"भारतीय महिला सक्षमीकरण के प्रतिक/मानक( स्टैंडर्ड) : बाबासाहेब डॉ अम्बेडकरजी "
(8 मार्च महिला दिवस)
🍁🍁🍁🍁🍁
भारतीय महिलाओं का इतिहास क्या है???
👧🏻👩🏻👱🏻♀👮🏻♀👷🏻♀🕵🏻♀👩🏻⚕👩🏻🏭👩🏻🚀👩🏻⚖👩🏻✈👩🏻🚒👸🏻💁🏻🙋🏻
आदर्श संस्कृति के नामसे सबसे ज्यादा शोषण, दमन तथा प्रताडित एवं अधिकार विहीन तथा अमानवीय जीवन जीने के लिए मजबूर थी।
♐क्या हमारे देश के आदर्श धर्म संस्कृतिने महिलाओं को मानवीय मूल्यों वाले अधिकार दिए थे??
कतः नहीं।
मात्र शोषण और दमन दिया।
♐आखिर में आदर्श संस्कृति ने भारत के महिलाओं को क्या दिया???
1. सती प्रथा,
2. बाल विवाह,
3. केशवपन,
4. देवदासी,
5. किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं।
6. रुढी, परंपरा के नामसे हर समय दमन तथा शोषण,
7. संपत्ति में किसी भी प्रकार का हक नहीं।
8. अपवित्र कहकर मंदिरों में तक जाने के लिए पाबंदी।
10. घरेलू मामले में निर्णय लेने का कोई हक नहीं।
11. पति के हर जुर्म को पति देवता की कृपा समझ कर सहना।
♐ऐसी अनगिनत अमानवीय बाते संस्कृति के नामसे भारतीय महिलाओं के साथ होती थी और आज भी कुछ हद तक चलती हैं।
बाबासाहेब डॉ अम्बेडकरजी ने सर्व प्रथम भारतीय महिलाओं के मानवीय एवं समानता के लिए संवैधानिक हक एवं अधिकार मिलने हेतु आवाज उठाई। चाहे वह महिला किसी भी जाति अथवा धर्म की क्यों न हो।
बाबासाहेबजी ने संविधान के माध्यम से समस्त भारतीय महिलाओं को....〽
1. समानता का अधिकार दिया।
2. लिंग के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंध किया,
3.महत्वपूर्ण ओट / मत का अधिकार दिया।
4. पति को पहली पत्नी होते हुए दूसरा विवाह करने पर प्रतिबंध किया।
5. शिक्षा के द्वार खोल दिए,
6. पिता के संपत्ति में बराबर का हक प्रदान किया।
7. जुर्म करने वाले पति से छुटकारा पाने के लिए डिवोर्स का अधिकार दिया।
🚺वे सभी अधिकार जो एक मानव के मानवीय जीवन के लिए जरूर है वह सब मौलिक अधिकारों के तहत महिलाओं को भी प्रदान किए।
🚺इस देश में मौजूद करोड़ों देवी-देवताओं ( विशेष कर शक्ति शाली देवियाँ) से नहीं हो सका वह काम बाबासाहेबजी ने कर दिखाया।
♐आज कितने भारतीय महिलाओं को पता है कि, आज उनको इस देश में मिल रहे मानवीय हक और अधिकारो के जन्मदाता बाबासाहेबजी है।
♐आज कितने महिलाओं को पता है की, बाबासाहेबजी द्वारा निर्मित " हिन्दू कोड बिल " समस्त हिन्दू महिलाओं के हक और अधिकारो के लिए बनाया था और उसको यहाँ के रुढीवादी राजनेताओं ने संविधान सभा में पास होने नही दिया।
♐यह " हिन्दू कोड बिल " दिनांक: 26 सितम्बर 1951 प्रधानमंत्री नेहरूजी ने वापिस लिया और इस तरह समस्त भारतीय महिलाओं के हक और अधिकारो का गलाघोट दिया।
( परंतु आज वही बिल टुकडों में पास कर महिलाओं को समता के आधार पर अधिकार दिए गए हैं। इसका आधार बेस बाबासाहेबजी का हिन्दू कोड बिल हैं।)
🚺इस घटना पर बाबासाहेबजी ने बड़े दुख के साथ कहा की, " It was killed and burried, unwept and unsung! "
(मेरे स्वयं का बच्चा गुजरने पर इतना दुख नहीं होता परंतु उससे जादा मुझे दुख हुआ है! ")
और इसी के चलते अपने मंत्री पद को बाबासाहेबजी ने दिनांक 27 सितम्बर 1951 को त्याग दिया।
♐कितने महिलाओं को यह सच्चाई पता है और यह सच्चाई इतिहास के किताबों में क्यों नहीं पढाई जाती है??
