Friday, 10 February 2017

भारत के पतन का मुख्य कारण

भारत के पतन का मुख्य कारण:-

भारत की दुर्दशा का मुख्य वजह "ठोस और तरल" का है।

ये ठोस और तरल क्या है?
नौंवी सताब्दी से लेकर पूर्व के आगे ज्ञात काल तक के भारत की सामाजिक वर्गीकरण वर्णानुसार नहीं मिलता है। यह मेरे कहने मात्र से सिद्ध नहीं हो जाता है बल्कि सामाजिक प्रमाण है।
1) नौवीं सताब्दी से पूर्व के समय में एक भी सम्राट का वर्णानुसार क्षत्रिय नहीं पाया जाना।
इस काल के भारत को सोने की चिड़िया बोली जाती थी।
 इस काल में कुछ विदेशी शासक भारत की सत्ता पर बैठे लेकिन वो भारतीय समाज में कहाँ विलीन हो  गए या घुल-मिल गए ये बताना बहुत ही कठिन है।
लेकिन
नौंवी सताब्दी के बाद के भारत में अधितम सम्राट क्षत्रिय वर्ण से हुए।
यह भी मेरे कहने से सिद्ध नहीं होगा बल्कि आप स्वयं देख सकते है।
1) नौवीं सताब्दी बाद के भारत में सभी राजा का क्षत्रिय वर्ण से होना।
यानि भारत की सामाजिक व्यवस्था इसी जगह से आमिर और गरीब वर्ग से बदलकर वर्ण में बदला था।
जो गरीब वर्ग पहले अपनी नेतृत्व शक्ति से सम्राट बन जाता था वह अब एक वर्ण विशेष की बपौती हो गयी।

जो गरीब वर्ग धन प्राप्त कर आमिर वर्ग का हो जाता था वह अब एक वर्ण विशेष की रखैल हो गयी।

जो गरीब वर्ग ज्ञान प्राप्त कर ज्ञानी हो जाता था वह अब एक वर्ण विशेष की थाती हो गयी।

ब्राह्मणों ने अपनी सर्वोच्चता सदा बनाये रखने हेतु, पुरे भारतीय समाज को तरल से ठोस बना कर पंगु कर दिया था।
 भारत की सामाजिक और शासकीय पतन के शुरुआत का मुख्य वजह ये वर्ग से वर्ण बनना ही है।
 कारण:-  एक तो समाज में वर्ण विभक्ति यानि आप कितना भी ज्ञानी हो जाओ वर्ण नहीं बदल सकता और आप ज्ञानी होने का सम्मान नहीं पा सकते, दूसरा आप कितना भी शक्तिशाली बन जाओ लेकिन सम्राट नहीं बन सकते हो।

इससे आम जन मानस के दिलो दिमाग पर ये बैठ दिया गया कि तुम सभी कभी भी ज्ञान,सत्ता और धन के अधिकारी नहीं बन सकते ही, इस पर सिर्फ ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य का अधिकार है और आगे भी रहेगा।

इस वजह से भारतीय बहुसंख्यक समाज मान बैठा था कि शासक क्षत्रिय रहे या मुग़ल या अंग्रेज, हमें तो वर्ण अनुसार ही जिंदगी जीना है।
ब्राह्मणों द्वारा पैदा किये गए इसी वर्ण विभक्ति के बाद से भारत में मुग़ल शासक, अंग्रेज शासक का आगमन हुआ ।
इस विदेशी शासक के आगमन में ब्राह्मणों द्वारा पैदा किया गया नकली शक्तिशाली क्षत्रिय टाय-टाय फिस ही नहीं हुआ बल्कि अपनी इज्जत आबरू बेचकर भारत के पूरे जनमानस को गुलाम बना दिया। दूसरा अपने को ज्ञानवान की उपाधि से विभूषित करने वाला भांड का काम करने लगा। तीसरा धन का ठेकेदार भारत के खजानों का खुफिया जानकारी देता गया।

ब्राह्मणों द्वारा भारत की इतनी गति-दुर्गति करवाने के बाद भी आज पुनः उसी ब्राह्मणों द्वारा भारतीय समाज में विद्वेष पूर्ण बातों को भरा जा रहा है और लोग उस धूर्त के कर्मकांडो पर आश्रित है।
आज भी ब्राह्मण, उस वर्ण रूपी कटुता और अपने विषैले कर्मकांड से समाज को निकलने नहीं दे रहा है।


मांटेस्क्यू एक् बहुत बड़े विचारक हुए है,

 फ़्रांस में, 

उन्होंने एक् बहुत ही मनोवज्ञानिक बात कही थी कि - 

फ़्रांस के लोग पोप का आदर इसलिय करते है कि ये लोगो की आदत हो गई है ?
और यही बात मार्क्स ने भौतिकवाद के संदर्भ में कही थी कि - 

धर्म एक् अफीम है, जो लत एक् बार लग जाए तो फिर छोडना आसान नही ? 
और भारतीय इतिहास इसका प्रमाण दे रहा है -------------------
1025 में मुहम्मद गजनी ने गुजरात के सोमनाथ मंदीर पर आक्रमण किया  तो उस समय गुज़रात का राजा मूलराज था, उसे जब मालुम हुआ कि गजनी आ रहा है तो रातों - रात अपनी राजधानी छोड़ कर भाग गया ?............... 

और देवसोमनाथ में कोई गजनी से लड़नेवाला नही, केवल पंडे - पुजारी हवन करते हुए मिले कि गजनी यहाँ तक आते- आते अंधा होज्यगा, पर वो अंधा नही हुआ ? आ गया ?
उसने देवसोमनाथ का पूरा धन अपने सामने इक्कठा करवाया तो इतना धन देखकर वो हक्का- बक्का रह गया ..........? 

इतना धन ? कारण पूछा तो पता लगा कि सोमनाथ का चमत्कार है कि मूर्ती अधर में लटक रही है ? 
इसका राज जानने के लिए गजनी एक् रात रुका, ये जानने के लिए की मूर्ती अधर कैसे लटक रही है ?............

जब इसकी जांच की गई तो पत्ता चला कि गुम्बद में चारों और चुम्बक लगी हुई है, जिसके कारण मूर्ती हवा मे लटक रही है, बस यही एक् कारण है, बाकी चमत्कार का दूसरा कोई कारण नही ? 
गजनी को हमे गुरु मान लेना चाहिए था, कारण 1025 में ही हमारी अंध आस्था को बेपर्दा किया , 

एक् हकीकत दिखाई और एक् साथ तीन राजफाश किये कि इस देश के गढों ( किलों ) में राजा नही, कायर और भगोड़े लोग है ? 
दूसरा इस देश के मंदिरों में भगवान नही, दूकानदार बैठे है ? और तीसरा अति महत्वपूर्ण कि बेईमानी ही भगवान है ?
 

पर हजार साल बाद भी लोग मंदिरों में लाईन लगा कर पत्थर की मूर्तियों के दर्शन करने के लिए खडे है, मूर्तियों के सामने पसरे पड़े है, नाक रगड़ रहे है, कारण ये लोगों की आदत हो गई है, बाक़ी कुछ नही है ?  


अत्त दीपो भव 

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