Wednesday, 8 February 2017

ज्योतिबा फुले

1) ज्योतिबा फुले के पास जब न्याय मुर्ति गोविंद रानाडे गये कि आप आजादी के आंदोलन में शामिल हों तथाकथित आजादी के आंदोलन में ज्योति बा फुले शामिल नहीं हुए और लिखकर रखा और कहा हम दोहरे गुलाम हैं ब्राह्मण अंग्रेजों के गुलाम हैं हम ब्राह्मणों के गुलाम हैं अंग्रजों के भारत में रहते हमें ब्राह्मणों से आजादी का आंदोलन चलाना होगा यह मौका है इसे बेकार मत जाने दो 

 2) बाल गंगाधर तिलक कोल्हापुर (महाराष्ट्र )में शाहुजी महाराज के पास गये कि आजादी के आंदोलन में शामिल हों शाहुजी महाराज नें मना कर दिया और हमारे लोगों को हमारी आजादी के आंदोलन को चलाने को कहा 

 3) लाला लाजपत राय बाबा साहब अम्बेडकर के पास गये और कहा आजादी के आंदोलन में शामिल हो बाबा साहब नें मना किया और हमारे लोगों को तथाकथित आजादी के आंदोलन के बारे में कहा 

 " जिन लोगों कि बातें गुलामी में सहन नहीं होती है आजाद भारत में इनकी लातें खानी पडेगी इसलिए हमें हमारी आजादी का आंदोलन चलाना चाहिए हमारे महापुरुषों पर यह आरोप लगाया जाता है कि वह तथाकथित आजादी के आंदोलन में शामिल नहीं हुए बिल्कुल गलत उन्हें आरोप सही तरह से लगाना चाहिए कि हमारे महापुरुष ब्राह्मणों कि आजादी के आंदोलन में शामिल नहीं हुए तब तो हमारे लोगों को तथाकथित आजादी का आंदोलन भी समझ आता और उनके आरोप का जवाब देने कि जरूरत नहीं होती भारत में कानून बनाने वाली सभा में हमारे लोग भी शामिल होने के लिए मांग कर रहे थे तब बाल गंगाधर तिलक नें अथनी व पंढरपुर में सभा करके कहा

 "तेली तम्बोली कुन्भटों को संसद में जाकर क्या हल चलाना है " जो यह विधि मंडल में जाने कि बात कर रहें हैं यह बात बालगंगाधर तिलक जिसके संपादक थे केसरी नाम कि पञिका में उस समय छपी हमें यह पढाया जाता है कि स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार हे हम इसे लेकर रहेगें और कहा जाता है 

यह इतिहास है परन्तु हमें यह नहीं पढाया जाता कि तेली तम्बोली कुन्भटों को संसद में जाकर क्या हल चलाना है हम कहते हैं यह भी पढाओ यह भी इतिहास है

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