तीसरी आजादी के मतवाले
खुद को हिन्दू मानने वाले obc,sc,st पढ़े
और सोचे 🤔🤔🤔
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👉जाति बनाने वाले वाले हिन्दू 👶ब्राह्मण है।
👉जातिगत भेदभाव निर्माण करने वाले हिन्दू ब्राह्मण है। 👶
👉बहुजनो के खिलाफ षड़यंत्र रच उनके खिलाफ विधान लिखने वाला मनु 👹ब्राह्मण हिन्दू था।
👉संत रविदास के हत्यारे हिन्दू ब्राह्मण थे। 👺
👉संत कबीर का मजाक बनाने वाले हिन्दू ब्राह्मण ही थे।
👉बहुजनो के बुद्ध धम्म को ख़त्म करने वाले हिन्दू थे।
👉बौद्ध राजा बृहद्रथ मौर्या की हत्या करने वाला पुष्यमित्र शुंग👺👹 हिन्दू था।
👉एक बौद्ध भिक्षु के सर के बदले 100 स्वर्ण मुद्राए देने वाला पातंजलि और उसका चेला पुष्यमित्र शुंग हिन्दू थे।
👉बहुजनो के गले में हांड़ी और पीछे झाड़ू लटकाने वाले हिन्दू थे।
👉बहुजनो को अछूत कह दुत्कारने वाले हिन्दू थे।
👉शुद्र और नारी को सिर्फ ताड़ने का अधिकारी बताने वाला तुलसीदास ब्राह्मण हिन्दू था।
👉शुद्र ऋषि शम्भुक् की हत्या करने वाला राम हिन्दू था।
👉महान धनुर्धर भील बालक एकलव्य का अंगूठा मांगने वाला द्रोणाचार्य ब्राह्मण हिन्दू था।
👉शिवाजी महाराज का राजतिलक पाँव के अंगूठे से करने वाला ब्राह्मण हिन्दू था।
👉शाहू जी महाराज को शुद्र कह अपमानित करने वाला ब्राह्मण हिन्दू था।
👉देश की गुलामी के समय शुद्रो को हथियार ना उठाने का ज्ञान देने वाले ब्राह्मण हिन्दू थे।
👉शुद्रो द्वारा ज्ञान प्राप्ति को और धन संचय को गलत ठहराने वाले सब उच्च जातीय हिन्दू थे।
👉राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले को अपमानित करने वाले सब हिन्दू थे।
👉बहुजन शिक्षा की देवी माता सावित्रीबाई फुले पर गोबर फेंकने वाले सब उच्च जातीय हिन्दू थे।
👉नारी शिक्षा के विरोधी हिन्दू ब्राह्मण थे।
👉1857 की क्रांति के जनक मातादीन भंगी को बन्दुक की बट से मारने वाला नशेड़ी मंगल पाण्डे ब्राह्मण हिन्दू ही था।
👉अछूतो के हाथ का खाना ना खाने की सलाह देने वाला मूलशंकर ब्राह्मण उर्फ़ दयानंद सरस्वती हिन्दू ही था।
👉बाबा साहब द्वारा बहुजन हितों के लिए लड़ी जा रही लड़ाई में हर कदम पर रोड़ा अटकाने वाले सब हिन्दू थे।
👉अछूतो के मताधिकार का विरोध करने वाले सब उच्च जातीय हिन्दू थे।
👉तेली, तमोली और कुनभट लोगो के राजनितिक अधिकारो का मजाक उड़ाने वाला तिलक👺 ब्राह्मण हिन्दू था।
👉अछूतो को हरिजन और गिरिजन कहकर गाली देने वाला बनिया मोहनदास गांधी 👹 हिन्दू था।
👉गोलमेज सम्मलेन में अछूतो के अधिकारो का विरोध करने वाला गांधी💩 बनिया हिन्दू था।
👉कम्युनल अवार्ड के विरोध में मरण व्रत करने वाला गांधी💀 हिन्दू था।
👉बाबा साहब पर हमले करने वाले सब हिन्दू थे।
👉महाड़ तालाब सत्याग्रह के दौरान बाबा साहब को जान से मारने की कोशिस करने वाले सब उच्च जातीय हिन्दू ही थे।
👉कालाराम मंदिर सत्याग्रह के दौरान बाबा साहब पर पत्थर बरसाने वाले सब पंडित पुजारी हिन्दू थे।
👉बड़ोदा में बाबा साहब को पानी ना पिने देने वाले सब ब्राह्मण हिन्दू थे।
👉संविधान सभा में बाबा साहब के आने का विरोध करने वाले सब उच्च जातीय हिन्दू थे।
👉साहब कांशीराम का विरोध करने वाले सब हिन्दू थे।
👉दुलिना गाव में बहुजन समाज के 9 लोग जिनमे एक 10 साल का बच्चा भी शामिल था को जिन्दा जलाने वाले सब आर्य समाजी 👶हिन्दू ही थे।
👉BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा गुलाम है। इसके लिए जिम्मेदार सब उच्च जातीय हिन्दू ही है।
