Wednesday, 1 March 2017

हिंदुत्व के नाम पर शोषण

भारत की राजनीति को समझना और उसके लिये अति सजगता अतिआवश्यक है upper caste इस बात को अछी तरह समझता है उनके बच्चे2 को इसके महत्व की समझ है 
अब ये देखो कि obc जो पूरे देश में 52%से भी ज्यादा है लेकिन शासन प्रशासन या कार्यापालीका  लोक सभा राज्यासभा  न्यायपालिका मीडीया विधायिका में obc की हिस्सेदारी कितनी है 
सभी पर तो upper caste ने कब्जा कर रखा है और शर्म की बात ये है की obc वाले या तो bjp या congress का झंडा उठाये फिर रहे है आजादी से अब तक यही obc का शोषण कर रहे है और  obc की जात्य चेतना को नष्ट कर उन्होने rss बजरंग दल vhp शिव सेना कार सेवक आदि संगठन के द्वारा जबरन हिन्दू बनाकर obc के हक अधिकार को हड़प रहे है साथ ही sc st का भी हिंदुत्व के नाम पर शोषण हो रहा है!
हमारे sc st obc के लोगो की ज़रूरत आर्य विदेशी upper caste को कब होती है येह  भी समझ लो जब एलेक्शन्स हो या मुस्लीम लोगो से दंगा कराना हो तो आप हिन्दू हो अन्यथा आप बस या तो तेली भंगी धोबी कुम्हार माली गुज्जर जाट यादव जाटव कुर्मी निषाद नाई आदि ही हो जबतक अप्पर caste को आपकी आवश्यकता होगी आपको हिन्दू बताता रहेगा जब नही होगी तो आप या तो sc st obc की जात वाले हो बस नही तो उनके गुलाम हो कैसे हो ये जान लो 
हिन्दू शब्द किसी भी ब्राह्मणी ग्रंथों पुराणों स्मृति चारो वेदों रामायण महाभारत रामचरित मानस आदि में नही है ब्राहम्णो की मातृ भाषा संस्कृत है और हिन्दू शब्द संस्कृत भाषा का शब्द भी  नही है बल्कि ये किसी भी भारतीय भाषा जैसे पाली मराठी बँगला तमिल आदि की  शब्दावली में भी नही है इस शब्द का वर्णन जैनी बौद्ध ग्रंथों में भी नही है तो जब ये शब्द किसी भी भारतीय भाषा का शब्द नही है तो येह सिद्ध हो जाता है कि हिन्दू नाम का कोई  धर्म कभी भी अस्तित्व में ही नही रहा है यह शब्द फारसी भाषा का शब्द है और 
मुगलो द्वारा भारतीय लोगो के लिये  सम्बोधित किया जाता था जिसका अर्थ होता है गुलाम काला चोर डकैत कुरूप अब ये आपपर है आप अपने को क्या समझोगे भारत में अंग्रेजों के आने के पहले ब्राहम्णो क्क्षत्रियों वैश्य और मुगलों का मिलाजुला शासन रहा है मुगलों से upper caste ने वैवाहिक रिश्ते भी  कायम किये ताकि शासन प्रशासन पर अपनी पकड़ बनाई जा सके आर्य  ब्राह्मण मुगलों के गुलाम थे और sc  st obc के लोग तब गुलामों के  भी गुलाम थ  आर्य लोग ने उनसे कहाँ कि जैसे आप विदेशी है हम भी है!इसीलिये आर्य लोगो पर जजीया tax लागू नही किया गया शेष जनता tax से त्रस्त थी 
किन्तु हमे इतिहास कि किताबों में हमे यही पढाया जाता है कि आर्य ब्राहम्णो पर जजीया कर लगाया गया था झूट है कियोकि upper caste की  तो मुगलों के शासन प्रशासन में भागीदारी थी tax तो अन्य गुलाम  लोग ही दे  रहे थे बाबर ने बमुश्कि भारत पर इन आर्य विदेशी लोगो की कायरता व फूट के कारण ही अपना राज़ स्थापित किया और उसने अपनी सन्तानों के लिये वसीयत भी लिखी कि यदि मुगलों को भारत पर लम्बे समय तक राज़ करना है तो उन्हे आर्य ब्राहम्णो को राज्य शासन में  साथ रखना चाहिय इसीलिये अकबर ने चतुर्थ वर्ण की व्यवस्था को बनाये रखने के लिये इंस्पेक्टर  रखे ताकि यह पता लगाया जा सके कि जो जिस जाति का कार्य है वह वही करे जाति से भिन्न कर्म करने पर मौत कि सजा का दण्ड दिया जाता था 
मनु स्मृति पूर्णत :लागू थी  मुगलों के आने के पहले हम लोग ब्राहम्णो के गुलाम थे और बाद में अंग्रेजों और ब्राहम्णो दोनो के गुलाम बन गये!
