सम्राट वृहद्रथ मौर्य वनाम व्राह्मण पुष्यमित्र शुंग
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प्रथम चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने 340 ईo पूo मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी । उनके दसवें वंशज बृहद्रथ मौर्य थे जो 187 ईसा पूर्व सम्राट वने । मौर्य साम्राज्य में पूरा अविभाजित भारत लगभग बौद्धिष्ट / बौद्धमय हो गया था । मौर्य काल को भारत का स्वर्णिम युग कहा जाता है । उसी काल में भारत को सोने की चिड़िया कहते थे । वृहद्रथ मौर्य ने एक व्राह्मण " पुष्यमित्र शुंग " को अपना सेनापति नियुक्त कर एक ऐतिहासिक भूल की जिसका खामियाजा भारत आज तक भुगत रहा है और आगे जाने कब तक भुगतेगा ।
148 ईसा पूर्व सम्राट बृहद्रथ मौर्य विजय दशमी के दिन सेना का निरीक्षण कर रहे थे कि व्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने धोखे से सम्राट की हत्या कर दी और स्वयं को सम्राट घोषित कर सत्ता पर कब्जा कर लिया । सत्ता पर कब्जा करने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने वृहत्तर भारत ( अविभाजित भारत जिसमें अफगानिस्तान,पाकिस्तान, वांग्लादेश व वर्मा शामिल थे ) में बौद्धिष्टों का कत्लेआम करबाया तथा एक बौद्धिष्ट का सिर काटने पर 100 स्वर्ण मुद्राओं के पुरस्कार की घोषणा की । पुष्यमित्र शुंग ने अपने 36 बर्ष के शासन में मौर्य सम्राटों द्वारा निर्मित / स्थापित शिक्षा व कला के उत्कृष्ट केंद्र एवं 84000 बौद्ध स्तूप लगभग नष्ट कर दिए और बौद्ध मठों / बौद्धालयों को ध्वस्त कर मंदिरों का निर्माण कराया । इस प्रकार पूरे देश से बौद्ध धम्म और बौद्धिष्ट लगभग विलुप्त / नष्ट हो गए ।
तदुपरांत 2104 बर्ष बाद युग पुरुष बौधिसत्व बाबा साहेब डाक्टर भीमराव अम्बेडकर ने सन् 1956 में लगभग 10 लाख लोगों के साथ नागपुर में बौद्ध धम्म की दीक्षा लेकर भारत में बौद्ध धम्म की पुनर्स्थापना की और एक बार फिर भारत बौद्धमय होने की ओर अग्रसर है किन्तु कुछ मौर्यवंशज / बौद्धिष्ट बंधु आज व्राह्मण पुष्यमित्र शुंग के वंशजों अर्थात मनुवादियों की शरण में अपना उज्ज्वल भविष्य देख रहे हैं मगर उन्हें यह स्मरण नहीं कि एक व्राह्मण ( पुष्यमित्र शुंग ) ने मौर्य सम्राट की शरण में रहकर सब कुछ नष्ट कर डाला तो उनकी ( मनुवादियों की ) शरण में जाने पर क्या होगा ? ज्ञात नहीं
पुष्यमित्र शुंग
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