Sunday 26 February 2017

हत्याएं ब्राह्मणी षड्यंत्र के तहत की जाती हैं

 दुनियां में 4 तरह की हत्याएं ब्राह्मणी षड्यंत्र के तहत की जाती हैं
1- बौद्धिक हत्या
2- मानसिक हत्या
3- चारित्रिक हत्या
4- शारीरिक हत्या

बौद्धिक हत्या
       बौद्धिक हत्या करने के लिए शिक्षा का अधिकार छीन लिया जाता है बौद्धिक ज्ञान की पुस्तकों को नष्ट कर धार्मिक कर्म कांड की पुस्तकों को स्थापित कर उस धार्मिक ज्ञान का अधिकार जाति विशेष को दे दिया जाता है हम्मर देश में क्षुद्रों अति क्षुद्रों क्षत्रियों वैश्यों से शिक्षा का अधिकार छीन ब्राह्मणो को दे दिया नालन्दा जैसे विश्वविद्यालयों को नष्ट कर उनके बौद्धिक ज्ञान की पुस्तकों को जला मनुस्मृति जैसे ग्रन्थ लिख 5000 साल से शिक्षा का अधिकार छीन लिया वह हमारी बौद्धिक ह्त्या थी बौद्धिक हत्या धार्मिक रूप से गुलाम बनाने के लिए की जाती है

मानसिक हत्या
        मानसिक हत्या के लिए किसी जाति किसी व्यक्ति को शुद्र अति शुद्र अछूत कह कर उसे मानसिक रूप से अवसाद ( डिप्रेशन ) में ले जाकर की जाती है वह अवसाद से ग्रसित हो कर समाज से अलग थलग पड़ जाता है भविष्य में उनकी पीढियां अवसाद से ग्रसित हो कर मानसिक तौर पर गुलाम बन जाती हैं देश की जाति व्यवस्था इसी का रूप है

चारित्रिक हत्या
      किसी व्यक्ति किसी जाति के चरित्र का हनन कर चारित्रिक  हत्या की जाती है जिस से वह व्यक्ति वह जाति समाज से अलग थलग पड़ जाए हमारे तुकाराम लिंगायत धर्म के संस्थापकों जैसे संतों के चरित्र का हनन करने  का प्रयास चारित्रिक हत्या थी पंजाब में 1984 के दंगों के बाद सिखों को बदनाम करना मुरथल गैंग रेप जैसे झूठे षड्यंत्र जाटों की चारित्रिक हत्या का षड्यंत्र था

शारीरिक हत्या
     शारीरिक हत्या राजनैतिक सत्ता और धर्म की सत्ता को स्थापित करने के लिए की जाती है पृथ्वी को परशुराम द्वारा क्षत्रिय मुक्त करना राजनैतिक हत्या थी महात्मा बुद्ध और संतों की हत्या धर्म को स्थापित करने के लिए शारीरिक हत्या थी

निष्कर्ष
   सबसे खतरनाक बौद्विक हत्या है जो हमें ज्ञान से दूर कर पाखंडवाद की और धकेल धार्मिक तौर पर धर्म के ठेकेदारों की गुलाम बना देती है
    उसके बाद खतरनाक है मानसिक हत्या जो हमें अपने अधिकारों की लड़ाई से वंचित कर देती है
    उसके बाद कम खतरनाक है चारित्रिक हत्या जो हमें समाज से अलग थलग कर देती है
   सब से कम खतरनाक है शारीरिक हत्या जो केवल शरीर को खत्म करती है विचार धारा को नहीं    

1 comment:

  1. नौकरी

    यह कैसा लॉजिक है ,

    किसी भी सरकारी विभाग की Vacancy निकलती हैं तो उसकी फार्म फीस 500-700 होती ही हैं

    सरकार विद्यार्थियों से पैसा कमाना चाहती हैं या उन्हें रोजगार देना ??? अभी तक पता नहीं चला है ।

    उदाहरण के लिए:-
    पोस्ट होती हैं 50 (Seat)
    फॉर्म पूरे भारत से भरवाते हैं ।

    फॉर्म फीस होती हैं 500 रु ,
    50 लाख से 80 लाख विद्यार्थी फॉर्म भरते हैं

    आइये सरकार का फायदा देखते हैं

    500 रु फॉर्म फीस × 50,00,000 विद्यार्थीयों ने फॉर्म भरें =
    (कुल आय फॉर्म फीस से)
    2 अरब 50 करोड़ रु

    नौकरी देनी हैं 50 को
    सैलेरी 25000 रु प्रति माह मान लेते , ज्यादा मानी गयी हैं इतनी होती नहीं हैं

    25000 × 50 लोग = 12,50,000 महीना

    12,50,000 × 12 महीने = 1 करोड़ 50 लाख

    चालीस साल की नौकरी करने पर
    1,50,00,000 × 40 साल = 60 करोड़

    सरकार की फॉर्म फीस कुल आय = 2 अरब 50 करोड़ रूपए

    अप्पोइंटेड लोगों की 40 साल तक की सैलेरी
    60 करोड़ रु

    2,50,00,00,000 – 60,00,00,000 = 1,90,00,00,000

    सरकार की कुल आय = 1 अरब 90 करोड़ रु

    मेरा सवाल – सरकार व विभाग से यह हैं कि आप विद्यार्थीयों को नौकरी देना चाहते हैं या
    पैसा कमाना चाहते हैं ???

    इस संदेश को अपने जान पहचान के लोगों को अवश्य बांटे…...
    👉🏻 घुमा दो सारे ग्रुप मैं

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