🚺भारत की समस्त महिला इस बात को समजले की उनके हक और अधिकारो का प्रतिक बाबासाहेब डॉ अम्बेडकरजी हैं। इसलिए भारत की समस्त महिला अम्बेडकरवाद को ठिक से समझ ले। क्योंकि की आपके हक और अधिकारो के रक्षा के लिए अम्बेडकरवाद ही काम आयेगा, ना की रुढीवादी विचार!
बाबासाहेबजी ने मात्र और मात्र महिलाओं के अधिकारों, ओबीसी के अधिकारों, गलत परराष्ट्र नीति के चलते अपने मंत्री पद को छोड़ दिया।
♐परंतु आज उनके नामसे राजनिति करने वाले नेतागण मंत्री बनने के लिए लाथ भी खाते हैं और अपना बाप भी बदलते हैं।
" 8 मार्च " महिला दिन के अवसर पर समस्त भारत की नारी यह जान लें की, उनके संवैधानिक हक और अधिकारो के रक्षा के लिए वे बाबासाहबअम्बेडकर के विचारोंको अपनाए और उसका प्रचार-प्रसार करें।
♐क्योंकि यह अम्बेडकरवाद ही समस्त भारतीय नारियों के मानवीय हक और अधिकारो का मानक / स्टैंडर्ड प्रतिक है और यही उनकी मनुवादी संस्कृति रुपी विकृति से रक्षा कर सकता है।
विश्व की समस्त महिलाओं को महिला दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
(8 मार्च महिला दिवस)
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भारतीय महिलाओं का इतिहास क्या है???
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आदर्श संस्कृति के नामसे सबसे ज्यादा शोषण, दमन तथा प्रताडित एवं अधिकार विहीन तथा अमानवीय जीवन जीने के लिए मजबूर थी।
♐क्या हमारे देश के आदर्श धर्म संस्कृतिने महिलाओं को मानवीय मूल्यों वाले अधिकार दिए थे??
कतः नहीं।
मात्र शोषण और दमन दिया।
♐आखिर में आदर्श संस्कृति ने भारत के महिलाओं को क्या दिया???
