नयी शिक्षा नीति 1अप्रील 2010 से लागूकर भारत के 85-90% आम जनता जो गरीब है और जिनके बच्चे सरकारी स्कूल /खिचड़ी स्कूल में पढ़ते हैं ,को शिक्षा विहीन करने का अभियान इस देश का शासक वर्ग (ब्राह्मण) शुरू कर दिया है जिसके कारण 85-90% भारत की जनता अनपढ़ और गंवार होगी और वह अपने मूर्ख होने के कारण प्रतियोगिता से बाहर जाएंगे। उसके लिए आप आरक्षण देने की बात करते हो वह तो अपने आप अयोग्य हो जाएगा। शासक वर्ग फिर लिखेगा "उम्मीदवार उपलब्ध हैं पर अयोग्य हैं " सामान्य वर्ग की भरती उसके स्थान पर कर ली जाएगी।
खत्री जी उक्त बात को समझने के लिए आपको भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को समझना होगा ।
मैं आपको समझाने का प्रयास कर रहा हूं - सरकारी स्कूलों में भारत के 85-90% जनता जो मूलनिवासी (एस. सी, एस. टी., ओबीसी एवं अल्पसंख्यक समुदाय) के बच्चे पढ़ते हैं और आरक्षण भी इन्हीं लोगों के लिए है ।सरकारी स्कूल में आठवें क्लास तक परीक्षा नहीं होने एवं खिचड़ी व्यवस्था लागू करने के कारण सरकारी स्कूल का बच्चा आठवां पास कर जाता परन्तु वह अपना नाम भी लिॆखना नहीं िसख पाता है ।
दुसरी तरफ प्राइवेट स्कूलों में बच्चा पढ़ने जाता है तो नामांकन के पूर्व उसके माँ-बाप की परीक्षा ली जाती है। जब बच्चे का नामांकन हो जाता है तो प्रथम वर्ष से ही उसकी साप्ताहिक परीक्षा, मासिक परीक्षा, त्रय मासिक परीक्षा, बार्षिक परीक्षा शुरू हो जाती है। इस प्रकार यदि साल में 10माह भी वर्ग चलता है तो वह 55 परीक्षा देता है और 8सालों में 8×55=440 बार परीक्षा देता है ।
प्रथमत: सरकारी स्कूलों के बच्चे 8साल में एक भी परीक्षा नहीं देते हैं। जब प्रतियोगिता आयोजित होगी तो आठ साल में 440 बार परीक्षा देने वाले बच्चे ही चपरासी से लेकर कलक्टर तक बनेंगे और मूलनिवासियों के बच्चे मजदूर बनेंगे ।इस प्रकार शासक वर्ग के बच्चे शासक और मूलनिवासियों के बच्चे शासित या गुलाम बनेंगे ।
आरक्षण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी क्योंकि वे अपने आप ही बाहर निकल जाएंगे।
जय मूलनिवासी जय भीम जय, भारत!!
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