यदि मैं कहूं कि मैं यूपी में मोदी की जीत से दुखी हूं तो यह अंडरस्टेटमेंट होगा. उत्तर प्रदेश में BJP की इस जीत के लिये तमाम कारण गिनाए जा रहे हैं, भक्तों के लिये यह मोदी का करिश्मा, तो बाकि EVM के बहाने खंभा नोच रहे हैं।
मेरे लिये यह लोकतंत्र के लिये आने वाले खतरे की आहट है. यह हिंदुत्व के नाम पर एक ऐसा ध्रुवीकरण है जिसमें सत्ता, मीडिया, नौकरशाही और ज्युडीशियरी सब शामिल हैं. देश के हित-अहित को ताक पर रख कर केवल हिंदुत्व के नाम पर वोट देने का यह फिनोमेना अगले दो सालों में हमारे इस लोकतंत्र को डिक्टेटरशिप में बदल देगा. हिंदुत्व के नाम पर यह वृहद् ध्रुवीकरण हिंदी बेल्ट में ही सबसे अधिक परिलक्षित हो रहा है.
मेरे लिये सबसे आश्चर्य की बात है, पढ़े लिखे नौकरीपेशा हिंदू युवाओं की अंधभक्ति. वो किसी भी कीमत पर मोदी का सपोर्ट करने को तैयार है. देश के टुकड़े होने की कीमत पर भी. अंग्रेजी का मारा और दुनियाभर के इंफीरियोरिटी कॉंप्लेक्स से घिरा यह युवा ही इस देश का दुर्भाग्य साबित हो रहा है.
2019 का आम चुनाव Cow belt vs rest of India होने वाला है. दुर्भाग्य से यदि मोदीजी 2019 में जीत जाते हैं, तो देश बहुत तेजी से विघटन की ओर बढ़ेगा, और यही हमारी चिंता का प्रमुख कारण होना चाहिये.
इस बीच अगले दो वर्षों में बेरोजगारी हमारी सबसे बड़ी समस्या बन कर खड़ी होगी. तीन वर्षों में हमने 2 करोड़ रोज़गार खोये हैं, अगले दो वर्षों में यह समस्या और विकराल रूप धारण करेगी. 5 करोड़ नौकरियां जाने के बाद जो नई अनएंप्लॉयबल वर्कफोर्स बाजार में आयेगी, उसके गुस्से को भाजपा आरक्षण और मुस्लिमों के प्रति रिडायरेक्ट करेगी. फलस्वरूप 2019 में हमारा युवा एक ऐसी भीड़ में तब्दील हो जायेगा, जिसे लिबरल विचार से लेकर सिक्युलरिज्म तक सब कुछ अपने खिलाफ खड़ा नजर आयेगा.
भारतीय समाज और लोकतंत्र 79 वर्षों में अपनी सबसे कड़ी परीक्षा के गुजर रहा है और इसमें एक तरफ - लिबरल, सिक्युलर, ग्लोबलाईज्ड विचार हैं और दूसरी तरफ विघटनकारी ताकतें जिनके साथ पत्रकार और पूंजी भी खड़ी है.
अब च्वाईस आपकी है कि आप किस तरफ खड़े हैं, देश की तरफ या टुकड़े करने वालों की तरफ. अपने आपको राष्ट्रवादी मत कहियेगा, यह शब्द अपने मायने खो चुका है.
(आनंद जैन जी की वाल से)
लेकिन नॉर्थ ईस्ट का प्रदेश होने के कारण किसी ने उसको ज्यादा तवज्जो नहीं दी। विपक्षी पार्टियां खुश थी कि बाकी प्रदेशों में बीजेपी को खास सफलता नहीं मिली।
4- चौथा सबसे बड़ा घपला अमित शाह ने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड प्रदेश में करवाया। जिस उत्तर प्रदेश में अधिकारी लोग BSP के आने की आशंका से ही हाथी और अंबेडकर पार्क की सफाई करने लगे हो, वहां का रिजल्ट ऐसा उलट नहीं हो सकता। उत्तराखंड में वहां का मजबूत जनाधार वाला मुख्यमंत्री हार जाए इस पर कौन विश्वास कर सकता है। लोगों को शक ना हो इसलिए रातोंरात Exit Poll के रिजल्ट बदलवाये गये। घपले को polarisation का नाम दे दो तो लोग चुप हो जाते हैं।
5- अमित शाह ने ही इसी तरह का एक्सपेरिमेंट करके तीन बार नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनवाया। यह एक्सपेरिमेंट सफल होने के बाद इसका प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर किया गया।
जिस मशीन पर अमेरिका जैसे विकसित देश को भी विश्वास नहीं है, उससे भारत में चुनाव कराना लोकतंत्र से खिलवाड़ करना है और फासीवादी ताकतों को मजबूत करना है।
पंकज कुमार द्वारा फेसबुक पर पोस्ट की ग Dr Subramanian Swamy exposes fault in Electronic Voting Machine (EVM) (हिंदी)बाबा रामदेव के चिंतन शिविर में डॉ सुब्रमनियन स्वामी। डॉ सुब्रमनियन स्वामी कहते है की आज महंगाई का कारन भ्रस्ताचार और काला धन है. डॉ स्वामी कहते है की इतना ही...www.youtube.com
मेरे लिये यह लोकतंत्र के लिये आने वाले खतरे की आहट है. यह हिंदुत्व के नाम पर एक ऐसा ध्रुवीकरण है जिसमें सत्ता, मीडिया, नौकरशाही और ज्युडीशियरी सब शामिल हैं. देश के हित-अहित को ताक पर रख कर केवल हिंदुत्व के नाम पर वोट देने का यह फिनोमेना अगले दो सालों में हमारे इस लोकतंत्र को डिक्टेटरशिप में बदल देगा. हिंदुत्व के नाम पर यह वृहद् ध्रुवीकरण हिंदी बेल्ट में ही सबसे अधिक परिलक्षित हो रहा है.