बाल गँगाधर तिलक  दयानन्द विवेकानंद  लाजपतराय मदन मोहन टैगौर राहुल सांस्कृत्यायन  चटर्जी बनर्जी गोखले  मोहनदास  गाँधी पं नेहरू आदि ने अंग्रेजों से कहाँ के हमे भी शासन प्रशासन में भागीदारी दो क्योंकि जैसे आप बाहर से इन्डिआ पर राज़ करने आये है सदियों पहले हमरे पूर्वज भी ऐसे ही आये थे हम भी आपकी ही तरह युरोपियन नस्ल के ही है और आपस में भाई 2है और कहाँ की हम हिन्दू नही है और ये लोग न केवल अपने लोगो को इस फारसी हिन्दू शब्द का अर्थ बता रहे थे बल्कि यह भी अपने लोगो(upper caste)को समझा  रहे  थे कि 

हम आर्य लोग हिन्दू नही है इसीलिए याद रखना कि  दयानन्द सरस्वतीने आर्य समाज की 1875में स्थापना की ना कि हिन्दू समाज (सभा )की  ज्यादा जानकारी के लिये आप उपरोक्त ब्राहम्णो की लिखी हुई किताबों उनके दस्तावेजी पुराने  भाषणों लेटर्स और अखबारों को पढ़ सकते हो!शुरुआती लगभग 200 से 250 सालों तक इन आर्य ब्राहम्णो ने अंग्रेजों के साथ मिलकर राज़ किया और उन्होने आजादी के लिये कोई भी आंदोलन क्यो नही चलाया कियोकि उनकी उनके साथ शासन में हिस्सेदारी थी और दोनो ही विदेशी यहाँ के लोगो और हमारे देश को मिलकर लूट रहे थे!
बाद में जब अंग्रेजों ने यहाँ के  शूद्र लोगो sc st obc को शिक्षा और  नौकरी और शासन प्रशासन में हिस्सेदारी देना शुरू किया  और कानून में ब्राहम्णो को भी दण्ड का प्रावधान  किया तो आर्य ब्राहम्णो को लगा की जिन शूद्रों को हमने हज्जारों सालों से गुलाम बनाये रखा कहीं अब वह हमारी बराबरी न करले इसलिय उन्होने अंग्रेजों का विरोद्ध करना शुरू किया!ज्योतिबा फूले ने अंग्रेजों के समय हमारी मुक्ति का आंदोलन चलाया और कहाँ कि 
जब तक अँगरेज़ लोग भारत में है हम शूद्रों  को मिलकर इन ब्राहम्णो की गुलामी से आजाद होने का प्रयास करना चाहीये और इस सुअवसर का लाभ उठा लेना चाहिये याद रखो फूले जी हमे ब्राहम्णो से आजाद होंने को कहते है अंग्रेजों से नही कियॉकि  अंग्रेजों के पहले हम ह्जारों वर्षों से ब्राहम्णो के गुलाम थे ब्राह्मण अंग्रेजों से भी खतरनाक है 
यही फूले जी हमे समझाते रहे! जब 1919में अंग्रेजों ने यह घोषणा की की भारत की विधायिका में मुस्लिम sc st व obc को भी उनकी जनसँख्या के अनुसार हिस्सेदारी मिलेगी तो आर्य  ब्राहम्णो ने अंग्रेजों का विरोध करना चालू कर दिया!
बाल गँगा धर ने अपनी सभाओं में अपने obc विरोधी भाषणों में कहाँ कि "संसद में जाकर क्या तेली तमोली और कुण भटो को हल चलाना है "उन्हे अपनी जाति का ही काम करना चाहिय जो शास्त्रों में लिखा है!किन्तु
ब्राह्मण बनिया मीडिया कहता है गँगा धर ने नारा दिया कि "स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार और मै इसे लेकर रहूंगा"किन्तु उपरोक्त कथन  को नही पढाते या छापते है याद रखने वाली बात ये है कि ब्राहम्णो का आजादी का आंदोलन अपनी आजादी का आंदोलन था न कि शूद्रों की आजादी का आन्दोलन था!
