*हमें उद्योजक बनना होंगा *
नागपुर शहर में बुद्धिस्ट समाज की चार लाख के करीब आबादी है ... मजदूरी करने वाला भी कम से कम महीने का १,५०० रुपये राशन पर खर्च करता ही है ! एक माध्यम वर्गीय परिवार का महीने का २,५०० रुपये राशन पर खर्च होता ही है ... हम monthly average 2,000 रुपये पकड़ते है ( its a minimum expenses )... अभी हम ४ लाख को २००० से गुना करते है - टोटल ८० करोड़ महीने का और सालाना ९६० करोड़ बनता है .. इसको हम सालाना १,००० करोड़ रुपये पकड़ते है ! क्यों , चौंक गए ना ? ( many of us familiar with this fact )
अभी सोचने वाली बात है की यह १००० करोड़ का बिज़नेस हम किसको दे रहे है ??? तो जवाब है की यह पूरा का पूरा १००० करोड़ रुपये का बिज़नेस ब्राम्हण, बनिया, सिंधी, पंजाबी इनके घर जा रहा है ! सालाना 1,००० करोड़ का बिज़नेस हम इन बनिया को / इन सिंधीयो को दे रहे है
एक उदहारण दे रहा हूँ ... उत्तर नागपुर में जरीपटका नाम का एरिया है ! यह सिंधी लोगो का एरिया है और हर तरह का मार्किट है यहाँ ... इस जरीपटका के चारो ओर बुद्धिस्ट लोगो के एरिया है, मतलब सिंधी मार्किट सेंटर में और उसके चारो और बुद्धिस्ट एरिया .... यह सिंधी लोग उनके लोगो के अलावा किसी ओर का हाथ ठेला भी लगने नहीं देते है इस जरीपटका में, दुकान तो दूर की बात है ! इसके बावजूद भी हमारे लोग यही से शॉपिंग करते है !! खैर, यहाँ कमिया ढूंढने में, तकरार करने में समय नहीं गँवाना है ... हमें सोचना होंगे की हमारा पैसा, हमारा बिज़नेस हमारे लोगो के पास ही जाये
सामाजिक चेतना जागृत न होने की वजह से हमारे लोग आपस में ही एक दूसरे को सहयोग नहीं करते है, यह वास्तविकता है !! जिनको समाज से कुछ लेना देना नहीं है, ऐसे स्वार्थी / बेईमान / नालायक लोगो के बारे में हमें सोचना ही नहीं है ! जो लोग समाज में कार्यरत है, जो युवा शोसली एक्टिव है ( जॉब पर हो या बेरोजगार हो ), जो लोग ' पे बैक मिशन ' पर काम कर रहे है, ऐसे हम सभी लोगो ने एक दूसरे से जुड़ना होंगा !! नए काम, बिज़नेस सुरु करने में हमें एक दूसरे की सहायता करनी होंगी, एक दूसरे को बिज़नेस देना होंगा !!!
हमें अपने घर परिवार में, बड़े बुजुर्गो में, दोस्त भाईयो में कहना चाहिए की अपने ही लोगो के यहाँ शॉपिंग करे, अपने ही लोगो के यहाँ से सामान ख़रीदे, एक दूसरे का रेफेरेंस दे !!
मैंने जो 1,००० करोड़ रुपये का उदाहरण दिया है वह सिर्फ घर के किराना सामान का है.... इसमे तो मैंने बाकि चीजे शामिल ही नहीं की है .. जरा सोचिये, की किस तरह से हम हमारे ही दुश्मनो को मजबूत कर रहे है करोडो रुपये का बिज़नेस देकर !!
हमारे दोस्त जो कम वेतन पर सरकारी जॉब पर है वह भी अलग अलग साइड बिज़नेस पर विचार जरूर करे
एक बात दिल और दिमाग में बैठा दीजिये की " बिज़नेस का बेटा-बेटी बिज़नेसमैन बनकर ही पैदा होंगा चाहे अंगूठा छाप क्यों ना हो, परंतु IAS का बेटा -बेटी IAS बनकर पैदा नहीं होंगा , उसे मेहनत और पढ़ाई करनी होंगी !!
हमें अभी गंभीरता से सोचना होंगा की हमारा पैसा हमारे समाज के पास कैसे आये? जमीनी कार्यकर्ता, ईमानदार लोग इस पर जरूर विचार और चिंतन करे !!
