Tuesday, 14 March 2017

भोजपुर जिले के बड़हारा थाने में

भोजपुर जिले के बड़हारा थाने में पान जाति के एक महादलित राजमिस्त्री रामसज्जन उर्फ़ छेना की पुलिस हिरासत में हुए तथाकथित हत्या को लेकर कल बड़हारा थाना एवं इसके आस पास का क्षेत्र आक्रोशित जनता की हिंसा की भेंट चढ़ गया. आक्रोशित लोगों ने थाना में काफी लूटपाट की, अभिलेखों को जला दिया, थाना के सिरिस्ता कक्ष एवं थानाध्यक्ष के कमरे को आग के हवाले कर दिया एवं दर्जनों गाड़ियां जला दीं तथा तीन राइफलें लूट ली गयीं. इस हिंसा में एक सिपाही भी घायल हो गया.
             अब प्रश्न उठता है यह नौबत क्यों आयी ? अखबारों में प्रकाशित समाचारों में भरोसा करें तो उसके अनुसार स्थिति निम्नप्रकार बनती है.....
             हिन्दुस्तान समाचार के अनुसार मृतक के विरुद्ध उसकी बेटी नीतू ने यह आरोप लगाया गया था कि उसके पिता शराब पीते हैं एवं माँ के घर पर नहीं रहने पर उसके साथ छेड़छाड़ करते हैं. इसी आरोप पर थाने का सहायक पुलिस निरीक्षक अरबिंद कुमार एवं चौकीदार शालिक पासवान पुलिस दस्ते के साथ मृतक के घर गए एवं छेना को पकड़ कर थाना ले आये एवं समाचार में फिर आगे बताया गया है कि मौक़ा पाकर छेना ने थाना के छत पर से छलांग लगा दी. उसे अस्पताल ले जाया गया एवं रात्रि 2 बजे इलाज़ के क्रम में उसकी मृत्यु हो गयी. जब अगली सुबह यह खबर जनता के बीच फ़ैली तो आक्रोशित लोगों ने पुलिस हिरासत में मौत को लेकर उपर्युक्त घटना को अंजाम दिया.इस घटना को लेकर मेरे जेहन में कई गंभीर प्रश्न उठ रहे हैं जिसका जबाब भोजपुर पुलिस प्रशासन को देना चाहिए.
       [1] जब ऋतू ने अपने पिता के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी तो उसकी शिकायत से क्या वह संज्ञेय अपराध बनता था ? अगर संज्ञेय अपराध बनता था तो उसकी प्राथमिकी [ FIR ] दर्ज करने के तुरत बाद उसकी प्राथमिकी की प्रति ऋतू या उसकी मां को क्या दिया गया था जो माननीय सुप्रीम कोर्ट एवं CRIMINAL  PROCEDURE CODE  के अनुसार अत्यंत आवश्यक है.      
       [2] जब छेना को गिरफ्तार कर थाना लाया गया था तो गावं में गिरफ्तारी के बाद क्या गिरफ्तारी मेमो तैयार किया गया था ? एवं इसकी एक प्रति छेना के परिवार को दिया गया था ?
      [3] क्या गिरफ्तारी के वक्त छेना दारू के नशे में था ? क्या गिरफ्तारी के बाद उसे थाना लाने के तुरत बाद चिकित्सीय जांच करायी गयी थी ? अगर ऐसी जांच करायी गयी थी तो क्या उसके नशे में होने की पुष्टि हुई थी ?
     [4] गिरफ्तारी कर थाना ले जाए जाने का मतलब है कि उसके विरुद्ध पुलिस ने आरोप को सही पाया था. तो क्या उसे थाना के हाजत [ POLICE  LOCK UP ] में बंद किया गया था ? अगर वह हाजत में बंद था तो फिर छत पर कैसे पहुँच गया ? क्या हाजत छत पर ही था एवं उसका दरवाजा खुला था ?
      [5] गिरफ्तारी के बाद जब छेना को थाना में लाया गया तो क्या गिरफ्तारी पंजी में गिरफ्तारी के बारे में विवरणी अंकित गयी थी ?
         अगर इन प्रश्नों नकारात्माक जबाब मिलता है तो स्पष्ट है कि पुलिस कहानी में लोचा है. अखबारों में भी इन मुद्दों पर प्रश्न नहीं उछाले गए. ऐसी स्थिति में यह मामला पूर्णतः संदेह के घेरे में आ जाता है.
