आंदोलन के लिए कुछ दिशा निर्देश है
कृपा पूरा पढ़े ,
और अपने साथियों को फॉरवर्ड करे ?
आंदोलन के लिए एक सही प्लांनिग और सही व्यक्ति का मार्गदर्शन बहुत जरूरी होता है ?
किसी भी आंदोलन को सफल बनाने के लिए हमारे उच्च स्तरीय आदेश और उनके दुवारा दिशा निर्देश होने जरूरी है ।
साथ ही आंदोलन के लिए सबसे पहले छोटी छोटी मोहले में मीटिंगे और उनमे आंदोलन के लिए जन आंदोलन को तैयार के लिए आम लोगो की राय , उसके बाद एक निश्चित समय पर शासन प्रसासन को उसकी लिखित सुचना क्यू की भारत देश में आंदोलन के लिए सबसे पहले सुचना लिखित में देनी होती है ,
और जैसे किसी भी पार्टी का राष्ट्रीय संगठन होता है
बूथ लेबल तक उसी तर्ज पर इसकी पुरी तयारी जरुरी है ,
क्यू की आंदोलन सिर्फ हंगामा खड़ा करना नही है ,।आंदोलन का मतलब है कि आप अपने हक की आवाज को बुलंद करना और उसे सरकार से या जिससे आप वह हक लेने के लिए आंदोलन कर रह है उसे मजबूर कर देना ,
उसके लिए सॉसल मीडिया , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया ,
और जनसंपर्क उसके बाद आंदोलन करने वालो की पानी की सुविधा , खाने की सुविधा , उनके आंदोलन को अगर सरकार कोई गैरकानूनी कदम उठाये तो उसके लिए हमारी किया रणनीति होगी ,
आंदोलन करने से पहले बारीकी से बारीकी बातो पर हमारे राजनेताओं को हमारे समाज सैवियो को हमारे बुद्धि जीवि साथियों को जो अपना संघठन चलाते है ,
वे इस विषय पर गम्भीरता से विचार विमर्श करे ,
और उसकी पूर्ण भारत देश में हर जिले की जुम्मेवारी एक जिला लेबल के अध्यक्ष की टीम को दे वे टीम विधान सभा वाइज , दे उसके बाद बूथ के हिसाब से आंदोलन की रूप रेखा को बना कर छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं को आंदोलन के लिए तैयार करे ,।
हर गली मोहल्ले से लोगों को निकाल कर सड़कों पर आना होगा ,
हर विधान सभा से चुनाव आयोग और राष्ट्पति जी को , सुप्रीम कोर्ट , una ,को आदि जगह पर अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन देने चाहिए ,
वही ज्ञापन अपने अपने तरफ से अपने वकीलों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट मर भी रिट दायर करे ,
इस तरह से भारत देश में आंदोलन सफल होगा ,
हर समय की हर मांग पत्र की फोटी5 कॉपी सॉसल साईड ,
और मीडिया को press कॉन्फ्रेंस के जरिये सूचित करते रहे ।
अतः इस तरह से प्लांनिग को अंजाम दिया जा सकता है ,।
उसके लिए हमारे जिलाध्यक्ष , मंडल कॉर्डिनेटर और फिर प्रदेश के कॉर्डिनेटर और हमारी राष्ट्रीय नेता जी खुद इस विषय पर तुरन्त मीटिंग करे और आदेश करे ।
और इसकी प्लांनिग पर काम करे ,
क्यू की 15 मार्च को मानीयवर कासीराम जी का जन्मदिवस है ,उस दिन से इसकी शुरुवात कर इन मंवादियो की evm मसीनो की साजिस का पर्दाफाश का ऐलान कर ,
भारत में ऐसे आंदोलन की शुरुवात कर देनी होगी की भारत देश में फिर कभी कोई देश में लोकतंत्र की हत्या करने की सोचे भी नही ।
इस लेख से जो भी साथी सहमत हो वे इसे अपने फेशबुक वाल पर और अपने जितने भी ग्रुप है उसमें जरूर
फॉरवर्ड करे ,
अपने अपने नाम से और फोन नंम्बर लिख कर भेजे ,
ताकि हमारे नेताओं को सदमे से बहार निकल कर इस आंदोलन के लिए वे तुरन्त तैयार हो सके ।
अब हमें वही मनुवादी युग में लौटने को विवश होना पड़ेगा, चूकि लेजिस्लेचर से हीं कुछ कर पाते वो भी अपने हाथ निकलता जा रहा। कोर्ट भी सवर्णों का है इसीलिए आगे कोई तत्काल गुंजाइश भी नजर नहीं आ रही है।
पर, मेरा राजनीतिक विश्लेषण है, कि भारत के पिछड़े, दलित एवं माइनॉरिटी मुलनिवाशी को इस वर्डिक्ट ने 'एक प्लेटफार्म' पर आने को विवश कर ही दिया है। Every adversaries had a hidden opportunity.
