उनकी शिक्षाएं 1500 वर्ष पहले भी उतनी ही प्रासांगिक थी.. और आज भी हैं ...
जीवन के हर पहलू पर उनका संदेश है ..यह अलग बात है कि उनके संदेश को गलत अर्थों में ले लिया गया है.... अर्थशास्त्री भले ही #ब्याज को #मूलधन का #किराया या #शुल्क मानते हैं लेकिन #इस्लाम में ब्याज को #ममनू यानी #अनुचित माना गया है ....
इस्लाम के मुताबिक ब्याज एक ऐसी व्यवस्था है जो... #अमीर_को_और_अमीर और #गरीब_को_और_गरीब बनाती है...
 #पवित्र #कुरान ब्याज को स्पष्ट रूप से #वर्जित मानती है क्योंकि यह #शोषण का एक प्रकार का ज़रिया है क्योंकि ब्याज की कमाई से #बरकत खत्म हो जाती है ....ब्याज खाने से धन की हानि होती है जबकि दान देने से इसमें और बरकत होती है ....
ब्याज  एक प्रकार का शैतानी धोखा है ..क्योंकि ...ऐसे लोग कयामत के दिन खड़े नहीं हो पाएंगे .....#क़ुरान  में #व्यापार को #वैध कहा गया है लेकिन #ब्याज को पूरी तरह से #अवैध करार दिया गया है ...
जिन्होंने #मोहम्मद_साहब के इस हिदायत को माना उनका मामला #हुज़ूर को सुपुर्द होगा....
यदि तुम सच्चे दिल से #ईमान रखते हो तो ना तो तुम खुद जुल्म करो और ना किसी पर होते हुए देखो...
अगर तुम्हारे पास धन है तो लोगों को #कर्ज दो और उन्हें वापसी का इतना समय दो कि वह आत्महत्या न करें .. #मालिक से डरते हुए उस की #नाफरमानी से बचते हुए सही #जायस #हलाल तरीके  अपनाइए.... तभी आप सच्चे मुसलमान कहलाने के हकदार हैं.....

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