Tuesday, 14 March 2017

रामायण : 'एक फर्जी व काल्पनिक रचना

 रामायण : 'एक फर्जी व काल्पनिक रचना'

✍🏻 As per History & Historians... 🖊-------------------------------👉🏻           
 श्रीलंका का नाम 1972 में ही पड़ाl इससे पहले इस 'श्रीलंका' नाम का देश पूरे संसार में भी नही था!
👉 'अयोध्या' को भी पहले 'साकेत' कहा जाता थाl 2000 साल पूर्व अयोध्या नाम का शहर भारत में नही था!
👉🏻 12,000 साल पूर्व 'भारत' से 'श्रीलंका' "सड़क-मार्ग" से जा सकते थे, क्योकि समुद्र का जलस्तर कम होने के कारण दोनो देशों के बीच 1 to 80 किमी. तक चौड़ा जमीनी मार्ग थाl ऐसे में 17,00,000 लाख साल पुर्व में जन्मे किस राम ने कौनसी 'अयोध्या' से किस 'लंका' पर चढ़ाई की और वह 'रामसेतु' कहाँ बनाया? यह समझ से परे की बात हैं! कहीं ऐसा तो नही की 'रामायण' सिर्फ कल्पनात्मक ढंग से लिखी गई हो और प्रचार होने पर किसी शहर का नाम 'अयोध्या' तो किसी देश का नाम 'लंका' रख दिया हो! जी हाँ। 'रामायण' पूरी तरह से एक काल्पनिक व फर्जी कथा हैl 'रामायण' को 'झूठी' और 'काल्पनिक' ठहराने के लिए एक नहीं अपितु अनेक तथ्य और प्रमाण मौजूद हैl श्रीलंका' उस देश का नाम भी 'श्रीलंका' नही था! आप 'श्रीलंका' का इतिहास पढ़ सकते हैं। 1972 से पूर्व 'श्रीलंका' नाम से संसार में भी कोई देश नही थाl भारत के दक्षिण में स्थित इस देश की दूरी भारत से मात्र 31 किमी हैl 1972 तक इसका नाम सीलोन (अंग्रेजी : Ceylon) थाl जिसे 1972 में बदलकर लंका तथा 1978 में इसके आगे सम्मान सूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया
गयाl आप इंटरनेट पर 'श्रीलंका' का इतिहास पढ़ सकते हैंl लंका से पहले यह देश 'सीलोन' नाम से जाना जाता थाl 'सीलोन' से पूर्व इसे 'सिंहलद्वीप' कहा जाता थाl इससे भी पूर्व यह दीपवंशा, कुलावंशा, राजावेलिया इत्यादि नामों से जाना जाता थाl मगर 'लंका' कभी नही, क्योंकि स्वयं 'लंकावासियों' को भी काल्पनिक राम, रामायण का कोई अता-पता नही थाl
_तीसरी सदी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र के यहां आने पर 'बौद्ध धर्म' का आगमन हुआl मगर भारत के 'चोल' शासकों का ध्यान जब इस द्वीप पर गयाl तो वे इसका संबंध रावण की लंका से जोड़ने लगेl हालांकि तब भी श्रीलंकावासी स्वयं इस तथ्य से अनभिज्ञ ही थेl 'रामायण' में जिस 'लंका' का उल्लेख किया गया है, वह प्राचीन भारत का कोई ग्रामीण क्षेत्र था, जो लंबे-चौड़े नदी-नालों से आमजन से कटा हुआ थाl कई इतिहारकारों के अनुसार यह स्थल 'दक्षिण-भारत' का ही कोई क्षेत्र थाl द्वितीय भारत और 'श्रीलंका' के बीच में "कोरल्स" की चट्टानें हैl उन्हें
पत्थर नहीं कहा जा सकता हैl इन 'कोरल्स' की संरचना 'मधुमक्खियों' के छत्ते के समान होती हैl जिनमे बारीक़ रिक्त स्थान होते हैl अतः किसी भी हल्की वस्तु का आयतन पानी के घनत्व के कम होने पर वह तैरने लगती हैl इसमें आश्चर्य या 'राम' की शक्ति का कोई प्रभाव नहीं हैl 'अयोध्या'' यहीं नही अपितु राम की कथित 'अयोध्या' भी दो हजार वर्ष पूर्व अस्तित्व में नहीं थीl आज जिसे अयोध्या कहते है, उसे पहले 'साकेत' कहा जाता थाl 'मौर्यकाल' के बाद 'शुंगकाल' में ही “साकेत” का नाम अयोध्या रखा गयाl बौद्धकालीन किसी भी ग्रंथ में अयोध्या नाम से कोई स्थान नही थाl 'साकेत' का ही नाम बदलकर 'अयोध्या' रखा गयाl उपरोक्त तथ्यों के अलावा भी रामायण में इतने अंट-शंट और उटपटांग तथ्य हैं कि जिन पर यदि गौर किया जाये तो कहा भी नही जा सकता है कि 'रामायण' सत्य कथा पर आधारित हैl वैज्ञानिकों के अनुसार धरती पर 'आधुनिक-मानव'(Homo sapiens) की उत्पति 1लाख तीस हजार साल पूर्व 'अफ्रीका' में हुई थीl कालांतर में आज से एक लाख साल पूर्व वहां से मानव का भिन्न-भिन्न कबीलों के रूप में भिन्न-भिन्न 'द्वीपों' और 'महाद्वीपों' की और अलगाव होता रहाl हमारे 'भारत' में मानव का 67,000 साल (सड़सठ हजार) पूर्व आना बताया गया हैl
 👉🏻        इन तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि 'रामायण' एक काल्पनिक व फर्जी रचना हैंl इसके सभी पात्र भी फर्जी व काल्पनिक हैl जिसका वास्तविक घटनाओं और नायकों से कोई संबंध नही हैं।
🙏 जय भारत, जय मूलनिवासी🙏

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