सन  1991में अंग्रेजों ने यह घोषणा की कि प्रत्येक 10वर्ष बाद इस अधिनियम 1919की समीक्षा की जायेगी की भारत गैर upper caste को शासन प्रशासन में कितनी हिस्सेदारी मिलीं और उनकी अवस्था में किया सुधार आया इसलिए सन 1927-28को साइमन comission को ingland से वहाँ की सरकार ने 1919के अधिनियम के अन्तर्गत  शासन की समीक्षा करने के लिये भेजा ताकि यह मालूम किया जा सके की जो अधिकार 1919में शूद्रों को दिये गये थे उनपर कितना अमल हुआ इस बात की जानकारी गाँधी और कॉंग्रेस को थी कि साइमन कमीशन यहाँ के शूद्रों को हक और अधिकार देने के लिये आ रहा है 
इसलिय ब्राहम्णो ने येह प्लान बनाया कि obc को बहकाकर उस साइमन कमीशन का  विरोध कराया जो हमे हक अधिकार देने आया था गाँधी ने लाला लाजपतराय को आगे किया और go  back साइमन के नारे लगवाकर हमारे ही लोगो को साथ लेकर हमारे ही हक अधिकारों पर लात लगवा दी  कियॉकि हमारे लोग कॉंग्रेस और गाँधी को बहुत बड़ा हीरो समझते थे!
पहले विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों की सकती व साम्राज्य में कमजोरी आनी शुरू हो गई थी अत:अनेकों देश उनसे आजाद होते जा रहे थे इसी बात को ध्यान में रखकर आर्य ब्राहम्णो ने एक गुप्त मीटिंग की आज नही तो कल अंग्रेज भारत छोड़कर तो जायेगे ही और शासन यहाँ के मूल निवासी sc st obc व miniorities को ही सौपकर जायेगे कियॉकि इनकी जन  संख्या हमसे ज्यादा है और कायदे से बहुसंख्य लोग ही देश पर शासन चलाते हैआर्य  brahman लोगो ने योजना बनायी कि शूद्रों का हिन्दू के नाम को  इस्तेमाल करके भारत के शासन प्रशासन पर कब्जा किया जा सकता है अत: ब्राहम्णो ने 1922में हिन्दू महासभा की स्थापना की जो ब्राह्मण लोग पहले कहाँ करते थे कि हम लोग हिन्दू न होकर  आर्य है और अंग्रेजों के समान ही युरोपियन नस्ल के है 
उन्हे अपने को हिन्दू घोषित करना पड़ा 1925में इन लोगो न अति कट्टर पंथी संगठन की आवश्यकता महसूस हुई जो इनके हिन्दू बनाने के कर्यक्रम को अति तीव्र गति से आगे बढा सके इसलिय upper caste लोगो ने मिलकर  की स्थापना सन 1925में की जो कार्य इस संगठन का गुलाम भारत में था भरतीय मूल निवासी लोगो को बेइवकुफ बनाकर आपस मे फुट डालना व लड़ वाना दंगा करवाना और भारत पर राज़ करना जो बादस्तुर अब भी ऐसे ही जारी है!तिलक के बाद गाँधी ने आर्यों का नेत्रत्व किया और अपनी पूरी ताक़त ब्राह्मणी सत्ता स्थापित करने में लगा दीI m K गाँधी वर्ण व्यवस्था के कट्टर समर्थक थे यह बात यूँ सिद्ध हो जाती है1-जब सुभाष चन्द्र बोस ने कोंग्रेस के प्रेसिडेंट के लिये नामांकन किया तो गाँधी ने उनका विरोध ही नही  किया बल्कि  पट्टभि सीतारमैया पण्डित को जिताने के लिये पूरी ताकत लगा दी थी यह बात अलग है कि Mr बोस अति लोकप्रिय होने के नाते जीत भी गये इसके बाद Mr गाँधी जी ने उन्हे इतना तंग किया कि बोस को कोंग्रेस के अध्यक्ष पद से मजबूर होकर इस्तीफा देना पड़ा था कारण था 
उनकी जाति का कायस्थ होना जोकि वर्ण व्यवस्था में शूद्र है इसलिए बोस ने एक नये संगठन की स्थापना फॉर्वर्ड ब्लॉक नाम से की कियोँकि कोंग्रेस पूरानी यानि सनातन विचारको का संगठन है2- 
