ब्राह्मणों का त्योहार गुड़ीपड़वा का सच !
महाराष्ट्र में गुडीपाडवा त्यौहार का सच!
गुडीपाडवा ये त्यौहार महाराष्ट्र में खासकर मनाया जाता है! लेकिन बहोत सारे मूलनिवासी, obc sc st मराठा समाज ने अब तक इसके पीछे का इतिहास जानने की कभी कोशिश नहीं कि, हालाकि बामसेफ ने सच्चा इतिहास बताने का काम शुरू किया है।लेकीन अभी भी बहोत सारे लोगों को इसका ज्ञान नहीं है।
गुडीपाडवा के दिन शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज को ब्राह्मणों ने औरंगजेब को धोखा देके पकडवा़ के दिया था।
और उनको मनुस्मृति के अनुसार सजा दी गयी थीं।ब्राह्मणों ने उनका सर काटके भाले पे लटका दीया और उसका जुलूस निकाला, क्यों की उन्होंने बुद्ध भूषण नाम का ग्रन्थ बहुत कम उम्र में लिखा था और ब्राह्मणों की दादागिरी को ललकारा था।बहुत सारे ब्राह्मण पाखंडवाद को भी संभाजी महाराज ने चुनोती दी थी! इसका बदला लेने के लिए ब्रह्ममनो ने संभाजी महाराज की बदनामी की, और उनको धोखेे से मार डाला, उस दिन को ही, "गुडीपाडवा" कह जाता है के ये त्यौहार श्री राम अयोध्या वापिस आने पर उनके स्वागत के लिए मनाया जाता है, लेकिन जहा श्री राम वापस आये थे उस अयोध्या नगरी में तो कोई गुडीपाडवा ये उत्सव नहीं मनाया जाता?
तो फिर महाराष्ट्र में ही क्यों?
क्या मराठा समाज को ये विचार कभी आया है?
जब मराठा लोग एक दूसरों को गुडीपाडवा दिन की बधाई देते है तो हमें बड़ा दुःख होता है
और उनके अज्ञान पर बड़ा तरस आता है।
औरंगजेब ने संभाजी महाराज को सरल तरीके से मारणे के बजाय ब्राह्मणों के सलाह से अलग-अलग दंड क्यो दिया?
सबसे पहले महाराज कि जीवा काटी गयी ! इससे अनुमान लागाया जाता है कि संभाजी महाराज ने संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व हासिल किया था !
उन्होने चार ग्रंथो कि रचना कि थी, इसलिये सबसे पहले उनकी जीवा काटने कि ब्राह्मणों ने सलाह दि !
उसके बाद महाराज के कान,नाक आंखे और चमडी निकाली गयी !
यह घीनौना दंड "मनुस्मृती" संहिता के अनुसार दिया गया !
मतलब औरंगजेब के माध्यम से ब्राह्मणों ने संभाजी महाराज को यह दंड दिया !
जय भीम जय मूलनिवासी
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