Wednesday 1 March 2017

लोगों की नौकरियां जाने का खतरा भी बढ़ा

नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया प्‍लान को लगा झटका, लोगों की नौकरियां जाने का खतरा भी बढ़ा

Jansatta 27 Feb 2017 19:19 pm

हालांकि, साल 2015-16 में सर्विस सेक्टर में 4.9 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। यह पिछले वित्त वर्ष में 3.7 फीसदी था।

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ की चाहे चाहे जितनी भी बातें कर ले और निवेशकों का आकर्षित करने के प्लान बना ले लेकिन उसका असर होता नहीं दिख रहा है। सात साल में पहली बार भारत में निर्मित माल की बिक्री में 3.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इस स्थिति से निर्माण क्षेत्र में छंटनी की आशंका बढ़ गई है, लोगों की नौकरियां जा सकती हैं और बैंकों के डिफॉल्टर्स की सूची लंबी हो सकती है। जानकारों का कहना है कि नोटबंदी से पहले जारी वैश्विक मंदी और कमजोर मांग की वजह से भारत में निर्मित वस्तुओं की मांग कम हुई है। यह गिरावट लेदर, टेक्सटाइल और स्टील सेक्टर में ज्यादा देखने को मिला है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक साल 2009-10 में निर्माण क्षेत्र में विकास दर 12.9 फीसदी था जो 2015-16 में घटकर 3.7 फीसदी रह गया है।
वैश्विक गिरावट की वजह से सितंबर 2016 में छमाही औद्योगिक समीक्षा के बाद इंजीनियरिंग सेक्टर की बड़ी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने करीब 14000 कर्मचारियों की छंटनी की थी। इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम और नोकिया जैसी बड़ी कंपनियों में भी साल 2016 में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की खबर है। इन कंपनियों ने भी छंटनी के लिए कमजोर मांग को ही जिम्मेदार ठहराया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान की लॉन्चिंग से ठीक एक सप्ताह बाद ही नवंबर 2014 में नोकिया ने चेन्नई में अपने दफ्तर को बंद करते हुए करीब 6600 लोगों को रातों रात बेरोजगार बना दिया था।
अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि सरकार को मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की मदद करनी चाहिए जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 15-16 फीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं और करीब 12 फीसदी कर्मचारियों को रोजगार मुहैया कराते हैं। हालांकि, साल 2015-16 में सर्विस सेक्टर में 4.9 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। यह पिछले वित्त वर्ष में 3.7 फीसदी था।
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र की छोटी कंपनियां जिनकी सालाना बिक्री 100 करोड़ से कम है, वो सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। इन कंपनियों की बिक्री में पिछले सात सालों में कुछ खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। इन कंपनियों की बिक्री में साल 2009-10 में 8.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी जो साल 2015-16 में बढ़कर 19.2 फीसदी तक पहुंच गई है।


आज कल सारे आरक्षण विरोधी लोग आरक्षण को खत्म करने के लिए गुप्त आन्दोलन चला रहा!!

और बता रहा है कि आरक्षण सिर्फ दस साल के लिए था  
तो आए हम जानते हैं ⤵⤵⤵⤵⤵⤵⤵⤵⤵⤵

आरक्षण :- क्या दस साल तक की लिमीटेशन है ?❓❓❓❓❓❓

जिसको इस बात का नहीं पता वे अपने विरोधियों को इस के बारे में बताएं। जो बार बार कहतें हैं कि आरक्षण 10 साल के लिए था। बाबा साहेब तो 10 साल के आरक्षण के लिए दे कर गए थे। आप को मुफ्त की खाने की आदत है। ऐसे आरोप लागतें हैं तो उन लोगो को बता दो की ये हमारे महापुरषों की मेहनत का फल है। जब तक जाति है तब तक आरक्षण है। आरक्षण से जाति नही आयी जाति से आरक्षण आया है। ब्राह्मण देश से जाति खत्म करदे हम आरक्षण उसी दिन से छोड़ देंगे। पर ब्राह्मण ऐसा नही करेगा क्योंकि वर्ण और जाति के कारण ही वह शासक बना हुआ है। अगर ये खत्म तो ब्राह्मण और ब्राह्मणवाद ख़त्म हो जायेगा । सत्ताहीन हो जायेगा इसलिए ब्राह्मणवाद को मुँह तोड़ जबाब दो।

आरक्षण चार प्रकार का है

1 :- पोलिटिकल रिजर्वेशन
2 :- सर्विसेज का रिजर्वेशन
3 :- प्रोफेशनल एज्युकेशन का रिजर्वेशन
4 :-  रिजर्वेशन इन प्रमोशन

Article - 330 लोकसभा का रिजर्वेशन है
Article - 332 विधानसभा रिजर्वेशन है
Article - 334 में पोलिटिकल रिजर्वेशन की 10 वषॅ की लिमिटेशन है ।
सिफॅ - पोलिटिकल रिजर्वेशन में ही हर दस साल बाद समीक्षा होनी चाहिए ।

