Wednesday, 8 February 2017

आरक्षण से हंस पिछड रहे है और कौए उड रहे हैं

आरक्षण से हंस पिछड रहे है और कौए उड रहे हैं 

 आप जैन मुनि है ग्यानी हैं सो आपने अपने ग्यान के आधार पर ही ये बात कही होगी ! मसलन :- हंस = सवर्ण कौए = obc sc st महामहिम से मेरा निवेदन 

 १:- ये हंस सिकंदर के समय कहां थे? 

 २:- ये हंस मुगलों के समय कहां थे ? 

 ३:- ये हंस डच फ्रांसीसी पुर्तगाली और अंग्रेजों के समय कहां थे ? 

 आपने कहा आरक्षण आर्थिक आधार पर हो ................ 

महोदय 

 १:- क्या पंच सरपंच जनपद सदस्य जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष विधायक व सांसद का चुनाव आर्थिक आधार पर होता है ? 

 २:- क्या कभी आप जैसे प्रकांड विद्वान ने कभी भूलकर भी इस पर कडवे या खट्टे प्रवचन दिए हैं ? 

 ३:- क्या हवाई जहाज भारतीय रेल के रिजर्वेशन व उनकी सुविधायें आर्थिक आधार पर होती हैं ? 

 ४:- क्या अर्थ से संपन्न लोगों ने नौकरी लेना बंद करदी हैं ? क्या वे यह लिखकर देने को तैयार है कि वे नौकरी न लेकर गरीब लोगों को छोडने को तैयार है ? 

 ५:- क्या मंदिर में पुजारी का जन्मजात आरक्षण आर्थिक आधार पर है ? यदि हां तो कैसे? यदि नहीं तो क्यों नहीं आपके ग्यान चक्षु इस पर प्रकाशित कीजिए ? 

 ६:- नौकरी के अलावा अर्थ का मतलब दूसरी जगह नगण्य है जैसे मंदिर के पुजारी कंपनियों के मालिक जमीन के जमीदार और औहदेदार और रसूकदार ...... 

अत्यंत प्रखर वक्ता मुनि श्रेष्ठ तरुण सागर जी महाराज अब कौओं की सुन लीजिए 

 १:- जब सडक पर मुरम गिट्टी बिछाई जाती है तो ये कौए काम आते हैं हंस नहीं 

२:- जब आप जैसों की शोभा यात्रा निकाली जाती है तो ये कौए बैंड बजाते हैं हंस नही 

 ३:- सडक की सफाई कौए करते हैं हंस नहीं ४:- मंदिर का निर्माण करने में कौओं का पसीना बहता है हंसो का नही 

 ५:- रेल की पटरी बिछाना पुल बनाना भवन बनाना हो तो कौए आगे आते है हंस नहीं ६:- फसल बौने से काटने तक का काम कौए करते है हंस नहीं ? 

 ७:- सारे गंदे काम कौए करते हैं इसलिए हंसों के गाल लाल होते हैं ? कौए सारा जीवन हंसों की सेवा करते है और हंस कौओ के साथ क्या करते हैं ? लिखूं ......? 

 नहीं आप समझदार है अब जरा सोचिये 

१:- कभी कौओं ने किसी भगवान का मंदिर तोडा है ? 

 २:- कभी कौओ ने किसी हंस महापुरुषों का स्टेच्यु तोडा है? या उसपर कालिख या तेजाब डाला है ? परंतु वे कौन लोग हैं जो 

 १:- भगवान बुद्ध की मूर्ति तोडते हैं ? 

बाबासाहेब डां. अंबेडकर का स्टेच्यु तोडते व कालिख पौतकर अपने उच्य चरित्र का परिचय देते हैं वे कौए हैं या हंस ? हंस कभी जातिवाद पर क्यों नहीं बोलते ? 

 महामुनि जी हम तो ये कौए और हंस की बात भूलना चाहते है ? 

हम चाहते है हंस और कौए एक ही उपवन में रहे क्योकि भारत का संविधान कहता है यह देश हर भारतवासी का है न कि किसी कौए या हंस का ? हम को ये भेदभाव की खाई भूलने दीजिए ? मुनि जी मुनि जी ही बने रहिए नेता तो बैसे ही गाजर घास की तरह हर जगह पैदा हो जाते है ? आपसे आज इतना अमूल्य ग्यान प्राप्त हुआ हम आपके आभारी है पर ध्यान रखियेगा ये कौए अंबेडकरवादी है वगैर तर्क लगाये काम ही नहीं करते हैं ! मनुवादी नहीं है जो झांसे में आ जायें मुनि जी यदि उपरोक्त बातों से कुछ सीख मिले तो जरूर मंच से बोलिएगा ! वरना हम तो जानते ही हैं कि आप कितने विद्वान है

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