Thursday, 2 February 2017

आरक्षण- आरक्षण-आरक्षण- नहीं!

आरक्षण- आरक्षण-आरक्षण- नहीं!
ये रियल रिप्रेझेंटेटिव्ह है।
संख्याके अनुपात पे मिलनेवाला संविधानिक हक्क अधिकार है।

            एक बार समय निकाल कर जरूर पढ़ें।

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               जो भी व्यक्ति आरक्षण को खत्म करने के लिए सोच रहे हैं वे लोग इस तर्क पर गौर अवश्य करें कि आखिर क्या है आरक्षण ?

 और यह खत्म कब होना चाहिए?                                                 तर्क----

1. एक माँ अपने छोटे से बच्चे को दूध पिला रही थी तभी उसके बड़े बच्चे की नजर पड़ गई जिसकी उम्र करीब पांच साल की रही होगी। दूध पीते देख उसकी भी इच्छा जाग गयी कि माँ का दूध मुझे भी पिना चाहिए क्योंकि माँ सबके लिये बराबर होती है। वह माँ से बोला कि मुझे भी दूध पिलाओ हमारा भी हक बराबर का है


माँ बोली - नही ।


लडका बोला- तो फिर इसे भी दूध पिलाना बन्द करो।


तब माँ बोली - बेटा तुम इसी दूध को पीकर बड़े हो गए हो और हाँ मैं इसे तब तक दुध पिलाती रहूँगी जब तक तुम्हारे बराबर न हो जाए l

लड़का बोला - ये कब हमारे बराबर हो जायेगा ?


तब माँ बोली


- जिस दिन तुमको दौड़ा कर पकड़ ले...

तब जान लेना कि वह तुम्हारे बराबर हो गया है। फिर उस दिन बात करना


सोच लिजिए जब एक मां अपने बेटे के लिए आरक्षण लागू करने का समय इस प्रकार निर्धारित कर सकती है। तो यह समाज मे क्यों नहीं ।

                                                                       जिस समाज ने एक वर्ग को आरक्षण के रूप में सारा अधिकार दिया और दुसरे वर्ग का अधिकार छीन कर उसे गुलाम बनाए रखा l


          आरक्षण बचाएँ। स्वाभिमान बचाएँ !


अगर आपको अपने स्वाभिमान को बचाना है, आरक्षण को बचाना है।


तो इस मैसेज को अपने मोबाइल में जितना भी व्हाट्सएप्प नंबर है सबको भेजिए।

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              आपका अपना साथी एक आरक्षण समर्थक ।


नोट:- भाईयो सभी से निवेदन है कि ये मैसेज उन को जरूर भेजना जो लोग sc,st,obc,minorities समाज से संबंध रखते है जिनको इसी आरक्षण के कारण नौकरिया मिली है...यही कारण है कि आज प्रमोशन मे आरक्षण को भी बन्द किया जा रहा है.....अगर हम अभी भी एक होकर नही लडे तो आने वाले चंद सालो मे ही हमारी आने वाली पीढी फिर गुलाम हो जाएगी

 और इस के लिए केवल हम जिम्मेदार होंगे...इसके लिए हमारे आने वाले बच्चें हमे कभी माफ नही करेंगे...


     जय संविधान,जय भारत

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