Wednesday, 22 March 2017

ब्राहमणों की हठधर्मिता

😣ब्राहमणों की हठधर्मिता ने पूरे पूर्वी बंगाल (बंग्‍लादेश) को मुसलमान बना डाला 👌

 आज मैं आपको पूर्वी बंगाल अर्थात वर्तमान बंग्‍लादेश से हिन्दूओं के धर्मांतरित होने की जानकारी देता हूं।

बंगाल के एक प्रसिद्ध राजा हुए हैं जिनका नाम कालाचंद राय था। उनकी इस्‍लामी बर्बरता के लिए लोग उन्‍हें काला पहाड़ पुकारने लगे थे और इतिहास में वह इसी नाम से जाने जाते हैं। काला पहाड़ की बर्बरता का कारण घोर जातिवादी मानसिकता से भरे कुछ ब्राह्मणों की हठधर्मिता थी जिसका बदला उसने पूरे पूर्वी बंगाल को मुसलमान बनाकर लिया।

कालाचंद राय एक बंगाली ब्राहण युवक था। पूर्वी बंगाल के उस वक्‍त के मुस्लिम शासक की बेटी से उसे प्‍यार हो गया। बादशाह की बेटी ने उससे शादी की इच्‍छा जाहिर की। वह उससे इस कदर प्‍यार करती थी कि उसने इस्‍लाम छोड़कर हिंदू विधि से उससे शादी की इच्‍छा जाहिर की। ब्राहमणों को जब पता चला कि कालाचंद राय एक मुस्लिम राजकुमारी से शादी कर उसे हिंदू बनाना चाहता है तो ब्राहमण समाज ने इसका विरोध किया। उसने युवती के हिंदू धर्म में आने का न केवल विरोध किया बल्कि कालाचंद राय को ही जाति बहिष्‍कार की धमकी दे डाली। कालाचंद राय गुस्‍से से आग बबुला हो गया और उसने इस्‍लाम स्‍वीकारते हुए उस युवती से निकाह कर उसके पिता के सिंहासन का उत्‍तराधिकारी हो गया। राजा बनने से पूर्व ही उसने तलवार के बल पर ब्राहमणाों को मुसलमान बनाना शुरू किया। पूरे पूर्वी बंगाल में उसने इतना कत्‍लेआम मचाया कि लोग तलवार के डर से मुसलमान होते चले गए। इतिहास में इसका जिक्र है कि पूरे पूर्वी बंगाल को इस अकेले व्‍यक्ति ने तलवार के बल पर इस्‍लाम में धर्मांतरित कर दिया और यह केवल उन मूर्ख, जातिवादी, अहंकारी व हठधर्मी ब्राहमणों को सबक सिखाने के उददेश्‍य से किया गया था।

 पूर्वी बंगाल किसी सूफीवाद या अपनी स्‍वेच्‍छा से मुसलमान नहीं बना था बल्कि बदले में जलते एक युवक ने तलवार के जोर पर पूरी कौम को ही मुसलमान बना दिया था। स्‍वेच्‍छा से केवल काला पहाड ने इस्‍लाम अपनाया था। भारत विभाजन से पूर्व 1946 में पूर्वी बंगाल में डेढ करोड हिंदू थे, आज वे हिंदू कहां गए? 1946 में कौन से सूफीवाद की लहर चली थी कि डेढ करोड हिंदू पूर्वी बंगाल से गायब हो गए। जघन्‍य हत्‍या से या तो उनका नामोनिशान मिट गया या वे मुसलमान हो गये या कुछेक भाग कर भारत में आ गए। कहां गए वे हिंदू?

काला पहाड़ के संदर्भ में पुस्‍तकें :

1) संस्‍कृति के चार अध्‍याय:: रामधारी सिंह दिनकर।
2) पाकिस्‍तान का आदि और अंत:: बलराज मधोक।

सनातन धर्म को सबसे ज्यादा हानि ब्राहमणों द्वारा ही हुई हैं जो अपने आपको शुद्ध ओर उच्चकोटि के मानव गिनाते हैं लेकिन इनके कर्म जानवरों से भी गए गुजरे होते हैं।लौंडियाबाजी, मुफ्त की दारु, मांस- मछली खाने में सबसे आगे रहते हैं और मुल्लो की पिटाई के डर से ये खुद ही अपने मूत्रेन्द्रिय का शिरोछेद करके आत्म समर्पण कर देते हैं। कश्मीरी मुल्ले इसके सबसे बड़े सबूत हैं। और तो और जब कोई जबरन मुसलमान बनाया गया व्यक्ति हिन्दू धर्म में वापिस आना चाहता हैं तो ये सबसे बड़ी दीवार बनकर  रुकावट पैदा करते हैं।

ब्राहमणों की दलाल प्रवृत्ति के कारण हिन्दू धर्म का सबसे अधिक नुकसान हुआ है। कश्मीरी मुसलमानो को भी घर वापसी के लिए रोकने वाले ये "जय परशुराम" वाले ही थे। आज भी ब्राह्मणों की ये हठधर्मि गई नहीं है। पिछली साल पार्वती ख़ान बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आई थी और इन ब्राह्मणों ने उसे मंदिर मे यह कह कर नही घुसने दिया कि वे एक मुस्लिम से शादी करने के बाद अछूत हो गई है और उसके मंदिर मे घुसने से मंदिर अपवित्र हो जाएगा|
बदलिया जी
#बोल 85
#जय मूलनिवासी  

1 comment:

  1. शुद्र चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाये जाने के कारण ब्राह्मणों ने इसका विरोध किया था..
    https://www.youtube.com/watch?v=6b1voh8sTHU&feature=youtu.be

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