Friday, 10 February 2017

शिवाजी महाराज

शिवाजी महाराज के ५० वर्षों के इतिहास में क्या शिवाजी महाराज केवल गाय और ब्राह्मण की रक्षा करने का काम करते रहे, जिस के लिये उन्हे गौ-ब्राह्मण प्रतिपालक कहा जाता है, वास्तव में शिवाजी महाराज के इतिहास में गौ-ब्राह्मण प्रतिपालक इस शब्द का कहीं पर भी उल्लेख नही है, तो गिर ब्राह्मणों ने शिवाजी महाराज को कब से गौ प्रतिपालक बनाया? जब गांधी की हत्या हुई और पश्‍चिम महाराष्ट में मराठा और अन्य ओबीसी की जातियों ने ब्राह्मणों के घर-द्वार जलाये और ब्राह्मणों को लूटा तब से ब्राह्मणों ने शिवाजी महाराज को गौ-ब्राह्मण प्रतिपालक ऐसा प्रचार किया| उन्होने मराठों से सवाल किया की शिवाजी महाराज ब्राह्मणों के प्रतिपालक थे और तुम उनके घर क्यों जलाते हो? इस तरह बहुजन समाज में ब्राह्मण विरोध की धार को बेधार बनाने के लिये ब्राह्मणों ने ऐसा कु-प्रचार सुरु किया फिर उन्होने मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों को यह कहा की शिवाजी गाय की रक्षा करते थे और मुसलमान गाय काटकर खाते हैं इसलिये गाय की रक्षा करना है तो मुसलमान के खिलाफ लड़ना होगा, और यह काम शिवाजी महाराज को देवता मानने वाले लोगों को करना चाहिये| इस तरह मूलनिवासी बहुजनों में मुस्लिम द्वेष फैलाने के लिये इस तंत्र का इस्तेमाल किया| इसलिये मैं जब कहता हूं कि, शिवाजी महाराज के ब्राह्मणीकरण के माध्यम से मूलनिवासी बहुजन समाज का ब्राह्मणीकरण हुआ है, इसका मतलब यह है कि शिवाजी महाराज के जीवन का मुस्लिम विरोधी चित्र तैयार किया गया और इस चित्र का बहुजन समाज में प्रचार और प्रसार किया गया| जैसे ही मूलनिवासी बहुजन समाज का नेता ब्राहमण बन जाता है अथवा कोई उच्चवर्गीय ठाकरे बन जाता है और बहुजन समाज उसे कबूल करता है तो ब्राह्मण उसका इस्तेमाल करते हैं|



 जब शिवाजी महाराज अफजल खान से मिलने के लिये गये थे, तब क्रष्णाजी भास्कर नाम के एक कोकणस्थ ब्राह्मण ने शिवाजी महाराज पर हमला किया और जिवा नामके एक नाई ने शिवाजी महाराज को हमले से बचाया| इसलिये शिवाजी महाराज के संदर्भ में यह कहावत प्रख्यात हुई कि, "था जिवा, इसलिये बचा शिवा" एक ओबीसी के आदमी ने अपने प्राण देकर शिवाजी महाराज की ब्राह्मण के हमले से रक्षा क्यों की? किसने जिवा को शिवाजी महाराज के प्राणों की रक्षा की प्रेरणा दी? क्योेंकि शिवाजी महाराज का राज्य, यह वास्तव में रयत का राज था| रयत का मतलब जनता का राज्य था, इसलिये एक आदमी को शिवाजी महाराज के प्राणों की रक्षा करने के लिए अपना बलिदान करने की प्रेरणा मिली| क्योेंकि उस आदमी की शिवाजी महाराज के प्रति अपनेपन की भावना थी, लेकिन यहॉ दूसरा सवाल पैदा होता है कि यदि शिवाजी महाराज मुसलमान धर्म के खिलाफ लड़ रहे थे तो कृष्णाजी भास्कर कुलकर्णी नाम के ब्राह्मण ने उनपर हमला क्यों किया? यह ब्राह्मण अफजल खान के साथ क्या कर रहा था? यदि यह धर्म की लड़ाई थी तो कृष्णाजी भास्कर कुलकर्णी शिवाजी महाराजके साथ होना चाहिये था, इसके बजाय वह अफजल खान का साथ दे रहा था, इससे यह साबित होता है कि शिवाजी महाराज का संघर्ष धर्म युध्द नही था|

1 comment:

  1. जुट बोलो अपने ही धर्म को लात मारो ! जिस व्यकि्त ने हिंदुधर्म के लिए प्राण दे दिये तुम उसी के नहीं रहे ! रहने दो ! सब को मालुम है तुमलोग आग लगा रहे हो वैसे तुम लोगो को भी आग लगा दिये ! अक्कल से काम लो !! कल ईस्लाम चार दिवारो के बीच खड़ा रहेगा !

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