मोदी की टीम एवं स्ट्रेटेजी ने चार सेंटिमेंटल समुदाय
'मण्डल, कमंडल, मार्क्स एवं माँ '
रूपी इमोशनल हिंदूवाद के साथ राष्ट्रवाद का नारा दे मुलनिवाशी के वोट से हीं इन्हें पटखनी दे दी।
'मण्डल' इसलिए की आरएसएस ने मोदी को ओबीसी चेहरा के रूप में एवं वे खुद पिछड़े का मसीहा बता बड़े पैमाने पर ओबीसी को अट्रैक्ट किया।
कमण्डल तो खैर इसका रूट एवं बेस ही है।
मार्कसिज्म के तहत जन धन योजना, नोटबन्दी, चाय बेचने वाला इत्यादि बताकर अपने को जन मानस के दिलों दिमाग में भक्ति पैदा कर दी।
माँ के रूप में गंगा, गाय, भारत माँ का नारा दे, सँसद को मन्दिर बता, शाष्टांग दण्डवत कर धार्मिक राष्ट्रवाद एवं सर्जिकल स्ट्राइक कर राष्ट्रवाद के लुभावने मिडिया प्रसार से भारत के एक बड़े समुदाय को अपने फोल्ड में ले लिया।
कुल मिलाकर मण्डल के नाम पर ओबीसी, कमण्डल के नाम पर स्वर्ण, मार्क्स के नाम पर सभी वर्गों के गरीब एवं दलित चौथा, माँ के नाम पर महिला एवं बड़े हिन्दू धार्मिक समूह तथा राष्ट्रवाद का नारा दे पुरे भारतवंशीय समूह का रिफ्लेक्शन एक पार्टी बीजेपी में दिखा और लोगों को बहका कर कुल 40% वोट पाकर 80% सीट पर सफल हो गयी।
वहीँ दूसरे दल सपा कुछ ओबीसी, यादव, मुस्लिम का 29% वोट पाकर एवं बसपा कुछ दलित, जाटव, मुस्लिम का 22% वोट तक सीमित रह चित हो गए।
एक तरफ संगठन से नेता पैदा हो धार्मिक, पूँजी, मीडिया, ज्यूडिशियरी, एक्सक्यूटिव, कॉर्पोरेट्स तथा सब तरह नैतिक एवं अनैतिक हथियार से लैस हो अपने हित के लिये समर्पित मात्र 15% आवादी 85% पर राज कर रहे हैं।
वहीँ, दलित गुलाम एवं पिछड़े बेलगाम हो एवं माइनॉरिटी का साथ लेकर भी राष्ट्रीय नेतृत्व देने में 85% आवादी लोकतंत्र के सभी जगह पर हाशिए में रह गये हैं।
ऊपर के इतर यहाँ नेता से संगठन पैदा कर राजनीतिक दरिद्रता के साथ सीबीआई से बचने के लिए अपनी कोई सुरक्षा का भीख कोई कोंग्रेस से तो कई बीजेपी से या तो अंदर से या बाहर से मिलकर नहीँ तो कई निडरता के साथ सजा भुगतने पर मजबूर हैं।
वहीँ, सामंती वर्ग अकूत सम्पति एवं सभी कुकर्मो के बावजूद भारतीय लोकतंत्र के बेताज बादशाह बने हुए हैं।
डॉ निराला का विश्लेषण
बीएसपी की अप्रत्याशित हार के कारण
.......कुछ चिंतन.....
