होलिका भली थी या बुरी यह तो मैं नहीं जानता।पर पढ़ लिखकर इतना जरूर समझा कि होली किसी स्त्री को जिन्दा जलाकर जश्न मनाने की सांकेतिक पुनरावृत्ति है ।मैंने विभिन्न प्रसंगों में यह सुना कि जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है, फिर होलिका के साथ प्रहलाद आग में न जले ऐसा सम्भव नहीं ।अभी तक मेरे मन में उठे इस प्रश्न का जवाब मैं नहीं पाया कि रात्रिकाल में क्यों किसी स्त्री को जलाया गया? अभी तक रात्रि में शवदाह की परम्परा हमारी संस्कृति में नहीं है ।होलिका का दोष क्या था ? होलिका को किसने जलाया? क्या होलिका को जलाने समय उसके परिजन वहाँ मौजूद थे ?
पहले मैं इस बारे में सोचा भी नहीं था । परंतु शिक्षा एक ऐसी रसायन है जो मन में तर्क करने की क्षमता का विकास कर देती है ।
अब मैं उस त्योहार के लिए आप सबको कैसे बधाई एवं शुभकामनाएँ दूँ जिस त्योहार में किसी स्त्री को जलाया गया हो।
जो होलिका दहन करता है क्या वह स्वयं अपने अंदर की बुराई को जला पाया है ? यदि नहीं तो उसे किसी दूसरे बुरे आदमी को जलाने का अधिकार किसने दिया?
माफ कीजिएगा मित्रों मैं इस स्त्री विरोधी त्योहार में आपको बधाई नहीं दे पाऊँगा।मेरे विचार से आप भी सहमत हों ? 🙏🙏HARENDRA RAJ🙏🙏
जिंदा जलती होलिका....
अग्नि कुण्ड में जला-जलाकर, राखों में ढकने वाले
सती प्रथा में महिलाओं को जलाये हैं ये मतवाले
ज़िंदा जलती चीख-चीख कर, खून की बहती धारें
जलती नारी देख पर इनके आँख में पड़े नहीं छाले
नारी का सम्मान न करते, जिन्दा उसे जलाते हैं
हत्याओं का जश्न मानकर, होली वही मनाते हैं
साल हज़ारों सदियाँ कितनी, खूनों में हैं डूब चुकी
आँखों से खूनों की धारा, नदियाँ बनकर सूख चुकी
नंगा बदन घुमाये कितने गाँव शहर चौराहों पर
सामूहिक दुष्कर्म करे टाँगे खम्भे ’औ’ पेड़ों पर
देवदासी बनाकर रात-दिन, रास रचाया करते हैं
धर्म नाम पर मंदिर के, कोठे में बिठाया करते हैं
सास बहू को कैद किये जो, घूंघट में अकुलाती हैं
भरे समाज बोले गर तो वे शर्मसार की जाती हैं
दीन-दलित की महिलायें, उनसे बेईज्जत की जाती हैं
अगर विरोध कर दें वे कुछ,तो नीलाम की जाती हैं
जन-मन का गीत गाकर,वो माँ का राग सुनाते हैं
जो बहू ठूस घर में अपने,आज़ाद नहीं कर पाते हैं
गाँव में दलित पिछड़ों के घर, होली में झोंके जाते हैं
फिर चारो ओर घूम-घूमकर, डण्डा और बचाते हैं
वे अपने घर से पाँच-पाँच, खण्डे के टुकड़े लाते हैं
डाल होलिका में उसे फिर फगुआ रास सुनाते हैं
दलित पिछड़ों के घर में घुस,बहुओं को रंग लगाते हैं
इसी बहाने वे छेड़छाड़ कर दुष्कर्म भी कर जाते हैं
छेड़-छाड़ आतंक मचाती, हर रंगों की टोली है
ऊपर से ये कहते यारों, बुरा न मानो होली है
रंग लगाते घर में घुस, सामान चुरा ले जाते हैं
पानी कीचड़ रंग अवीर, कपड़े फाड़ चिल्लाते हैं
दहेज न मिलने पर, बहुओं को जिंदा जलाते हैं
मार पीट जिंदा जला, होलिका सी हाल बनाते हैं
हत्याओं का पर्व छिपाने, रंग गुलाल उड़ाते हैं
याद खून की होली को, वे रंगों से भर जाते हैं
दारु गांजा चरस अफीम, भांग संस्कृति फैलाते हैं
नशाखोरी में फंसा समाज, दलदल में ले जाते हैं
समझौता करने वाले, इन रंगों में खो जाते हैं
इतिहास भूल होली का, पकवान बनाकर खाते हैं
Poet-
Bal Gangadhar Bagi-JNU
09718976402
मारवाड़ में हर होली खेली जाती है बहुजनो के खून से????