भगत सिँगह को फाँसी पर लटकने से Mr गाँधी बचाव कर सकते थे लेकिन उन्होने और कोंग्रेस ने ऐसा नही किया कियॉकि भगत सिँगह व अन्य दोनो लोग भी शूद्र वर्ण से ही थे।3-Dr अम्बेडकर जिन्होने अछूतों के हक व अधिकार की लड़ाई लड़ी उनका भी विरोध भी गाँधी ने मरते दम तक किया।सन्1942जुलाई 18से 20तक dr अम्बेडकर ने 50000महिलाओ व 1लाख लोगो के विशाल समूह को सम्बोधित करते हुऐ कहाँ कि हमारा लक्ष्य धन सम्पति या ज़मीन बँटवारा नही है बल्कि पूर्ण आजादी ही हमारा लक्ष्य है इसी के लिये अब हमे जी जान से लड़ना होगा।याद रखो उस समय एक ओर तो अपने लोगो व देश की आजादी का आंदोलन सुभाष बोस चला रहे थे तो 
दूसरी ओर अम्बेडकर जी भी लोगो को इकठ्ठा करके आजादी का आंदोलन चला रहे थे!सुभाष बोस गाँधी से भी अति लोकप्रिय थे लोग उनके भाषणों को सुनकर जान देने तक तैयार हो जाते थे "उन्होने नारा दिया तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूँगा"जब उन्होने आजाद हिन्द फौज को दिल्ली चलो का नारा दिया तो यहाँ भारत में ब्राहम्णो को यह संकट पड़ गया कि एक ओर अम्बेडकर शूद्र लोगो को आजादी के आन्दोलन के लिये तैयार कर रहे है तो दूसरी ओर दूसरा शूद्र सुभाष ने भी दिल्ली चलो का नारा अपनी फौज को दे दिया है 
अब ये दोनो मिलकर कहीं ब्राहम्णो की भारत पर सत्ता प्राप्ति के कार्यक्रम पर पानी न फेर दे इसीलिए rusian लोगो के साथ मिलकर उनकी हत्या करा दी जाती है इसलिए उनकी हत्या क्यो हुई आज तक वह रिपोर्ट सार्वजनिक नही की गई उसी दौरान अम्बेडकर की हत्या के प्रयास भी  हुए,भाग्य वश वह बच पाये।
यह ध्यान देने वाली बात है कि अम्बेडकर व बोस का आजादी का आन्दोलन साथ साथ चलता रहा ऐसा क्या होता है कि गाँधी को 8अगस्त 1942 के भारत छोडो आन्दोलन के नारे के साथ ही करो या मरो का नारा देना पड़ा वो भी उस गाँधी को जिसने कभी जीवन पर्यन्त अहिंसा का संकल्प ले रखा था इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि आजादी का तथा कथित आन्दोलन अब शूद्र जाति के लोगो के हाथो में जाने ही वाला था और आजादी के बाद शासन सत्ता यहाँ के शूद्रों यानि कि मूल निवासीओ को मिलने वाली थी इसीलिए शूद्रों की आजादी के आन्दोलन को अपने under करने के लिये विदेशी आर्यों को ऐसा करना पड़ा!अम्बेडकर के1942, जुलाई 18से 20तक को हुए विशाल सामूहिक घोषणा के ठीक 20दिन बाद ही8अगस्त 1942को  मजबूर होकर गाँधी ने बिना क्षण गवाये लोगो को करो या मरो दूसरे शव्दो में यूँ कहे कि मरो या मार डालो का नारा देना पड़ा ताकि शूद्र आजाद ना हो पाये।
जब अंग्रेजों ने घोषणा की कि हम लोग भारत छोड़कर जायेंगे लेकिन उससे पहले देश के 3हिस्से होंगे_1मुस्लिम लोगो के लिये पाकिस्तान2अछूतों के लिये भारत के अंदर ही saprate power का गठन,जिसको अंग्रेज सरकार  से  अम्बेडकर ने अनेकों बार इंग्लेंड जाकर पुरजोर तरीके से वहाँ उनके समुख रखा था।3शेष हिन्दू के नाम पर अलग बँटवारा होना था obc को गाँधी के साथ ही शासन सत्ता में रहना था 
