Tuesday 14 March 2017

प्रतिनिधि श्रेष्ठ होता है ???

लोकतंत्र में जनता द्वारा चुना प्रतिनिधि श्रेष्ठ होता है
 या ब्राह्मणों के टोली से नॉमिनेटेड न्यायपालिका?

         आपका उत्तर होगा जनता जिसे सराखों पर रखेगा वही श्रेष्ठ है।
                पर, भारतीय लोकतंत्र में सबसे श्रेष्ठ संविधान है एवं लोकतंत्र संविधान से चल रहा है कि नहीं इसका निर्णय न्यायपालिका करती है।
    चूकि, संविधान निर्जीव, पर सबसे ताकतवर है जो खुद नहीं कह सकता कि लोकतंत्र हमारे अनुसार चल रहा है कि नहीं, तो इसकी आवाज या निर्णय न्यायपालिका के जस्टिस देते हैं, जिसे हम न्याय कहते हैं। जो मूलतः जनता के विश्वास से जनप्रतिनिधि रूपी जस्टिस होना चाहिए या मैजोरिटी जनप्रतिनिधि द्वारा चुने हुए व्यक्ति हीं जस्टिस होना चाहिये, न की ब्राह्मणों के टोली द्वारा नियुक्त जस्टिस।
                 अगर, ज्यूडिशियरी को संविधान की देख रेख के लिये ताकत दी गयी है, तो इसके नियुक्ति की ताकत भी जनता या जनप्रतिनिधि को देनी चाहिए, जो दुनिया के सभी लोकतंत्र में है। अगर, ऐसा नहीं है, तो फिर यह वास्तविक डेमोक्रेसी नहीं है।  
              1993 के बाद भारतीय न्यायपालिका पूरी तरह से लोकतंत्र को निगल कर खुद लोकतंत्र से ऊपर हो लेजिस्लेटर को बौना बना दिया  है। आश्चर्य, जनता का विश्वास जित कर भी जनप्रतिनिधि घुटना टेक ब्रह्मनपालिका का डांसिंग डॉल बन कर रह गया है।
      अगर मदुमखी पराग जमा कर संविधान रूपी शहद एवं रोयाल जेली बनाती है, पर इसके रखवाला उसी मदुमक्खी समुदाय से न होकर बन्दर को रख दिया जाय तो क्या मधु के साथ खिलवाड़ एवं मदुमक्खी से अन्याय नहीँ होगा।
                आज भारतीय न्यायपालिका भी उसी तरह संविधान से खिलवाड़ कर रही है। ज्यूडिशियल एक्टिविज्म, डिक्टेटरशिप, अड्वेंचरिज्म एवं  अब ज्यूडिशियल रोमांटिसिज्म की दौर में जनप्रतिनिधि द्वारा मिहनत से शहद की तरह जमा किए संविधान के साथ,
              बिना रेस्पोसिबिलिटी के सिर्फ एवं सिर्फ पावर ग्रैब कर लोकतंत्र के साथ रोमांस कर रहा है। साथ हीं ब्राहिमिनिक एम्पायर को फैला  खुद से नेतृत्व तय कर पिछड़े एवं दलित नेतृत्व को खलनायक बना रहा है। 


काले धन पर वर्ल्ड कि सबसे बड़ी खुफिया ऐजेन्सी विकिलीक्स ने भाजपा कि पोल खोलखर रख दी, ये वही खुफिया एजेन्सी है जिसने अमेरीका, फ्रांस, रूस,
जर्मनी जैसे देशों की पोल गोल कर दी, आप भी पढ़ें काले धन पर भाजपा के काले कारनामे, 📮
विकिलीक्स ने स्विश बैंको में कालाधन रखने वाले भारतीयों की पहली सूची जारी की है।
प्रथम 24 नाम इस प्रकार से हैं--
(राशियाँ डाॅलर में हैं )
1 - मोहन भागवत
(56,800,000,000,000)
2 - येदुरप्पा
(780,000,000,000)
3 - मुकेश अम्बानी
(15,800,000,000,000)
4 - अमित शाह
(8,200,000,000,000)
5 - स्मृति ईरानी
(15,040)
6 - अरुण जेटली
(2,890,000,000,000)
7 - लाल कृष्ण आडवाणी
(900,000,000,000)
8 - जय ललिता
(1,500,000,000,000)
9 - आनंदी बेन पटेल
(7,500,000,000,000)
10 - रमन सिंह
(2,800,000,000,000)
11 - अडानी
(590,000,000,000)
12 - शिव राज सिंह चौहान
(22,000,000,000,000)
13 - अटल बिहारी वाजपेई
(7,688,800,000,000)
14- बंगारू दत्ता त्रेय
(58,211,400,000,000)
15- अनुराग ठाकुर
(1,980,000,000,000)
16- मुरली मनोहर जोशी
(1,358,000,000,0000)
17- मेनका गांधी
(820,000,000,000)
18- कलराज मिश्र
(1,450,000,000,000)
19- रामविलास पासवान
(2,890,000,000,000)
20 - सुभाष चंद्रा Zee न्यूज़ वाले
(900,000,000,000)
21-गिरिराज सिंह
(1,500,000,000,000)
22- दिनकर दिवाकर
(3,500,000,000,000)
23- यशवंत सिंह
(590,000,000,000)
24- राज फाउंडेशन
(18,900,800,000,000)
ये नई लिस्ट है जिससे मोदी सरकार के होश उड़ गये हैं की अब काला धन पे देश की जनता को क्या जवाब दें??
कृपया इस पोस्ट को फॉरवर्ड करें....
कृपया भ्र्ष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई मे सहयोग प्रदान करें। 
Fwrd. msg.  

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