            पुलिस मुख्यालय ने बैठे ठाले यह वक्तव्य दे डाला है कि छेना की मौत उसके छत पर से गिरने से हुई है. इसका आधार पुलिस मुख्यालय ने मृतक महादलित की पत्नी एवं बेटी के लिखित आवेदन को बताया है. पुलिस मुख्यालय की यह बात गले के नीचे नहीं उतरती क्योंकि जब बेटी ने अपने बाप के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा ही दिया था तो फिर वह अर्धरात्रि में थाने पर वह क्या कर रही थी ? ऐसे भी किसी महिला जो किसी काण्ड में मुजरिम न हो देर रात्रि में उसके थाने पर रहने का कोई औचित्य नहीं उठता है. दूसरी ओर स्थानीय DIG  श्री रहमान का कहना है कि इस मामले में कुछ प्रशासनिक चूक हुई है. ऐसी चूकें क्या हैं उसे पारदर्शिता को मद्देनजर रखते हुए उन्हें उजागर करना चाहिए. POLCE HQ एवं रेंज DIG के वक्तव्य में कोई मेल नहीं है.स्पष्ट है कि पुलिस के कथन पर विश्वास करना काफी कठिन सा प्रतीत हो रहा है. इस प्रकार यह मामला पूर्णतः संदेह के घेरे में है एवं इस धारणा को बल मिलता है कि छेना की मृत्यु सहज नहीं है.
               घटना के बाद आक्रोशित भीड़ ने जिस तरह हिंसा किया उसे किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने ऐसे सभी अभिलेखों को भी आग के हवाले कर दिया जो स्वयं क्षेत्र की जनता के लिए आवश्यक थे एवं इसका खामियाजा क्षेत्र की जनता को निश्चित रूप से भुगतना पड़ेगा. पर पुलिस को इस मामले में पूर्णरूपेण आश्वस्त होने के बाद ही गिरफ्तारियां करनी चाहिए अन्यथा अगर निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया तो वह स्थानीय प्रशासन के लिए श्रेयस्कर नहीं होगा.
        अब मैं पुलिस प्रशासन से निम्नलिखित मांग इस सोशल मंच के माध्यम से करना चाहता हूं. यह न केवल पान जाति के हर सदस्य की आवाज़ है वरन इस राज्य के हर शांति पसंद नागरिकों की भी मांग है. पिछले वर्ष इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी है एवं आक्रोशित भीड़ ने थाना को आग के हवाले कर अपना गुस्सा जाहिर किया है.
       [1] ऋतू द्वारा बाप के विरुद्ध दर्ज की गयी प्राथमिकी की प्रतिलिपि अविलम्ब ऋतू को या उसकी मां को दिया जाए.
       [2] छेना के पुलिस हाजत में तथाकथित हुई हत्या के सम्बन्ध में किसके बयान पर पुलिस वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है. ऋतू या उसकी मां के बयान पर या स्वयं पुलिस वालों ने खुद अपने बयान पर तथाकथित हत्या के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है. इस प्राथमिकी की भी प्रतिलिपि मृतक के परिवार को दिया जाए.
         [3] अगर गिरफ्तारी के बाद छेना की मेडिकल जांच काराई गयी थी तो उस जांच प्रतिवेदन की छायाप्रति दी जाए.
        [4] इस घटना के सम्बन्ध में गिरफ्तारी के बाद से हिंसा की घटना होने तक के बारे में थाना दैनिकी दर्ज की गयी सनहा की छायाप्रति दी जाए.
         [5] मृतक छेना की मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट मजिस्ट्रेट द्वारा तैयार कराया जाए. पोस्टमार्टम डाक्टरों की एक बोर्ड द्वारा की जाये एवं उसकी विडियो रिकॉर्डिंग कराई जाये. [यद्यपि अखबार में यह खबर छपी है कि पुलिस एवं जिला प्रशासन ने ऐसा किया है अतः इस मांग को वापस लिया जाता है ]
        [6] पोस्टमार्टम रिपोर्ट की छायाप्रति भुक्तभोगी के परिवार को दिया जाए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अध्ययन के बाद पता चल सकता है कि उसके बदन पर मिली चोटें छत से कूदने से हुई थी या पुलिस द्वारा मारपीट करने से हुई थी.