बीएसपी की हार से हमारे सभी जागरूक साथियों को बहुत दुख है,गहरा सदमा लगा है,मुझे भी दुख है,मन निराश व बेचैन है।
दो दिनों से व्हाट्स एप्प व फेसबुक पर बहुत से बुद्धजीवियों के तरह तरह के विचार व कमेंट्स आ रहें हैं,जिनमें अधिकतर बहनजी के नेतृत्व पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं।
मैं गम्भीर चिंतन मनन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी की हार का केवल मैं ही जिम्मेदार हूं क्योंकि मुझे जो नैतिक जिम्मेदारी लेनी व निभानी चाहिये थी मैं उस में विफल रहा। अब हम अपनी असफलता, विफलता व अकर्मंणता बहनजी के सिर मढ़कर अपने को दोषमुक्त करने में जीजान से जुटे हुये हैं।
अब समय आ गया है कि हम अपनी जिम्मेदारी सुनिशचित करें और सामाजिक संघर्ष में भागीदारी कर पार्टी के लिये काम करें,
अन्यथा आगे आने वाली पीढी के पतन के लिये जिम्मेदार हम ही होंगे,
बहनजी नहीं।
मैंने अपनी जिम्मेदारी ले ली है,क्या आप भी तैयार हैं।
.... .जय भीम,जय कांशीराम.....
....... बहनजी जिंदाबाद.......
कृपा पूरा पढ़े ,
और अपने साथियों को फॉरवर्ड करे ?
आंदोलन के लिए एक सही प्लांनिग और सही व्यक्ति का मार्गदर्शन बहुत जरूरी होता है ?
किसी भी आंदोलन को सफल बनाने के लिए हमारे उच्च स्तरीय आदेश और उनके दुवारा दिशा निर्देश होने जरूरी है ।
साथ ही आंदोलन के लिए सबसे पहले छोटी छोटी मोहले में मीटिंगे और उनमे आंदोलन के लिए जन आंदोलन को तैयार के लिए आम लोगो की राय , उसके बाद एक निश्चित समय पर शासन प्रसासन को उसकी लिखित सुचना क्यू की भारत देश में आंदोलन के लिए सबसे पहले सुचना लिखित में देनी होती है ,
और जैसे किसी भी पार्टी का राष्ट्रीय संगठन होता है
बूथ लेबल तक उसी तर्ज पर इसकी पुरी तयारी जरुरी है ,
क्यू की आंदोलन सिर्फ हंगामा खड़ा करना नही है ,।आंदोलन का मतलब है कि आप अपने हक की आवाज को बुलंद करना और उसे सरकार से या जिससे आप वह हक लेने के लिए आंदोलन कर रह है उसे मजबूर कर देना ,
उसके लिए सॉसल मीडिया , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रिंट मीडिया ,
और जनसंपर्क उसके बाद आंदोलन करने वालो की पानी की सुविधा , खाने की सुविधा , उनके आंदोलन को अगर सरकार कोई गैरकानूनी कदम उठाये तो उसके लिए हमारी किया रणनीति होगी ,