कियॉकि गाँधी और कॉंग्रेस के लोग ही obc के भी सर्व सर्वा थे और गाँधी नेहरू व कोंग्रेस के लोगो ने बड़ी ही होशियारी के साथ obc के लोगो में कभी भी लीडरशिप को जन्मने ही नही दिया!जैसे ही गाँधी &कंपनी को अंग्रेजों के इस ऐलान का पता लगा उनके होश उड़ गये उस समय1946में  इंग्लेंड में conjervetive पार्टी की व प्रधानमन्त्री चर्चिल की सरकार थी गाँधी दौडे 2इंग्लेंड गये और पार्लियामेंट में  कहाँ कि आप लोगो के भारत विभाजन के फैसले को मैं मंजूर नही करता हूँ यदि आप अछूतों को भी अलग शासन हिस्सेदारी देते हो लेकिन हाँ पाकिस्तान बनाये जाने का मेरा कोई विरोध नही है।
अछूतों को अलग शासन प्रशासन में हिस्सा  यदि आप ऐसा करते हो तो मै कभी भी आपको इसकी अनुमति नही दूँगा चाहे मेरे प्राण ही क्यो न चले जाये।लेकिन प्रधानमंत्री चर्चिल व इंग्लेंड की पार्लियामेंट ने गाँधी की एक नही सुनी और गाँधी को मन मारकर वापस लौट आना पड़ा।लेकिन दुर्भाग्य से 1947में इंग्लेंड के पार्लियामेंट में पूर्व पार्टी की सरकार हार गई और नई सरकार लेबर(मज़दूर)पार्टी की बन गई और उन्होने गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंट बेटेन को इन्डिआ भेजा इस शर्त पर कि वह जो  भी फैंस्ला लेगा इंग्लेंड की सरकार उसमे हस्तक्षेप नही करेंगी कियॉकि भारत विभाजन का दाग कोई भी इंग्लेंड का आदमी अपने ऊपर लगाना नही चाहता था 
इसलिय बेटेन को इस तरहा की full power दी गई इसलिए माउंट बेटेन को मजबूर होकर जोर दिये जाने पर india आना पड़ा उसने नेहरू सरदार और गाँधी से अलग 2गुप्त मीटिंग्स की और यह रिज़ल्ट आया कि भारत के 3के बजाय 2ही हिस्से होंगे एक पाकिस्तान व दूसरा शेष  भारत गाँधी के अन्तर्गत।अब  sc st या अछूतों को अलग से कोई भी हिस्सा नही मिलेगा। अब जो लेबर पार्टी का प्रधानमंत्री बना क्लेमेंट एटलि उससे मिलने  वपार्लियामेंट में  अछूतों को अलग हिस्सेदारी कि माँग को रखने अम्बेडकर फ़िर इंग्लेंड जाते है 
लेकिन इंग्लेंड गवर्नमेंट ने माउंट बेटेन के निर्णय में दखल देने से मना कर दिया अम्बेडकर पुनः अपनी पूरानी मांगो को लेकर इंग्लेंड सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री चर्चित  व अनेकों MPs के पास जाते है लेकिन वो कहते है की अब कूछ नही हो सकता आपको गाँधी और कोंग्रेस के लोगो से बात करनी होगी।कोंग्रेस व गाँधी किसी भी तरहा के हक अधिकार sc व st के लोगो को देने से इनकार कर देते है।

अब आप अपना 2दिमाग लगाये और कल्पना करो की लॉर्ड माउंट बेटेन के साथ नेहरू सरदार पटेल व m K गाँधी की किया गुप्त वार्ता हुई होगी,गाँधी &पार्टी ने बेटेन के साथ सौदा किया होगा की हम भारत विभाजन को तभी अनुमति देंगे जब अछूतों को पर्थक्क अधिकार न दिये जाये!अम्बेडकर मजबूर हो जाते है,और इस तरह से अछूतों के हक अधिकार पर गाँधी ने फ़िर से छुरा चलाया!अम्बेडकर के पास बस एक ही रास्ता रह जाता है और वह था संविधान सभा में पहुँच कर अपने समाज के लोगो को हक व अधिकार दिलाने का।लेकिन गाँधी & compony ने संविधान सभा के एलेक्शन में हमारे लोगो को भडक्का कर अम्बेडकर को हरवा दिया जाता है 
