Tuesday, 7 February 2017

Important Facts Of Indian Constitution

भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण तथ्य Important Facts Of Indian Constitution 

 भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई 1946 को कैबिनेट मिशन के आधार पर हुआ। 

संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष मे आयोजित की गई थी। डॅा. सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष के रुप मे चुना गया था। संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष के रुप मे 11 दिसंबर 1946 को डॅा राजेंद्र प्रसाद को चुना गया । संविधान सभा के उपाध्यक्ष के रुप में एच. सी. मुखर्जी एवं विधिक सलाहकार के रुप में न्यायाधीश वी. एन. राव को चुना गया था। 

संविधान सभा में हैदराबाद रियासत के प्रतिनिधि शामिल नहीं हुए थे। जवाहर लाल नेहरू द्वारा 

13 दिसंबर 1946 उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था । 

22 जनवरी 1947 को उद्देश्य प्रस्ताव पारित कर दिया गया तथा संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियों की नियुक्ति हुई। प्रारूप समिति संविधान सभा की सभी समितियों में सबसे महत्वपूर्ण समिति थी, जिसने मुख्य संविधान का निर्माण किया। प्रारूप समिति के सात सदस्य थे -

1. डॅा बी. आर. अंबेडकर ( अध्यक्ष ) , 

2. एन. गोपालास्वामी आयंगर, 

3. अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, 

4. डॅा के. एम. मुंशी, 

5. सय्यैद मोहम्मद सादुल्ला, 

6. बी. एल. मित्र ( इनका स्थान एन. माधवराव ने लिया ), 

7. डी. पी. खेताान ( इनका स्थान टी. टी कृष्णामाचारी ने लिया। 

प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अंबेडकर थे , जिन्हें भारतीय संविधान का जनक ( पितामह ) कहा जाता है। 

संविधान को अंतिम रुप से पारित करते समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे, जिन्होंने इस पर हस्ताक्षर किए। 

संविधान की स्वीकृति 26 नवंबर 1949 को हुई जिसके बाद कुछ अनुच्छेद तुरंत लागू कर दिए गए जैसे - 

नागरिकता, निर्वाचन, अंतरिम संसद से संबंधित उपबंध तथा अस्थायी एवं संक्रमणीय उपबंध आदि। 

संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को सम्पन्न हुई । 26 जनवरी 1950 को संविधान पूर्ण रुप से लागू कर दिया गया। 

संविधान निर्माण के लिए लगभग 60 देशों के संविधान का अध्ययन किया गया था। संविधान पारित करते समय संविधान में 12 भाग 365 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचीयाँ थी, 

वर्तमान समय में 22 भाग 395 अनुच्छेद 12 अनुसूचीयाँ है। सम्पूर्ण संविधान निर्माण में 2 वर्ष 11 महिने एवं 18 दिन का समय लगा। 

संविधान सभा द्वारा राष्ट्रगान ( जन - मन - गण ) को 24 जनवरी 1950 को अंगीकृत किया गया , जिसकी रचना गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने मूलतः बांग्ला में की थी। 

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का अंतिम प्रारूप 22 जुलाई 1947 को स्वीकार किया गया। तिरंगे की लंबाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2 हैं। 

भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान हैं। इसमें कठोरता एवं लचीलापन का अनुपम समावेश है। संविधान निर्माण के लिए लगभग 60 देशों के संविधान का अध्ययन किया गया था। 

भारतीय संविधान के स्त्रोत में सबसे प्रमुख स्त्रोत भारत शासन अधिनियम - 1935है। भारतीय संविधान के भाग 20 के अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है 

संविधान में पहला संशोधन 1951 में किया गया था लोकसभा में सदस्यों की संख्या 525 से 545 संविधान के 31वॅा संशोधन (1973) द्वारा किया गया। 

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' , ' पंथनिरपेक्ष ' और ' राष्ट्र की अखण्डता ' शब्द 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा जोड़ा गया। 

44 वें संविधान संशोधन -1978 द्वारा सम्पत्ति के अधिकार को मूल अधिकार से हटाकर केवल कानूनी या विधिक अधिकार किया गया। 

मतदाताओं की आयु सीमा 21 से घटाकर 18 संविधान के 61वें संशोधन - 1988 में की गई। 69 वॅा संविधान संशोधन- 1991 द्वारा दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ( NCR ) दर्जा दिया गया। 

86 वॅा संविधान संशोधन - 2002 द्वारा शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार में शामिल किया गया। 

संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 14 से 32 तक 6 मौलिक अधिकारों का वर्णन है। 

जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 20 एवं 21 को छोड़कर संविधान संकटकाल में नागरिकों के मौलिक अधिकार को स्थगित करने की व्यवस्था करता है। 

नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से 51 तक है। 

नीति निर्देशक तत्व संविधान में शामिल करने की सिफारिश तेजबहादुर सप्रू समिति द्वारा की गई थी। 

संविधान के भाग 1 में अनुच्छेद 1 से 4 तक भारतीय संघ एवं क्षेत्रों का वर्णन है। संविधान के अनुसार भारत राज्यों का संघ है। 

जम्मू कश्मीर राज्य को संविधान के अनुच्छेद 370 के अनुसार विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है, जम्मू कश्मीर भारत का एकमात्र ऐसा राज्य जिसका संविधान में अलग से प्रावधान है। जम्मू कश्मीर राज्य का एक अलग संविधान हैं, एवं यहां के निवासियों को दोह

No comments:

Post a Comment