जय भीम जय भारत
4 जनवरी 1945 को डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी बंगाल के कलकत्ता में एक भाषण दिया जिसमें उन्होंने कहा कि "
ब्राम्हण (हिन्दू ) परजीवी है !
"हम कड़ी मेहनत करते है,वे हमारे श्रम का रस चूस लेते है।अगर आज़ादी इस शोषण का अंत नहीं कर सकती तो ऐसी आज़ादी मिले या न मिले कोई फर्क नहीं पड़ता!""
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी के बयान से नेहरू और गांधी तिलमिला उठे,उन्होंने कई ब्राम्हणो को अपने अखबारों में लोगो को डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी के बयान पर भड़कानेवाले खबरे लेख लिखने के लिए कहा। परिणाम वही हुआ की उत्तर भारत में ब्राम्हण आग बबूला हो उठे और दक्षिण भारत के ब्राम्हण भी बौखला उठे!!!
दक्षिण भारत में ब्राम्हणो ने जब डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी के उक्त विधान का विरोध करना शुरू किया तब ओबीसी नेता पेरियार रामासामी नायकर मैदान में उतरकर आये और डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी का खुलकर समर्थन किया। इतना ही नहीं ओबीसी हिन्दू नहीं है ,वे भारत के असली मूलनिवासी है यह भी गर्व से कहा। पेरियार रामासामी जी ने डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी के समर्थन में तुरंत 6 जनवरी 1945 को अपने कुड़ियारासु (रिपब्लिक) अखबार में संपादकीय लिखा उसका शीर्षक था :-क्या शोषित वर्ग हिन्दू है?
पेरियार जी ने विदेशी ब्राम्हणो पर हमला बोलते हुए लिखा की
अगर आप किसी चोर को चोर कहेंगे तो निश्चित तौर पर उसे बुरा लगेगा।अगर आप किसी वेश्या को वेश्या कहेंगे तो वह ग़ुस्से से लाल हो जाएंगी।इसी तरह अगर आप दूसरों की मेहनत पर जिन्दा रहने वाले लोगो को परजीवी कहेंगे तो उनको दिक्कत होगी।हम इन लोगो को भला और क्या कहे? क्या हमें उनकी अनभिज्ञता से सहानुभूति होनी चाहिए या फिर उनको मोटी चमड़ी वाला या बेशर्म कहते हुए हमें चीजो को यू ही उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए।चूँकि हम सभी चीजों को यू ही उनके हाल पर छोड़ देते है इसीलिए उपमहाद्विप में आर्यो के विरुद्ध उपजे तमाम विद्रोह ठंडे पड़ गए या आसानी से दबा दिया गया ।...डॉ आंबेडकर ने जोर देकर कहा कि वंचित वर्ग के लोगो को खुद को हिन्दू नहीं कहना चाहिए।हम उनके समर्थन में है।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी ने उस समय जिस समय आज़ादी की चर्चा चरम पर थी उस समय किसी की पर्वा न करते हुए कहा कि ब्राम्हण परजीवी है ।यह बात आज भी 200%सच सिद्ध होती है।
विदेशी ब्राम्हणो ने ओबीसी का इस्तेमाल ब्राम्हणो की आज़ादी के लिए किया।आज भी वही ब्राम्हण ब्राम्हणो की व्यवस्था अर्थात मनुस्मृति की व्यवस्था को लागू करने के लिए इस्तेमाल
कर रहे है।
डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी के समर्थन में पेरियार रामासामी थे आज फिर से विदेशी ब्राम्हणो के गुलामी से आजादी दिलाने के लिए सभी महापुरुष हमारे साथ है...
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