1. सती प्रथा,
2. बाल विवाह,
3. केशवपन,
4. देवदासी,
5. किसी भी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं।
6. रुढी, परंपरा के नामसे हर समय दमन तथा शोषण,
7. संपत्ति में किसी भी प्रकार का हक नहीं।
8. अपवित्र कहकर मंदिरों में तक जाने के लिए पाबंदी।
10. घरेलू मामले में निर्णय लेने का कोई हक नहीं।
11. पति के हर जुर्म को पति देवता की कृपा समझ कर सहना।
♐ऐसी अनगिनत अमानवीय बाते संस्कृति के नामसे भारतीय महिलाओं के साथ होती थी और आज भी कुछ हद तक चलती हैं।
बाबासाहेब डॉ अम्बेडकरजी ने सर्व प्रथम भारतीय महिलाओं के मानवीय एवं समानता के लिए संवैधानिक हक एवं अधिकार मिलने हेतु आवाज उठाई। चाहे वह महिला किसी भी जाति अथवा धर्म की क्यों न हो।
बाबासाहेबजी ने संविधान के माध्यम से समस्त भारतीय महिलाओं को....〽
1. समानता का अधिकार दिया।
2. लिंग के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंध किया,
3.महत्वपूर्ण ओट / मत का अधिकार दिया।
4. पति को पहली पत्नी होते हुए दूसरा विवाह करने पर प्रतिबंध किया।
5. शिक्षा के द्वार खोल दिए,
6. पिता के संपत्ति में बराबर का हक प्रदान किया।
7. जुर्म करने वाले पति से छुटकारा पाने के लिए डिवोर्स का अधिकार दिया।
🚺वे सभी अधिकार जो एक मानव के मानवीय जीवन के लिए जरूर है वह सब मौलिक अधिकारों के तहत महिलाओं को भी प्रदान किए।
🚺इस देश में मौजूद करोड़ों देवी-देवताओं ( विशेष कर शक्ति शाली देवियाँ) से नहीं हो सका वह काम बाबासाहेबजी ने कर दिखाया।
♐आज कितने भारतीय महिलाओं को पता है कि, आज उनको इस देश में मिल रहे मानवीय हक और अधिकारो के जन्मदाता बाबासाहेबजी है।
♐आज कितने महिलाओं को पता है की, बाबासाहेबजी द्वारा निर्मित " हिन्दू कोड बिल " समस्त हिन्दू महिलाओं के हक और अधिकारो के लिए बनाया था और उसको यहाँ के रुढीवादी राजनेताओं ने संविधान सभा में पास होने नही दिया।
♐यह " हिन्दू कोड बिल " दिनांक: 26 सितम्बर 1951 प्रधानमंत्री नेहरूजी ने वापिस लिया और इस तरह समस्त भारतीय महिलाओं के हक और अधिकारो का गलाघोट दिया।
( परंतु आज वही बिल टुकडों में पास कर महिलाओं को समता के आधार पर अधिकार दिए गए हैं। इसका आधार बेस बाबासाहेबजी का हिन्दू कोड बिल हैं।)
🚺इस घटना पर बाबासाहेबजी ने बड़े दुख के साथ कहा की, " It was killed and burried, unwept and unsung! "
(मेरे स्वयं का बच्चा गुजरने पर इतना दुख नहीं होता परंतु उससे जादा मुझे दुख हुआ है! ")
और इसी के चलते अपने मंत्री पद को बाबासाहेबजी ने दिनांक 27 सितम्बर 1951 को त्याग दिया।
♐कितने महिलाओं को यह सच्चाई पता है और यह सच्चाई इतिहास के किताबों में क्यों नहीं पढाई जाती है??
🚺भारत की समस्त महिला इस बात को समजले की उनके हक और अधिकारो का प्रतिक बाबासाहेब डॉ अम्बेडकरजी हैं। इसलिए भारत की समस्त महिला अम्बेडकरवाद को ठिक से समझ ले। क्योंकि की आपके हक और अधिकारो के रक्षा के लिए अम्बेडकरवाद ही काम आयेगा, ना की रुढीवादी विचार!
बाबासाहेबजी ने मात्र और मात्र महिलाओं के अधिकारों, ओबीसी के अधिकारों, गलत परराष्ट्र नीति के चलते अपने मंत्री पद को छोड़ दिया।
♐परंतु आज उनके नामसे राजनिति करने वाले नेतागण मंत्री बनने के लिए लाथ भी खाते हैं और अपना बाप भी बदलते हैं।
" 8 मार्च " महिला दिन के अवसर पर समस्त भारत की नारी यह जान लें की, उनके संवैधानिक हक और अधिकारो के रक्षा के लिए वे बाबासाहबअम्बेडकर के विचारोंको अपनाए और उसका प्रचार-प्रसार करें।
♐क्योंकि यह अम्बेडकरवाद ही समस्त भारतीय नारियों के मानवीय हक और अधिकारो का मानक / स्टैंडर्ड प्रतिक है और यही उनकी मनुवादी संस्कृति रुपी विकृति से रक्षा कर सकता है।
विश्व की समस्त महिलाओं को महिला दिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
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