‘हिम्मत है तो तो असली किंगपिन को पकड़िये जिनके इशारे पर ये सब हो रहा है।" बोला परेमश्वर राम
पटना Live डेस्क। बिहार कर्मचारी चयन आयोग के सचिव परमेश्वर राम को गिरफ्तार कर लिया गया है। साथ में पटना के सिपारा निवासी डेटा एंट्री ऑपरेटर अविंनाश को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रश्न पत्र लीक मामले का सच खांगलने खातिर गठित एसआईटी ने अपनी पीठ थपथापते हुए सारा ठीकरा आयोग के सचिव परमेश्वर राम पर फोड़ दिया है। लेकिन कहते है आप सच को जितना छुपाने की कोशिश करेंगे सच न्यूटन के थर्ड लॉ की तरह जबरदस्त ढंग से प्रतिक्रिया देता है। आइये जानते है इस तमाशे का सच और झूठ को दबाने के प्रयास का सच विस्तार से...
मंगलवार की रात एसएसपी मनु महाराज के नेतृत्व में एसआईटी ने भागवत नगर स्थित बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम के आवास पर पूरी तैयारी के साथ धावा बोलती है। काम कर रहे है जताने खातिर मिडिया को खबर लीक कर दी जाती है। खैर ख़ाकी का काफ़िला और कैमरों के चमकते फ्लैश जाँच शुरू होती हैं।
अंततः बिहार कर्मचारी चयन आयोग के सचिव और पर्चा लीक कांड के सूत्रधार परमेश्वर राम को साबित कर उन्हें एसआईटी डिटेन यानी हिरासत में ले लेती है। आरोप है कि राज्य में अराजपत्रित और तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की बहाली करने वाले बिहार कर्मचारी चयन आयोग के सचिव की मिली भगत से परीक्षा से पहले ही पर्चा बाजार में बिकने लगता है और अंदरखाने भी ले-देकर रिजल्ट दिया जा रहा है। जब पानी सिर से ऊपर चला गया तो सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया।
एसआईटी के अफसरों ने जब पूछताछ के लिए आयोग के सचिव परमेश्वर राम को धरा तो पहले वह अकड़ने लगे। फिर अपने राजनीतिक आका का नाम लेकर मोबाइल से उनका नंबर मिलाने लगे पर एसआईटी के लोग नरम नहीं पड़े। एक गठीले बदन वाले पुलिस अधिकारी ने जब उनके गाल पर कसकर दो झापड़ मारा तो परमेश्वर राम के हलक से सच बाहर आने लगा। फिर सच्चाई सुनकर पटना के सीनियर एसपी मनु महाराज समेत नहां मौजूद तमाम अधिकारी सन्न रह गए।
पूछताछ के दौरान परमेश्वर राम ने 36 राजनेताओं यानी 7 मंत्री और 29 विधायको का जिक्र करते हुए सभी द्वारा माल पत्तर समेत लाभांवित होने का विवरण दिया। साथ ही राज्य के उच्च पदस्थ 9 आईएएस अधिकारियों का नाम लिया है जो किसी न किसी रूप में इस घोटाले का लाभार्थी रहे हैं।गिरफ्तार परमेश्वर राम ने खुलासा किया है कि आयोग ने पिछले 5 सालों में जितनी भी नियुक्तियां की हैं, सभी में भयंकर गड़बड़ियां हुई हैं। अरबों रूपये की उगाही हुई है तथा सैकड़ों बड़े अधिकारियों और राजनेताओं के सगे-सम्बधियों की बहाली की गई है।
परमेश्वर राम ने रोते हुए पूछताछ करने वाले पुलिस अधिकारी से कहा ‘‘देवता, हम तो इस वृहद स्कैम के एक अदने से खिलाड़ी हैं। हमें क्यों इतना पीट रहे हैं।” फिर ख़ाकी को ललकारते हुए कहा, ‘‘हिम्मत है तो तो असली किंगपिन को पकड़िये जिनके इशारे पर ये सब हो रहा है।’’
जाँच में शामिल विश्वस्त सूत्रों के अनुसार हर बार की तरह इस बार भी क्वेश्चन लीक मामले के तार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से जुड़े होने के पुख्ता सुबूत "गुरुजी" तक जा रहे है। सबसे बड़ी बात यह है कि पूरे भारत को कैट का पर्चा लीक कर हिला देने वाले कुख्यात रंजीत डॉन के साथ-साथ मुख्यमंत्री के एक करीबी बड़े पूर्व ब्यूरोक्रैट जो अब खादी पहनकर राजनेता बन चूके है की संलिप्तता की भी आशंका और लिंक पर जोर ढंग से जुड़ती जा रही है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इस बता से लगाया जा सकता है कि सीएम नीतीश कुमार ने पिछले दिनों एक सभा में कहा था ‘‘मुझे अपने लोगों को समझने में बड़ी दिक्कत हो रही है कि कौन चोर है और कौन साधु।
वही दूसरी तरफ नीतीश कुमार के एक करीबी अधिकारी बताता है ‘‘साहब को जानकारी थी कि कई घोटालों का मास्टरमाइंड रंजीत डॉन और 3 राजनेता एकसाथ एक रिटायर्ड पुलिस अफसर के घर पकौड़ी खा रहे हैं, फिर भी उसी में से एक नेता अभी मंत्रिमंडल में शामिल है और नीतीश कुमार को पीएम बनाने का बीड़ा उठाए हुए है।’’हल्ला यह भी है कि छपरा जिले से आने वाला और दशकों से राजनीतिक पैठ रखने वाला एक बड़ा राजनेता भी पर्दे के पीछे से घोटाले को अमलीजामा पहनाने के लिए डाइरेक्शन दे रहा था।
बहरहाल, अगर जांच निष्पक्ष तरीके से हुई तो जांच की परिधि में कई सफ़ेद झक झक सत्ता के दुलरुआ समेत ब्यूरोक्रेट के लपेटे में आने की प्रबल आशंका है। साथ ही सरकारी जाती यानी मुख्यमंत्री की जाती के नालन्दा तथा नवादा के कई शातिर लोग हैं जो इस घाटाले में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पर आशंका यह भी है कि जांच जितनी तेजी से और जितनी लंबी चल जाए परंतु किसी भी शर्त पर इस घोटाले का न तो गुरू पकड़ाएगा और न ही गुरूघंटाल। तभी तो सत्ता की गलियों में एसआईटी का मतलब कुछ यु समझाया जाता है। सच का अनुसन्धान दस्ता मतलब ... बुझे।
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