आंदोलन करने से पहले बारीकी से बारीकी बातो पर हमारे राजनेताओं को हमारे समाज सैवियो को हमारे बुद्धि जीवि साथियों को जो अपना संघठन चलाते है ,
वे इस विषय पर गम्भीरता से विचार विमर्श करे ,
और उसकी पूर्ण भारत देश में हर जिले की जुम्मेवारी एक जिला लेबल के अध्यक्ष की टीम को दे वे टीम विधान सभा वाइज , दे उसके बाद बूथ के हिसाब से आंदोलन की रूप रेखा को बना कर छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं को आंदोलन के लिए तैयार करे ,।
हर गली मोहल्ले से लोगों को निकाल कर सड़कों पर आना होगा ,
हर विधान सभा से चुनाव आयोग और राष्ट्पति जी को , सुप्रीम कोर्ट , una ,को आदि जगह पर अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन देने चाहिए ,
वही ज्ञापन अपने अपने तरफ से अपने वकीलों के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट मर भी रिट दायर करे ,
इस तरह से भारत देश में आंदोलन सफल होगा ,
हर समय की हर मांग पत्र की फोटी5 कॉपी सॉसल साईड ,
और मीडिया को press कॉन्फ्रेंस के जरिये सूचित करते रहे ।
अतः इस तरह से प्लांनिग को अंजाम दिया जा सकता है ,।
उसके लिए हमारे जिलाध्यक्ष , मंडल कॉर्डिनेटर और फिर प्रदेश के कॉर्डिनेटर और हमारी राष्ट्रीय नेता जी खुद इस विषय पर तुरन्त मीटिंग करे और आदेश करे ।
और इसकी प्लांनिग पर काम करे ,
क्यू की 15 मार्च को मानीयवर कासीराम जी का जन्मदिवस है ,उस दिन से इसकी शुरुवात कर इन मंवादियो की evm मसीनो की साजिस का पर्दाफाश का ऐलान कर ,
भारत में ऐसे आंदोलन की शुरुवात कर देनी होगी की भारत देश में फिर कभी कोई देश में लोकतंत्र की हत्या करने की सोचे भी नही ।
इस लेख से जो भी साथी सहमत हो वे इसे अपने फेशबुक वाल पर और अपने जितने भी ग्रुप है उसमें जरूर
फॉरवर्ड करे ,
अपने अपने नाम से और फोन नंम्बर लिख कर भेजे ,
ताकि हमारे नेताओं को सदमे से बहार निकल कर इस आंदोलन के लिए वे तुरन्त तैयार हो सके ।
अब हमें वही मनुवादी युग में लौटने को विवश होना पड़ेगा, चूकि लेजिस्लेचर से हीं कुछ कर पाते वो भी अपने हाथ निकलता जा रहा। कोर्ट भी सवर्णों का है इसीलिए आगे कोई तत्काल गुंजाइश भी नजर नहीं आ रही है।
पर, मेरा राजनीतिक विश्लेषण है, कि भारत के पिछड़े, दलित एवं माइनॉरिटी मुलनिवाशी को इस वर्डिक्ट ने 'एक प्लेटफार्म' पर आने को विवश कर ही दिया है। Every adversaries had a hidden opportunity.