        [7] जब घायल छेना को अस्पताल ले जाया गया था तो पुलिस पदाधिकारी ने अस्पताल में डॉक्टर को छेना का इलाज़ करने हेतु जो आवेदन दिया था उसकी छायाप्रति उपलब्ध कराई जाए.
        [8] जिला पदाधिकारी इस घटना की जांच के लिए वरीय दंडाधिकारियों की टीम बनाये जो तीन दिनों के अन्दर अपनी जांच रिपोर्ट दे.
        [9] जिले के पुलिस कप्तान इस मामले का स्वयं पर्यवेक्षण करें एवं अपनी पर्यवेक्षण टिप्पणी तीन दिनों के अन्दर समर्पित करें.
       [10] छेना के तथाकथित हत्या के सम्बन्ध में हत्या एवं टार्चर की धाराओं के अलावे अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत भी पुलिसवालों के विरुद्ध मामला दर्ज कराया जाए. अगर यह धारा नहीं लगाया गया है तो इसे न्यायालय को जोड़ने हेतु शुद्धि-पत्र अविलम्ब दिया जाए.उल्लेखनीय है कि मृतक एक महादलित था.
       [11] मामले की जांच पूर्ण होने तक थाना के हर कर्मी को अविलम्ब स्थान्तरित कर दिया जाए ताकि अनुसंधान एवं जांच निष्पक्ष हो.
       [12] मृतक के परिवार को तत्काल मुआवजा के तौर पर 25 लाख रूपये दिया जाए और अगर छेना को कोई पुत्र नहीं था तो ऋतू को अविलम्ब सरकारी नौकरी दी जाए.
       [13] अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत 4 लाख रूपये की राशि अविलम्ब मृतक के परिवार को दिया जाए.
        [4] इस काण्ड का अनुसंधान कोई दारोगा या इंस्पेक्टर नहीं करे बल्कि कोई निष्पक्ष पुलिस उपाधीक्षक को दिया जाए. बेहतर तो होगा कि सरकार इस मामले की जांच CID यानि अपराध अनुसंधान विभाग से कराये.
      [15] तीस दिनों के अन्दर इस मामले का अनुसन्धान समाप्त कराया जाए एवं पुलिस वालों के दोषी पाए जाने की स्थिति में स्पीडी ट्रायल चलाकर न्यायालय से दोषियों को सजा दिलाया जाए.
              इस घटना को कल नेता श्री प्रवीण दास ने मेरे संज्ञान में लाया एवं तदनुसार मैंने जमुई के एवं पान जाति के नेता इंजिनियर श्री गुप्ता जी एवं अन्य को अवगत कराया. पूर्व की तरह श्री गुप्ता ने मृतक के परिवार को एक लाख रूपये देने की घोषणा की है जिसका स्वागत किया जाना चाहिये. साथ ही प्रवीण जी को भी धन्यवाद दिया जाना चाहिए.
                 मैं अपनी जाति का एक अदना कार्यकर्ता हूं और अदना ही बना रहना चाहता हूं पर पान जाति के सभी नेताओं से मेरा करबद्ध प्राथना एवं विनती है कि एकजुट होकर इस इस दुखद घटना का विरोध करें एवं सरकार के समक्ष अपनी सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन करें साथ ही मानवाधिकार आयोग एवं राज्य तथा केन्द्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति के संज्ञान में यह मामला लायें. अगर लगता है कि पुलिस से निष्पक्षता नहीं मिलेगी एवं न्याय नहीं मिलेगा तो न्यायालय में भी पुलिसवालों के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज किया जाए पर यह अंतिम विकल्प होगा. एक टीम को वहां जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी लेना परमावश्यक है ताकि सच्चाई सामने आ सके.
                   मैंने इस कार्य के लिए गुप्ता जी को अपनी उपलब्धता बता दी है और शायद वे शीघ्र ही वहां जाने वाले हैं.
‘’ अगर हम मिट जायेंगे तो ये जहाँ मिट जाएगा,
  ये धरती मिट जायेगी और आसमां मिट जाएगा
   मगर जुल्म सहने वाले रहेंगे जिन्दा धरती पर
  और जुल्म ढानेवालों का नामोनिशां मिट जाएगा.’’
जयहिंद

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