@ मुलभुत अधिकार @
Article - 15 - 4
Article - 16 - 4 संवैधानिक मुल अधिकार है ,
Article - 15
Article - 16
से भारत का राष्ट्रपति ओर भारत का प्रधानमंत्री भी छेडछाड नही कर सकता ।
प्रोफेशनल एज्युकेशन रिजर्वेशन
सविर्सेज का रिजर्वेशन
प्रमोशन इन रिजर्वेशन
यह संविधान में मुल अधिकार है जिनकी कोई लिमीटेशन नही है

👉 संविधान में 'आरक्षण' यह शब्द कहीं भी लिखा नहीं सिर्फ़ और सिर्फ "प्रतिनिधित्व" (Representation)  शब्द का प्रयोग किया गया है।।

 जय भीम जय भारत दोस्तों 

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जागो और जगाओ समाज को जागरूक करो शिक्षित करो और संगठित करो


जैन मुनि की आरक्षण विरोधी टिप्पणी का जवाब।👌👌
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माननीय (तथाकथित)तरूण सागर जी महाराज,
आरक्षण से हंस पिछड रहे है और कौए उड रहे हैं। आप जैन मुनि है, ज्ञानी (तथाकथित) हैं सो आपने अपने ज्ञान के आधार पर ही ये बात कही होगी ?
मसलन :-  हंस = सवर्ण
               कौए = OBC, SCs & STs .
महामहिम से मेरा निवेदन:-
१.  ये हंस सिकंदर के समय कहां थे?
२.  ये हंस मुगलों के समय कहां थे ?
३.  ये हंस शक, हूण, डच, फ्रांसीसी,  
      पुर्तगालियों के समय कहाँ थे?
४.   ये हंस अंग्रेजों के समय कहां थे ?
५.  ओलम्पिक में 99% हंस ही जाते हैं और
      वे पिट कर ही खाली हाथ आते हैं।
      हमेशा 1% कौवे ही देश की ईज्ज बचाते
      हैं।
६.   हंस हमेशा समूह में ही क्यों रहते हैं?
      हिम्मत है तो कौवों की तरह विखण्डित
       हालत में प्रत्येक गाँव में रह कर
       दिखाओ।

आपने कहा आरक्षण आर्थिक आधार पर हो। महोदय (तथाकथित):-

१:- क्या पंच,सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य अध्यक्ष, विधायक व सांसद का चुनाव आर्थिक आधार पर होता है ? क्या आप जैसे प्रकांड (तथाकथित) विद्वान ने कभी भूलकर भी इस पर कडवे या खट्टे प्रवचन दिए हैं ?
२:- क्या हवाई जहाज, भारतीय रेल के रिजर्वेशन व उनकी सुविधायें आर्थिक आधार पर होती हैं ?
३:- क्या धनाड्य (rich) लोगों ने नौकरी लेना बंद करदी हैं ? क्या वे लिखकर देने को तैयार है कि वे नौकरियाँ गरीब लोगों के लिए छोडने को तैयार है ?
५:- क्या मंदिर में पुजारी का जन्मजात आरक्षण आर्थिक आधार पर है ? यदि हां तो कैसे? यदि नहीं तो क्यों नहीं? अपने ज्ञान चक्षु इस पर प्रकाशित कीजिए ?
६:- नौकरी के अलावा धन पैदा करने के अन्य श्रोतों का मतलब दूसरी जगह नगण्य क्यों है? जैसे :-
 20 लाख मंदिरों के पुजारी,
लाखों कंपनियों के मालिक
देश की 95% जमीन के मालिक
और लाखों औहदेदार और रसूकदार, इत्यदि।
अत्यंत प्रखर वक्ता मुनि श्रेष्ठ (तथाकथित) तरुण सागर जी महाराज अब कौओं की भु सुन लीजिए:-