मोदी की टीम एवं स्ट्रेटेजी ने चार सेंटिमेंटल समुदाय
'मण्डल, कमंडल, मार्क्स एवं माँ '
रूपी इमोशनल हिंदूवाद के साथ राष्ट्रवाद का नारा दे मुलनिवाशी के वोट से हीं इन्हें पटखनी दे दी।
'मण्डल' इसलिए की आरएसएस ने मोदी को ओबीसी चेहरा के रूप में एवं वे खुद पिछड़े का मसीहा बता बड़े पैमाने पर ओबीसी को अट्रैक्ट किया।
कमण्डल तो खैर इसका रूट एवं बेस ही है।
मार्कसिज्म के तहत जन धन योजना, नोटबन्दी, चाय बेचने वाला इत्यादि बताकर अपने को जन मानस के दिलों दिमाग में भक्ति पैदा कर दी।
माँ के रूप में गंगा, गाय, भारत माँ का नारा दे, सँसद को मन्दिर बता, शाष्टांग दण्डवत कर धार्मिक राष्ट्रवाद एवं सर्जिकल स्ट्राइक कर राष्ट्रवाद के लुभावने मिडिया प्रसार से भारत के एक बड़े समुदाय को अपने फोल्ड में ले लिया।
कुल मिलाकर मण्डल के नाम पर ओबीसी, कमण्डल के नाम पर स्वर्ण, मार्क्स के नाम पर सभी वर्गों के गरीब एवं दलित चौथा, माँ के नाम पर महिला एवं बड़े हिन्दू धार्मिक समूह तथा राष्ट्रवाद का नारा दे पुरे भारतवंशीय समूह का रिफ्लेक्शन एक पार्टी बीजेपी में दिखा और लोगों को बहका कर कुल 40% वोट पाकर 80% सीट पर सफल हो गयी।
वहीँ दूसरे दल सपा कुछ ओबीसी, यादव, मुस्लिम का 29% वोट पाकर एवं बसपा कुछ दलित, जाटव, मुस्लिम का 22% वोट तक सीमित रह चित हो गए।
एक तरफ संगठन से नेता पैदा हो धार्मिक, पूँजी, मीडिया, ज्यूडिशियरी, एक्सक्यूटिव, कॉर्पोरेट्स तथा सब तरह नैतिक एवं अनैतिक हथियार से लैस हो अपने हित के लिये समर्पित मात्र 15% आवादी 85% पर राज कर रहे हैं।
वहीँ, दलित गुलाम एवं पिछड़े बेलगाम हो एवं माइनॉरिटी का साथ लेकर भी राष्ट्रीय नेतृत्व देने में 85% आवादी लोकतंत्र के सभी जगह पर हाशिए में रह गये हैं।
ऊपर के इतर यहाँ नेता से संगठन पैदा कर राजनीतिक दरिद्रता के साथ सीबीआई से बचने के लिए अपनी कोई सुरक्षा का भीख कोई कोंग्रेस से तो कई बीजेपी से या तो अंदर से या बाहर से मिलकर नहीँ तो कई निडरता के साथ सजा भुगतने पर मजबूर हैं।
वहीँ, सामंती वर्ग अकूत सम्पति एवं सभी कुकर्मो के बावजूद भारतीय लोकतंत्र के बेताज बादशाह बने हुए हैं।
डॉ निराला का विश्लेषण
बीएसपी की अप्रत्याशित हार के कारण
.......कुछ चिंतन.....
बीएसपी की हार से हमारे सभी जागरूक साथियों को बहुत दुख है,गहरा सदमा लगा है,मुझे भी दुख है,मन निराश व बेचैन है।
दो दिनों से व्हाट्स एप्प व फेसबुक पर बहुत से बुद्धजीवियों के तरह तरह के विचार व कमेंट्स आ रहें हैं,जिनमें अधिकतर बहनजी के नेतृत्व पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं।
मैं गम्भीर चिंतन मनन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी की हार का केवल मैं ही जिम्मेदार हूं क्योंकि मुझे जो नैतिक जिम्मेदारी लेनी व निभानी चाहिये थी मैं उस में विफल रहा। अब हम अपनी असफलता, विफलता व अकर्मंणता बहनजी के सिर मढ़कर अपने को दोषमुक्त करने में जीजान से जुटे हुये हैं।
अब समय आ गया है कि हम अपनी जिम्मेदारी सुनिशचित करें और सामाजिक संघर्ष में भागीदारी कर पार्टी के लिये काम करें,
अन्यथा आगे आने वाली पीढी के पतन के लिये जिम्मेदार हम ही होंगे,
बहनजी नहीं।
मैंने अपनी जिम्मेदारी ले ली है,क्या आप भी तैयार हैं।
.... .जय भीम,जय कांशीराम.....
....... बहनजी जिंदाबाद.......
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