पंचशील ध्वज
पंचशील ध्वज मूल रूप से श्रीलंका के कोलंबो में कोलंबो समिति द्वारा 1885 में बनाया गया था ,समिति में भंते हिक्कादुवै श्री सुमंगला ( अध्यक्ष)अनागारिक देवंमित्त धम्मपाल, महास्थवीर गुणानंद ,सुमगल ,बौद्ध विद्वान् जी आर .डिसिल्वा आदि लोग थे ,1952 की विशव बौद्ध फैलोशिप में इसे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया।
इस में कुल 5 रंग होते है और हर रंग किसी न किसी चीज़ का प्रतीक होता है
1) नीला रंग — शांति एव प्रेम का प्रतिक है !
2) पिला रंग — तेज और उत्साह का प्रतिक है !
3) लाल रंग — शौर्य और साहस का प्रतिक है !
4) सफेद रंग — शुद्धता और निर्मलता का प्रतिक है !
5) केसरी रंग — त्याग और करुना का प्रतिक है !
और ध्वज के उलटे हाथ में धवज में इस्तेमाल पांच रंगो से आडी पटटी बनायीं गयी है जो (प्रभाश्वारा ) गौतम बुद्ध की आभा का रंग को दर्शाती है
पंचशील ध्वज मूल रूप से श्रीलंका के कोलंबो में कोलंबो समिति द्वारा 1885 में बनाया गया था ,समिति में भंते हिक्कादुवै श्री सुमंगला ( अध्यक्ष)अनागारिक देवंमित्त धम्मपाल, महास्थवीर गुणानंद ,सुमगल ,बौद्ध विद्वान् जी आर .डिसिल्वा आदि लोग थे ,1952 की विशव बौद्ध फैलोशिप में इसे अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया।
इस में कुल 5 रंग होते है और हर रंग किसी न किसी चीज़ का प्रतीक होता है
1) नीला रंग — शांति एव प्रेम का प्रतिक है !
2) पिला रंग — तेज और उत्साह का प्रतिक है !
3) लाल रंग — शौर्य और साहस का प्रतिक है !
4) सफेद रंग — शुद्धता और निर्मलता का प्रतिक है !
5) केसरी रंग — त्याग और करुना का प्रतिक है !
और ध्वज के उलटे हाथ में धवज में इस्तेमाल पांच रंगो से आडी पटटी बनायीं गयी है जो (प्रभाश्वारा ) गौतम बुद्ध की आभा का रंग को दर्शाती है
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