मेरे लिये सबसे आश्चर्य की बात है, पढ़े लिखे नौकरीपेशा हिंदू युवाओं की अंधभक्ति. वो किसी भी कीमत पर मोदी का सपोर्ट करने को तैयार है. देश के टुकड़े होने की कीमत पर भी. अंग्रेजी का मारा और दुनियाभर के इंफीरियोरिटी कॉंप्लेक्स से घिरा यह युवा ही इस देश का दुर्भाग्य साबित हो रहा है.
2019 का आम चुनाव Cow belt vs rest of India होने वाला है. दुर्भाग्य से यदि मोदीजी 2019 में जीत जाते हैं, तो देश बहुत तेजी से विघटन की ओर बढ़ेगा, और यही हमारी चिंता का प्रमुख कारण होना चाहिये.
इस बीच अगले दो वर्षों में बेरोजगारी हमारी सबसे बड़ी समस्या बन कर खड़ी होगी. तीन वर्षों में हमने 2 करोड़ रोज़गार खोये हैं, अगले दो वर्षों में यह समस्या और विकराल रूप धारण करेगी. 5 करोड़ नौकरियां जाने के बाद जो नई अनएंप्लॉयबल वर्कफोर्स बाजार में आयेगी, उसके गुस्से को भाजपा आरक्षण और मुस्लिमों के प्रति रिडायरेक्ट करेगी. फलस्वरूप 2019 में हमारा युवा एक ऐसी भीड़ में तब्दील हो जायेगा, जिसे लिबरल विचार से लेकर सिक्युलरिज्म तक सब कुछ अपने खिलाफ खड़ा नजर आयेगा.
भारतीय समाज और लोकतंत्र 79 वर्षों में अपनी सबसे कड़ी परीक्षा के गुजर रहा है और इसमें एक तरफ - लिबरल, सिक्युलर, ग्लोबलाईज्ड विचार हैं और दूसरी तरफ विघटनकारी ताकतें जिनके साथ पत्रकार और पूंजी भी खड़ी है.
अब च्वाईस आपकी है कि आप किस तरफ खड़े हैं, देश की तरफ या टुकड़े करने वालों की तरफ. अपने आपको राष्ट्रवादी मत कहियेगा, यह शब्द अपने मायने खो चुका है.
(आनंद जैन जी की वाल से)
लेकिन नॉर्थ ईस्ट का प्रदेश होने के कारण किसी ने उसको ज्यादा तवज्जो नहीं दी। विपक्षी पार्टियां खुश थी कि बाकी प्रदेशों में बीजेपी को खास सफलता नहीं मिली।
4- चौथा सबसे बड़ा घपला अमित शाह ने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड प्रदेश में करवाया। जिस उत्तर प्रदेश में अधिकारी लोग BSP के आने की आशंका से ही हाथी और अंबेडकर पार्क की सफाई करने लगे हो, वहां का रिजल्ट ऐसा उलट नहीं हो सकता। उत्तराखंड में वहां का मजबूत जनाधार वाला मुख्यमंत्री हार जाए इस पर कौन विश्वास कर सकता है। लोगों को शक ना हो इसलिए रातोंरात Exit Poll के रिजल्ट बदलवाये गये। घपले को polarisation का नाम दे दो तो लोग चुप हो जाते हैं।
5- अमित शाह ने ही इसी तरह का एक्सपेरिमेंट करके तीन बार नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनवाया। यह एक्सपेरिमेंट सफल होने के बाद इसका प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर किया गया।
जिस मशीन पर अमेरिका जैसे विकसित देश को भी विश्वास नहीं है, उससे भारत में चुनाव कराना लोकतंत्र से खिलवाड़ करना है और फासीवादी ताकतों को मजबूत करना है।
पंकज कुमार द्वारा फेसबुक पर पोस्ट की ग Dr Subramanian Swamy exposes fault in Electronic Voting Machine (EVM) (हिंदी)बाबा रामदेव के चिंतन शिविर में डॉ सुब्रमनियन स्वामी। डॉ सुब्रमनियन स्वामी कहते है की आज महंगाई का कारन भ्रस्ताचार और काला धन है. डॉ स्वामी कहते है की इतना ही...www.youtube.com
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