हरिजन का तथ्य
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क्या आपको पता है, हरिजन किसे कहते है?
आप से करबद्ध प्रार्थना है कि इस सन्देश को बहुत ही इत्मीनान से पढ़ना , जल्दी मत करना इसका एक एक शब्द हम सब की जानकारी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।
आज मैं आपको यह महत्वपूर्ण राज की बात बताता हूँ..
हरिजन किसे बुलाते है… ?
इसे पढ़ कर आप कभी भी जिंदगी में अपने आपको हरिजन कहलवाना पसन्द नहीं करोगे ।
इन तथाकथित ब्राह्मणों के एक और शर्मसार कर देने वाला कारनामा आपके सामने प्रस्तुत है…..................
यह बात है देव दासी प्रथा की; देवदासी प्रथा ब्राह्मणों के इतिहास का और संस्कृति का एक बहुत पुराना और काला अध्याय है, जिसका आज के समय में कोई औचित्य नहीं है । इस प्रथा को ख़त्म कर के उन औरतों और बच्चियों के भविष्य की नींव का मजबूत होना बहुत ही आवश्यक है.. जो
इस प्रथा कि शिकार
हुई है…..................
देवदासी प्रथा किसे कहते है ?
वो महिलाएं जो धर्म के नाम पर दान कर दी जातीं हैं और फिर उनका जीवन धर्म और शारीरिक शोषण के बीच जूझता रहा......जो सारी जिंदगी इन ब्राह्मणों और मंदिर के पुजारियों की गंदी सड़ी हवस का शिकार बनती रही हैं …
लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये घिनौनी प्रथा भारत के कई क्षेत्रो में आज भी जारी है ।
आज भी आंध्र प्रदेश में, विशेषकर तेलंगाना क्षेत्र में दलित महिलाओं को देवदासी बनाने या देवी देवताओं के नाम पर मंदिरों में छोड़े जाने की रस्म चल रही है ।
“देवदासी बनी इन मासूम महिलाओं को इस बात का भी ज़रा सा भी अधिकार नहीं रह जाता कि वो किसी की भी हवस का शिकार होने से इंकार कर सकें ।
जिस शारीरिक शोषण के शिकार होने के सिर्फ जिक्र करने भर से रुह कांप जाती हैं, उस दिल दहला देने वाले शोषण को सामना ये देवदासियां हर दिन रात करती हैं । देवदासी प्रथा भारत के दक्षिणी पश्चिम हिस्से में सदियों से चले आ रहे धार्मिक उन्माद की उपज है ।
जिन बालिकाओं को देवी-देवता को समर्पित किया जाता है, वह देवदासी कहलाती हैं ।
देवदासी का विवाह देवता से हुआ माना जाता है, वह किसी
अन्य व्यक्ति से विवाह नहीं कर सकती । सभी पुरुषों में देवता का अक्श मान उसकी इच्छा पूर्ति करना उनका धर्म माना जाता है । और ये घिनौनी प्रथा ब्राह्मणों द्वारा रचित है ।
इस घिनौनी प्रथा से एक और शब्द जुड़ा हुआ है. जो पिछड़े वर्ग के ऊपर एक मोहर की तरह लगा दिया गया है , जिस से बहुत से लोग अनजान होंगे !
दोस्तो देवदासी अकसर मंदिर के पुजारी की हवश का शिकार होती है और जब पुजारी का मन उस से भर जाता था तो वो अन्य लोगो को भी इस देवदासी का भोग करने के लिए भेजता और कमाई भी करता था । … तो ऐसे में इन देवदासियों के बच्चे होना भी आम बात है पर उन बच्चो को कोई बाप का नाम नही देता था ना मंदिर का पुजारी और ना ही वो लोग जो इन देवदासियों को अपनी दरिंदगी से रौंदते थे
उन बच्चो को फिर आखिर भगवान का बच्चा कहा जाता था यानी कि “हरीजन” जो पिछड़े लोगो के लिए मोहनदास कर्मचन्द गांधी ने दलित जाति वालो के ऊपर एक मोहर लगा कर थोप दिया गया है ।
"हरीजन" शब्द देवदासी प्रथा से पैदा हुआ शब्द है जिसे गांधी ने पिछड़े वर्ग के ऊपर जाति बना कर थोप दिया और जिस गंदे शब्द को आज भी पिछड़े वर्ग के लोग ढो रहे है ।
दोस्तो हरीजन अगर दलित जाति के लोगो को कहेंगे तो अन्य जातियों को शैतान की औलाद कहेंगे ।
देवदासियों के बच्चों के लिए प्रयोग होने वाला शब्द कुछ मनुवाद के पुजारियों ने पिछड़े लोगो के ऊपर थोप दिया जिसका सही अर्थ होता है “नाजायज औलाद ” जिसके बाप का पता ना हो उसे इन गधो ने हरीजन नाम दे दिया ।
अब जब तक आपको इस का ज्ञान नहीं था तबतक जैसे तैसे बर्दास्त कर रहे थे अब चूँकि पता लग गया है और आपकी ज्ञानवृद्धि हो गयी है तो अब यह गंदा शब्द सपने में भी बर्दास्त मत करना ।
जो दोस्त इस बात से अनजान हो और वो अब किसी पिछड़े वर्ग को हरीजन कहने से पहले हकीकत जरुर जान ले..
इस शब्द का उपयोग कभी भी किसी के लिए ना करे ।
और ब्राह्मणो के पाखंड की हकीकत जाने और आज यह कसम ले कि प्रत्येक सदस्य कम से कम सौ लोगो में यह सन्देश प्रसारित करेगा !
अगर ऐसा होगा तो कुछ ही दिनों में यह मैसेज आग की तरह प्रत्येक बहुजन भाई के मोबाइल में ही नहीं उसके दिल की गहराइयों तक उतरना चाहिए और पढ़ कर शर्माने की आवश्यकता नहीं है इसे अपने भाई बहन माँ बाप को भी अवगत कराऐं ।
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