👉 UNO की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर 18वे मिनट एक दलित का उत्पीड़न होता है। ये सब उत्पीड़न उच्च जातीय हिन्दू ही करते है।
👉अछूतो का मंदिर में घुसने का विरोध करने वाला शंकराचार्य ब्राह्मण हिन्दू है।
👉गांधी नेहरू को हीरो बनाने वाले और आंबेडकर को कोसने वाले सब हिन्दू ही है।
👉बहुजनो के प्रतिनिधित्व और आरक्षण के विरोधी😬 सब उच्च जातीय हिन्दू😡 ही है।
.................जारी है।
बहुजनो।। एक बनो।। ब्राह्मणवाद को लात मारो। और लात मारो ऐसे धर्म को जो तुम्हे इंसान ना समझता हो। गुलामी को तोड़ो।। गुलामी की जड़ को नष्ट करो।। बाबा साहब को जानो।। बाबा साहब की मानो। ' हिन्दूधर्म पर'बाबा साहेब डॉ. भीमराव
आंबेडकर के विचार एवं उनके संदेश:
✒ तुम हिन्दू कभी नहीं थे, तुम आज भी
हिन्दू नहीं हो।
✒ तुम हिन्दू धर्म के गुलाम हो।
✒ तुम्हें धर्म का भी गुलाम बना लिया
गया है।
✒ हिन्दू धर्म छोड़ना धर्म परिवर्तन
नहीं बल्कि गुलामी की जंजीरे तोड़ना है।
जाति के अधार पर किसी को ऊँचा
मानना पाप है और नीचा मानना
महापाप।
✒ हिन्दू धर्म की आत्मा वर्ण जाति और
ब्रह्मण हितेषी कर्मकांडो मैं है।
✒ वर्ण और जाति के बिना हिन्दू धर्म की
कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
✒ हिन्दू धर्म मे कर्म नहीं जाति प्रधान है।
✒ हिन्दू धर्म वर्णों का है तुम किसी भी
वर्ण मैं नहीं आते हो, जबरदस्ती उस समय मे कमर मे झाडू लटकानी पड़ती थी ताकि उसके पदचिन्हो पर किसी ब्राह्मण का पैर न पड़े और वह अपवित्र न हो ।
पेशवा के ऐसे ही अमानवीय अत्याचारो से तंग आके महारास्ट्र के महारो ने अंग्रेजी सेना में भर्ती होके पेशवा बाजीराव को बुरी तरह हरा दिया था ।ये महारो का ही पराक्रम था की वे केवल 500 थे जबकि बाजीराव के 28000 सैनिक , पर केवल 500 महार अछूतो ने बाजीराव के 28000सैनिको को बुरी तरह धूल छटा दी थी ।
पेशवा बाजीराव का जनवरी 1818 में ईस्ट इण्डिया कंपनी के साथ कोरेगांव के पास अंतिम युद्ध हुआ । पेशवा की सेना में 28000 सैनिक थे और कंपनी की सेना में 500 पैदल और 50 घुड़सवार जिसमें अधिकतर महार थे । कंपनी की महार सेना ने पेशवा बाजीराव की सेना की धज्जियां उड़ा दीं । कोरेगांव का युद्ध स्मारक अछूत महार जाति के अद्भुत पराक्रम का परिचायक है । पेशवा ने अपने शासन काल में अछूतो पर जो अत्याचार किये थें , उनकी अछूत महारो में भयानक प्रतिक्रिया का कोरेगांव एक अद्भुत उदहारण है । इस युद्ध में पेशवा बाजीराव को पकड़ कर कंपनी की सेना ने मार कर पेशवा राज्य समाप्त कर उस पर अधिकार कर लिए और अछूतो को बहुत हद तक राहत मिली
‘भीमा नदी’ के तट पर बसा
गाँव भीमा – कोरेगांव’
पुणे ( महाराष्ट्र )
की कहानी
01 जनवरी 1818 का
‘ठंडा’ दिन
दो ‘सेनाएं’
आमने - सामने
28000 सैनिकों सहित
‘पेशवा बाजीराव – ( II ) 2’
के विरूद्ध
‘बॉम्बे नेटिव लाइट इन्फेंट्री’ के
500 ‘महार’ सैनिक
‘ब्राह्मण’ राज बचाने की
फिराक में ‘पेशवा’
और
दूसरी तरफ
‘पेशवाओं’ के पशुवत
‘अत्याचारों’ का
‘बदला’ चुकाने की
‘फिराक’ में
गुस्से से तमतमाए
500 “ महार “
के बीच
घमासान ‘युद्ध’ हुआ
जिसमे
‘ब्रह्मा’ के मुँह से ‘जनित’
( पैदा हुए )
28000 ‘पेशवा’ की
500 महार योद्धाओ
से शर्मनाक ‘पराजय’ हुई
हमारे सिर्फ 500 योद्धाओने
28000 पेश्वाओका
नाश कर दिया
और
ईसके साथ ही
भारत से पेश्वाई खत्म कर दी
ऐसे बहादुर थे हमारे
पुरखे
और ऐसा हमारा
गौरवशाली ईतिहास है
सब से पहले उन
500 ‘महार’ ( पूर्वजों ) करो
‘नमन’ करो ...
