बाबासाहेब के दिए आरक्षण पर बनीं फिल्म पर केंद्रीय सेंसर बोर्ड ने लगाया बैन
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नेशनल दस्तक 2017-01-28
नई दिल्ली। बाबासाहेब पर बनने वाली तेलुगू फिल्म शरणम् गच्छामि पर वर्तमान की केंद्र सरकार के सेंसर बोर्ड ने बैन लगा दिया है। केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने यह कहकर इस फिल्म पर बैन लगा दिया है कि यह फिल्म सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित और शांति भंग कर सकती है। यह फिल्म जाति आधारित आरक्षण पर बनी है।
आपको बता दें कि तेलुगू फिल्म शरणम् गच्छामि को तेलंगाना के वारंगल के रहने वाले डॉयरेक्टर एनुमुला प्रेम राज डॉयरेक्ट कर रहे हैं और यह बोमक्कु प्रोडक्शन के बैनर तले बन रही है। इस फिल्म को सेंसर बोर्ड के ऑफिस में जनवरी के पहले सप्ताह में भेजा गया था, इसे बोर्ड ने 12 जनवरी को देखा था और फिर देखने के बाद प्रकाशन के लिए मना कर दिया।
फिल्म को प्रकाशन करने से मना करने पर फिल्म के डॉयरेक्टर ने नाराज होते हुए हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा कि मैंने बोर्ड से कहा था कि अगर बोर्ड को फिल्म के किसी डायलॉग से दिक्कत है तो वह फिल्म से वह सीन हटा सकते हैं लेकिन बोर्ड ने यह कहते हुए इस पर रोक लगा दी कि पूरी फिल्म ही आपत्तिजनक है।
बुधवार को एक आधिकारिक वार्ता के द्वारा सेंसर बोर्ड ने फिल्म के डॉयरेक्टर को फिल्म का सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। फिल्म के डॉयरेक्टर ने कहा, "यह पहली बार है जब किसी तेलुगू फिल्म को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट देने से मना किया है। इसके पहले सेंसर बोर्ड ने कई सारी फिल्मों में ढेर सारे कट दिए हैं यहां तक कि फिल्म के टाइटल में भी बदलाव करवाया है लेकिन इस तरह से किसी फिल्म को रोका नहीं है।"
शरणम् गच्छामि एक लड़के मानस की कहानी है जो एक विश्वविद्यालय में अपने दोस्त के आत्महत्या करने के बाद अपने पीएचडी कोर्स में आरक्षण के मुद्दे पर एक रिसर्च कर रहा है। अपने रिसर्च के लिए जब वह बाहर जाता है तब उसे अहसास होता है कि क्यों भारतीय समाज में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के उत्थान की जरूरत है। हालांकि उसी समय मानस यह भी अहसास करता है कि कमजोर वर्ग के कुछ ही छात्र कोटा पाते हैं जबकि उसी कमजोर वर्ग की एक बड़ी जनसंख्या इसका लाभ नहीं पाते।
फिल्म के डॉयरेक्टर ने कहा कि हो सकता है कि फिल्म में हैदराबाद विश्वविद्यालय के मृतक छात्र रोहित वेमुला, ऊना कांड के पीड़ित दलित और दादरी के अखलाक की बात करने पर सेंसर बोर्ड ने फिल्म पर बैन लगाया हो।
जब सेंसर बोर्ड के क्षेत्रीय ऑफिसर वेंकट राजशेखरम् से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने यह कहकर कुछ भी बोलने से मना कर दिया कि वह दूसरी फिल्म देखने में व्यस्त हैं। उनके पत्र में शरणम् गच्छामि के बारे में लिखा गया है कि इस फिल्म में संविधान के खिलाफ चीजें दिखाई गई हैं और मुख्यत: समाज के एक वर्ग पर टारगेट किया गया है।
इससे पहले सन् 2011 में बॉलीवुड में एक फिल्म आरक्षण प्रदर्शित हुई थी जिसमें अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान और दीपिका पादुकोण मुख्य भूमिका में थे। यह फिल्म भी जाति-आधारित आरक्षण पर आधारित थी। इस फिल्म के प्रदर्शन के समय भी देश में काफी विवाद पैदा हुआ था। इस फिल्म को उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश ने प्रदर्शन के लिए बैन कर दिया था। यह बैन तभी हटा था जब सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म में कुछ कट के बाद प्रदर्शित करने की अनुमति दी थी।
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