जयभीम.🌹🙏
नागपुर शहर में बुद्धिस्ट समाज की चार लाख के करीब आबादी है ... मजदूरी करने वाला भी कम से कम महीने का १,५०० रुपये राशन पर खर्च करता ही है ! एक माध्यम वर्गीय परिवार का महीने का २,५०० रुपये राशन पर खर्च होता ही है ... हम monthly average 2,000 रुपये पकड़ते है ( its a minimum expenses )... अभी हम ४ लाख को २००० से गुना करते है - टोटल ८० करोड़ महीने का और सालाना ९६० करोड़ बनता है .. इसको हम सालाना १,००० करोड़ रुपये पकड़ते है ! क्यों , चौंक गए ना ? ( many of us familiar with this fact )
अभी सोचने वाली बात है की यह १००० करोड़ का बिज़नेस हम किसको दे रहे है ??? तो जवाब है की यह पूरा का पूरा १००० करोड़ रुपये का बिज़नेस ब्राम्हण, बनिया, सिंधी, पंजाबी इनके घर जा रहा है ! सालाना 1,००० करोड़ का बिज़नेस हम इन बनिया को / इन सिंधीयो को दे रहे है
एक उदहारण दे रहा हूँ ... उत्तर नागपुर में जरीपटका नाम का एरिया है ! यह सिंधी लोगो का एरिया है और हर तरह का मार्किट है यहाँ ... इस जरीपटका के चारो ओर बुद्धिस्ट लोगो के एरिया है, मतलब सिंधी मार्किट सेंटर में और उसके चारो और बुद्धिस्ट एरिया .... यह सिंधी लोग उनके लोगो के अलावा किसी ओर का हाथ ठेला भी लगने नहीं देते है इस जरीपटका में, दुकान तो दूर की बात है ! इसके बावजूद भी हमारे लोग यही से शॉपिंग करते है !! खैर, यहाँ कमिया ढूंढने में, तकरार करने में समय नहीं गँवाना है ... हमें सोचना होंगे की हमारा पैसा, हमारा बिज़नेस हमारे लोगो के पास ही जाये
सामाजिक चेतना जागृत न होने की वजह से हमारे लोग आपस में ही एक दूसरे को सहयोग नहीं करते है, यह वास्तविकता है !! जिनको समाज से कुछ लेना देना नहीं है, ऐसे स्वार्थी / बेईमान / नालायक लोगो के बारे में हमें सोचना ही नहीं है ! जो लोग समाज में कार्यरत है, जो युवा शोसली एक्टिव है ( जॉब पर हो या बेरोजगार हो ), जो लोग ' पे बैक मिशन ' पर काम कर रहे है, ऐसे हम सभी लोगो ने एक दूसरे से जुड़ना होंगा !! नए काम, बिज़नेस सुरु करने में हमें एक दूसरे की सहायता करनी होंगी, एक दूसरे को बिज़नेस देना होंगा !!!
हमें अपने घर परिवार में, बड़े बुजुर्गो में, दोस्त भाईयो में कहना चाहिए की अपने ही लोगो के यहाँ शॉपिंग करे, अपने ही लोगो के यहाँ से सामान ख़रीदे, एक दूसरे का रेफेरेंस दे !!
मैंने जो 1,००० करोड़ रुपये का उदाहरण दिया है वह सिर्फ घर के किराना सामान का है.... इसमे तो मैंने बाकि चीजे शामिल ही नहीं की है .. जरा सोचिये, की किस तरह से हम हमारे ही दुश्मनो को मजबूत कर रहे है करोडो रुपये का बिज़नेस देकर !!
हमारे दोस्त जो कम वेतन पर सरकारी जॉब पर है वह भी अलग अलग साइड बिज़नेस पर विचार जरूर करे
एक बात दिल और दिमाग में बैठा दीजिये की " बिज़नेस का बेटा-बेटी बिज़नेसमैन बनकर ही पैदा होंगा चाहे अंगूठा छाप क्यों ना हो, परंतु IAS का बेटा -बेटी IAS बनकर पैदा नहीं होंगा , उसे मेहनत और पढ़ाई करनी होंगी !!
हमें अभी गंभीरता से सोचना होंगा की हमारा पैसा हमारे समाज के पास कैसे आये? जमीनी कार्यकर्ता, ईमानदार लोग इस पर जरूर विचार और चिंतन करे !!
जयभीम.🌹🙏
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