गाँधी और कोंग्रेस ने नारा दिया कि हमने अम्बेडकर के लिये संविधान सभा के दरवाजे ही नही बल्कि खिड़कियां भी बंद कर दी है देखते है अम्बेडकर कैसे संविधान सभा में आता है जब मुस्लिम लीग को यह पता लगता है कि भारत के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व विद्वान वियक्ति को गाँधी व कोंग्रेस ने मिलकर हराया है तो वे लोग अम्बेडकर को पश्चिम बंगाल की अपनी एक seat  से चुनाव जितवा कर संविधान सभा में भेजते है इस तरह हमारे अपने ही  धर्म परिवर्तित मुस्लिम मूल निवासी लोगो ने अम्बेडकर को संविधान सभा में पहुँचाया और हमारे sc st obc व miniorities के हक व अधिकारों की लड़ाई अम्बेडकर ने संविधान सभा में अकेले ही लड़ी कियॉकि गाँधी व कोंग्रेस ने ऐक भी  मेंबर obc व sc st  का  संविधान सभा में नही भेजा था 
अम्बेडकर ने पूरेविश्व के सँविधानो व समाज शास्त्रों व अर्थ शास्त्रों व दर्शनो का गहन अध्ययन किया हुआ था जिसके कारण ही ऐसे संविधान की रचना सम्भव हो पाई गाँधी व कोंग्रेस व  rss का विचार था कि हमे किसी अन्य संविधान कि आवश्यकता नही है कियॉकि हमारे पास पहले से ही मनु स्मृति के रुप में श्रेष्ट सांविधानिक ग्रंथ है इसलिए ही ये लोग संविधान समीक्षा कि बात करते रहते है ताकि अम्बेडकर के संविधान जो sc st obc व miniorities को मानवीय मौलिक अधिकार प्रदान करता है  
जिसके कारण ही हम सब आज भारत में सांविधानिक मौलिक अधिकारों का मजा ले रहे है और खुद को हिन्दू मानकर कोंग्रेस bjp rss vhp बजरंग दल शिव सैनिक बनके हिंदुत्व व राम मन्दिर देवी देवताओं के नाम पर इस्तेमाल होकर अपने ही धर्म परिवर्तित भाईयो से धर्म व जाति के नाम पर आये दिन आपस में ही लड़ते रहते है जिसका फायदा भी ये विदेशी आर्य ब्राह्मण लोग ही उठाते है फूट डालो राज़ करो यह नीति भी इन्ही आर्य ब्राहम्णो की ही है कियॉकि 5000सालों से इन आर्य ब्राहम्णो ने हम मूल  निवासियों को 6000से भी ज्यादा जातिओ व अनेक उप जातिओ में ऐसे बाँटा की हम इतने पढ़े लिखे व समझदार होकर भी क्यो एक होने का व जातिओ को नष्ट करने का प्रयास तक नही कर रहे है 
जबकि हमे अपने मूल निवासी होने का भी प्रमाण स्वयं ब्राहम्णो के ग्रंथ व वेद आदि व मेडिकल साइन्स का dna टेस्ट 2001में भारतीय वैज्ञानिकओ व  माइकल बम्सद उटाह यूनिवर्सिटी अमेरिका भी उपलब्ध है कियॉकि हमारे अन्दर की आत्मा तो मानो ब्राह्मणवाद द्वारा मार सी ही दी गई है तभी तो अपने सूद्र्पन पर भी हमे धिक्कार महसूस नही हो रहा है।जागो भारत के मूल निवासी लोग---------
देवकुमार कनेरी  

1 comment:

  1. आलोचना शब्द का महत्व शिक्षा जगत में कुछ अजीब तरह से प्रकट किया जाता है, जहां कभी यह सुधार के संकेत के रूप में देखा जाता है, और कभी इसे नकारात्मक रूप में पेश किया जाता है। ठीक वैसे ही जैसे 'Uptet latest news
    ' छात्रों को शिक्षा क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों के बारे में जानकारी देता है, आलोचना भी यदि सही तरीके से समझी जाए, तो यह सुधार और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।

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