क्यों ... ??
क्योंकी.........
1 ) उस ‘हार’ के बाद, ‘पेशवाई’
खतम हो गयी थी |
2 ) ‘अंग्रेजो’ को इस भारत देश
की ‘सत्ता’ मिली |
3 ) ‘अंग्रेजो’ ने इस भारत देश
में ‘शिक्षण’ का प्रचार
किया, जो ‘हजारो’ सालों
से ‘बहुजन’ समाज के
लिए ‘बंद’ था |
4 ) ‘महात्मा फुले’ पढ़ पाए,
और इस देश की जातीयता
‘समज’ पाऐ |
5 ) अगर ‘महात्मा फुले’ न पढ़
पाते तो ‘शिवाजी महाराज’
की ‘समाधी’ कोण ‘ढूँढ’
निकलते |
6 ) अगर ‘महात्मा फुले’ न ‘पढ़’
पाते, तो ‘सावित्री बाई’
कभी इस देश की प्रथम
‘महिला शिक्षिका’ न बन
सकती थी |
7 ) अगर ‘सावित्री बाई’, न
‘पढ़’ पाई होती तो, इस
देश की ‘महिला’ कभी न
पढ़ पाती |
8 ). ‘शाहू महाराज’,
‘आरक्षण’ कभी न दे पाते
9 ) ‘डॉ. बाबा साहब’, कभी न
‘पढ़’ पाते |
10 ) अगर 1 जनवरी, 1818
को 500 ‘महार’ सैनिकों
ने 28,000 ‘ब्राम्हण’
( पेशवाओं ) को, मार न
डाला होता तो ... !!!
आज हम लोग कहा पे
होते ... ??आज भी भीमा कोरेगाव में
विजय स्तम्भ खड़ा है
और
उसपे उन हमारे
शुरवीर ,बहादुर
और
वतन परस्त
महार सैनिको
जो उस युद्ध में सहिद हुए थे
उनके नाम
उस पे लिखा हुआ है।
सोचो
28000÷500=56
के हिसाब से
हमारे एक महार सैनिक ने
अकेले ने ही
56 पेशवाओ को
काट डाला था
कहि देखा,सुना या पढ़ा है ?
ऐसे योद्धा के बारे में
नहीं ना ?
क्यों की .....
भारत में ब्राह्मनो का
राज चलता है
और
वे कभी नही चाहते
की हमारे वीरो की कहानी
हम तक पहुचे।
जाने पेशवा......कौन ??
महाराष्ट्र में राजा के बाद प्रधानमंत्री के पद को पेशवा कहा जाता था । जो केवल ब्राह्मण प्रजाति के लिए आरक्षित होता था । यदि राजा लड़ने में अक्षम (नाबालिक /बीमार या वॄद्ध ) हो तो पेशवा कुछ समय के किये उनका कार्यभार संभाल लिया करता था । यह पेशवा का पद वंशानुगत नही था । किंतु बालाजी बिश्वनाथ भट्ट ने यह पद अपने वंशजो के लिए वंशानुगत कर खुद राजा बन बैठा और अपने पुत्र बाजीराव पेशवा प्रथम को राजपाठ सौप दिया ।
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