Friday, 10 February 2017

साईमन कमीशन go back

"साईमन कमीशन go back "की सच्चाई क्या थी ? ......

जब बाबासाहेब अम्बेडकर विदेश से पढकर भारत में बडौदा नरेश के यहां नौकरी करने लगे तो उनके साथ बहुत ज्यादा जातिगत भेदभाव हुआ। इस कारण उन्हें 11वें दिन ही नौकरी छोड़कर बडौदा से वापस बम्बई जाना पड़ा। उन्होंने अपने समाज को अधिकार दिलाने की बात ठान ली।
उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को बार-बार पत्र लिखकर depressed class की स्थिति से अवगत करवाया और उन्हें अधिकार देने की माँग की।


बाबा साहेब के पत्रों में वर्णित छुआछूत व भेदभाव के बारे में पढकर अंग्रेज़ दंग रह गए कि क्या एक मानव दूसरे मानव के साथ ऐसे भी पेश आ सकता है। बाबा साहेब के तथ्यों से परिपूर्ण तर्कयुक्त पत्रों से अंग्रेज़ी हुकूमत अवाक् रह गई और 1927 में depressed class की स्थिति के अध्ययन के लिए मिस्टर साईमन की अध्यक्षता में एक कमीशन का गठन किया गया।
जब कांग्रेस व महत्मा गांधी को कमीशन के भारत आगमन की सूचना मिली तो उन्हें लगा कि यदि यह कमीशन भारत आकर depressed class की वास्तविक स्थिति का अध्ययन कर लेगा तो उसकी रिपोर्ट के आधार पर अंग्रेजी हुकूमत इस वर्ग के लोगों को अधिकार दे देगी। कांग्रेस व महत्मा गांधी ऐसा होने नहीं देने चाहते थे।


1927 में जब साईमन कमीशन अविभाजित भारत के लाहौर पहुंचा तो पूरे भारत में कांग्रेस की अगुवाई में जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन हुआ और लाहौर में मिस्टर साईमन को काले झंडे दिखा कर go back के नारे लगाए गए। बाबा साहेब स्वयं मिस्टर साईमन से मिलने लाहौर पहुंचे और उन्हें 400 पन्नों का प्रतिवेदन देकर depressed class की स्थिति से अवगत कराया। कांग्रेस ने मिस्टर साईमन की आँखों में धूल झोंकने के लिए उनके सामने ब्राह्मणों को depressed class के लोगों के साथ बैठ कर भोजन करवाया (बाद में ब्राह्मण अपने घर जाकर गोमूत्र पीकर उससे नहाये)। यह सब पाखण्ड देखकर बाबा साहेब मिस्टर साईमन को गांव के एक तालाब पर ले गये। उनके साथ एक कुत्ता भी था। वह कुत्ता अपने स्वभाव के मुताबिक सबके सामने उस तालाब में डुबकी लगाकर नहा कर बाहर आया। तब बाबा साहेब ने एक depressed class के व्यक्ति को तालाब का पानी पीने के लिए कहा। उस व्यक्ति ने घबराते हुए जैसे ही पानी पिया तो आसपास के ब्राह्मणों ने हमला बोल दिया। आखिरकार बाबासाहेब सहित अन्य व्यक्तियों को पास की एक मुस्लिम बस्ती में शरण लेकर अपना बचाव करना पड़ा। मिस्टर साईमन को सब कुछ समझ में आ गया। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को भारतीय समाज की सच्ची रिपोर्ट सौंप दी। बाबासाहेब भी बार-बार पत्राचार करते रहे और उन्होंने लंदन जाकर अंग्रेजी हुकूमत के वरिष्ठ अधिकारियों व राजनेताओं को बार-बार भारत की depressed class को अधिकार देने की मांग की।


बाबासाहेब के तर्कों को अंग्रेजी हुकूमत नकार नहीं सकी और उसने भारत की depressed class को अधिकार देने के लिए 1930 में communal award (संप्रदायिक पंचाट) पारित किया।
हमें स्कूलो में यह तो खूब पढाया गया कि कांग्रेस ने साईमन कमीशन को काले झंडे दिखा कर go back के नारे लगाए परंतु उसने  ऐसा क्यों किया, यह नहीं पढाया गया  ।

  किस ने कैसे जोर पकड़ा
जैसे
लालू फेमस हुया अडवानी की रथयात्रा को कर
जैसे
मोदी फेमस हुया काले धन पर बोल कर
ऐसै ही
कांग्रेस फेमस हुई थी उन दिनों में मिस्टर साईमन कमीशन और डा. आम्बेडकर साहब को रोक कर
Go back
Go back के नारे लगा कर

Go back के नारे लागे वालो मे से 90% वो दलित परिवार के सदस्या थे जिन्होंने सब से पहले हुआ लांचिंग हुये स्डुलकासट सर्टिफिकेट के फायदे लेने शुरू करे
यह समझ कर के यह काग्रेस की देन है। आज भी बहुत सारे परिवारो के blood में यह बात फिक्स हो चुकी है कि कांग्रेस ही सब कुछ देती है यही कारण है कि अभी कुछ ऐसे दलितो की घनी आबादी वाले शहर है यहा काग्रेस काफी सालो से लगातार पढ़ लिखे दलितों की वोट बैंक से जीतती आ रही है।
इनमे से किसी पढ़े लिखे मानव का दिल उस महान युग पुरुष के लिए धड़कता है तो
 Dr Ambedkar सहिब के सपनो को इनजाम देने पर जो राजनीतिक पार्टी लगातार संघर्ष पर संघर्ष कर रही है उस पार्टी को दिल्ली के तख्त जानी लाल किले तक पहुंचने के लिए आपना आपना योग करे।
साईमान कमीशन और डा. आम्बेडकर एक तरफ और सामने Go back वाले लाखो काग्रेस के वोटर।
अब पढे लिखे युग में कोई दलित किसी के झांसे में आ कर अब भी वोट का सही इस्तेमाल नहीं करेगा तो यह बात तह हो जाएगी की ड. आम्बेडकर साहब ने साईमान कमीशन को भारत लाना ठीक नहीं था 


So decide to take decision Best vote click to right place    

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