१:- जब सडक पर मुरम मिट्टी बिछाई जाती है तो ये कौए काम आते हैं हंस नहीं।
२:- जब आप जैसों की शोभा यात्रा निकाली जाती है तो ये कौए बैंड बजाते हैं हंस नही।
३:- सडक की सफाई कौए करते हैं हंस नहीं।
४:- मंदिर और मूर्ति का निर्माण करने में
कौओं का पसीना बहता है हंसो का नही।
५:- रेल की पटरी बिछाना, पुल बनाना, भवन बनाना, इत्यादि परिश्रम के कार्य कौए ही करते हैं हंस नहीं।
६:- फसल बौने से लेकर काटने तक का काम कौए करते है हंस नहीं ?
७:- सारे सफाई के और गंदे काम कौए करते हैं इसीलिए हंसों के गाल लाल होते हैं ? कौए सारा जीवन हंसों की सेवा करते है और हंस कौओ के साथ क्या करते हैं ? लिखूं ?  नहीं आप समझदार है ??
अब जरा सोचिये:-
१:- कभी कौओं ने किसी भगवान का मंदिर तोडा है ?
२:- कभी कौओ ने किसी हंस महापुरुषों की मूर्ती तोडी है? या उस पर कालिख या तेजाब डाला है ?
परंतु, वे जानवर लोग हैं जो:-
१:- भगवान बुद्ध की मूर्ति तोडते हैं ? बाबासाहेब डां.अंबेडकर की मूर्ति तोडते या कालिख पौतकर अपने उच्च चरित्र का परिचय देते हैं,  वे कौए हैं या हंस ?
आप और आपके हंस कभी जातिवाद, भेदभाव और छूआछूत पर क्यों नहीं बोलते ?
महामुनि जी (तथाकथित) हम तो ये कौए और हंस की बात भूलना चाहते है ? हम चाहते है हंस और कौए एक ही उपवन में रहे क्योकि भारत का संविधान कहता है कि यह देश हर भारतवासी का है न कि किसी कौए या हंस का ? हम को ये भेदभाव की खाई भूलने दीजिए ? मुनि जी मुनि जी ही बने रहिए नेता तो वैसे ही गाजर घास की तरह हर जगह पैदा हो जाते है ? आपसे आज इतना अमूल्य,(तथाकथित) ज्ञान प्राप्त हुआ हम आपके आभारी है परन्तु ध्यान रखियेगा, ये कौए अंबेडकरवादी है, वगैर तर्क लगाये काम ही नहीं करते हैं ! मनुवादी नहीं है जो झांसे में आ जायें।
मुनि जी यदि उपरोक्त बातों से कुछ सीख मिले तो जरूर मंच से बोलिएगा। वरना हम तो जानते ही हैं कि आप कितने विद्वान है ?

💐💐नमौं बुद्धाय 🙏 जय भीम 💐 जय भारत 



 *U.P.सरकार ने फरमान जारी किया है कि 50 साल से ज्यादा के कर्मचारियों को कार्य कुशलता की समीक्षा के आधार पर जबरन रिटायर किया जाएगा। इसलिए आओ सब भारत वासी आज प्रण करें कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक ऐसे किसी नेता को वोट देकर नहीं चुनेंगे, जो 50 वर्ष से अधिक हो! ताकि देश की कार्य कुशलता प्रभावित न हो और मेरा भारत और महान बन सके और निम्नलिखित अनुसार यह कानून अनिवार्य रूप से सभी पर लागू हों 🙏👇*

*1-* नेताओं को भी पचास साल की उम्र में रिटायर कर दिया जाय ?
*2-* क्यों नहीं नेताओं को भी पुरानी पेंशन से वंचित किया जाय ?
*3-* क्यों नहीं नेताओं को विधानसभा सदस्य बनने के लिए स्नातक व लोकसभा सदस्य बनने के लिए परास्नातक होना अनिवार्य किया जाय ?
*4-* क्यों नहीं कानून मंत्री बनने के लिए LAW की डिग्री अनिवार्य हो, स्वास्थ्य मंत्री बनने के लिये MBBS की डिग्री अनिवार्य हो, समाज कल्याण के लिए समाजशास्त्र की डिग्री अनिवार्य हो, मानव संसाधन के लिए M.Ed. की डिग्री अनिवार्य हो, वित्त मंत्री को अर्थशास्त्री होना अनिवार्य हो इसी प्रकार सभी मंत्रीयों की योग्यता का मानक निर्धारित किया जाय ।
*5-* क्यों नहीं फ्री का डीजल, पेट्रोल, फोन की सुविधा, हवाई सुविधा, रेल सुविधा सहित तमाम सुविधाओं में जिसमें प्रतिवर्ष अरबों रूपये खर्च होता हैं उसमें कटौती की जाय ।
*6-* क्यों नहीं सभी नेताओं के खाते सार्वजनिक किये जाय ।
*7-* क्यों नहीं नेताओं की पुरानी पेंशन,मोटी तनख्वाह,सब्सिडी द्वारा भोजन बंद किया जाय जिसपर सरकार प्रतिवर्ष अरबों रूपये पानी की तरह खर्च करती हैं ।
*8-* क्यों नहीं नेताओं के पद से हटने के बाद फ्री मेडिकल सुविधा बंद किया जाय जिस पर देश का करोड़ों रूपये नुकसान होता हैं ।
*9-* क्या 50 साल का कर्मचारी बूढ़ा और 50 साल का नेता जवान होता हैं ? यह कौन सा मानक हैं ? नेताओं के पास क्या राहु व केतु वाला अमृत कलश हैं क्या ? जिससें यह पचास की उम्र में युवा नेता हो जाते हैं ?

     *देश को कितना गर्त में आप नेताजी लोग ले जायेंगे?* जब स्वयं की तनख्वाह लाखों में करते हैं तो सभी पार्टियों के कोई भी नेता विरोध नहीं करता सभी मिलकर मेज थपथपा देते हैं । क्या देश पर आप की तनख्वाह की बेतहाशा वृद्धि से अरबों रूपये का भार नहीं पडता ? गजब की सोच हैं आप नेताओं की जब कर्मचारियों, अधिकारियों, शिक्षकों को पचास वर्ष में हटाने पर विचार किया जा सकता तो यह उपरोक्त बिन्दुओं पर विचार क्यों नहीं किया जा सकता है!!

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