लगातार पिछले कुछ दशकों से जहाँ तक मुझे जानकारियां प्राप्त हुई है मारवाड़ अँचल में प्रतिवर्ष होली खेलने की परंपरा है लेकिन ये होली सामान्य नहीं है बल्कि बहुजनो क्र खून से खेली जाती है।
पुरे मारवाड़ में जातीय आतंक की कहानी कोई नयी नहीं है लेकिन पाली जिला इसमें लगातार सर्वोच्च स्थान बनाये हुए है।
पाली जिले में अनुसूचित जाति के लोग हर साल होली पर तथाकथित उच्च वर्ग के निशाने पर रहते है, पिछले वर्ष का घेनड़ी कांड की आग अभी तक ठंडी हुई नहीं की इस साल पुनः होली के मोके पर पिलोवानी गांव के मेघवाल समाज के लोगो के साथ राजपुरोहित समाज के सेकड़ो लोगो ने हमला कर दिया है जिसमे कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए है.
सवाल ये है कि क्या आप लोग कब तक हाथ पर हाथ धरे बैठे रहोगे???
घटना की जानकारी मिलते ही शेड्यूल्ड स्टूडेंट्स एन्ड युथ यूनियन (SSYU) के राज्य संयोजक दिनेश जोगावत तुरन्त घटना स्थल पर पहुँच चुके है एवं घायलों को अस्पताल पहुँचा कर आगामी कार्यवाही हेतु प्रयासरत है।
⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔
कमल अम्बेडकर
सुचना प्रभारी
शेड्यूल्ड स्टूडेंट्स एन्ड युथ यूनियन(SSYU)
क्या है होली, मूल निवासियों को क्या इसे मनाना चाहिए ?
फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन भारत में एक त्योंहार मनाया जाता है जिसे होली के नाम से पुकारा जाता है, इस अवसर पर लोग चंग बजाते हैं नाचते गाते हैं और रंग खेलते हैं एवं पहले दिन होलिका दहन किया जाता है एवं प्रहलाद के प्रतीक को बचा लिया जाता है।
इस त्योंहार को मनाने के पीछे कारण यह बताया जाता है कि भारत में सैकड़ो वर्षों पहले हिरणाकश्यप नाम का एक राक्षश राजा था जो कि राम का घोर विरोधी था वह अपने कानों से राम का नाम तक सुनना नहीं चाहता था, लेकिन उसका बेटा प्रहलाद राम का भक्त बन गया था जिससें वह बहुत नाराज हो गया और अपने बेटे प्रहलाद की हत्या करनी चाही एवं वह अपनी बहन होलीका से कहने लगा की जब आप अपनी चुनरी ओढ़ लेती हैं तो आपको आग जला नहीं सकती है इसलिये आप प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाओ आपको आग लगा देंगे जिससे आप तो बच जायेंगी व प्रहलाद जलकर खाक हो जायेगा।
अपने भाई राजा हिरणाकश्यप के कहने से होलिका अपनी चुनरी ओढ़कर अपने भतीजे प्रहलाद को पकड़ कर आग में बैठ गई,लेकिन आग लगते ही भगवान राम ने तेज गति से हवा चलादी जिससे होलिका की चुनरी उड़ गई हवा के झोंके से और होलिका आग में जल कर खाक हो गई जबकि प्रहलाद को भगवान राम ने आग से जिंदा बाहर निकाल लिया, तभी से लोग होलिका दहन की परम्परा निभाने लगे।
इस कहानी का दूसरा पहलू इस प्रकार है कि जिस हिरणाकश्यप को राक्षशों का राजा बताया गया वह हकीकत में हमारा पूर्वज था और मूल निवासियों की वीरता का एक उदाहरण था और आज भी है, वह एक ऐसा मूल निवासी राजा था कि उन्होंने विदेशी आर्यों के छक्के छुड़ा दिये थे ,हिरणाकश्यप राजा की सेना ने आर्यों की सेना को बहुत पीछे तक धकेल दिया था इसलिये आर्यों ने उनके नाबालिग बेटे प्रहलाद को बरगलाना शुरू कर दिया और नशे की आदत डाल दी गई, जब प्रहलाद पूरी तरह उनके काबू में आ गया तब प्रहलाद के द्वारा उसके ही पिता राजा हिरणाकश्यप की हत्या करवादी गयी और उनकी बहन होलिका जो एक राजकुमारी थी जिसे राजा हिरणाकश्यप बड़े ही लाड प्यार से रखते थे उसके साथ आर्यों ने बलात्कार किया और उसके बाद उसे जिंदा जला दिया।
वीर और पराक्रमी मूल निवासी राजा हिरणाकश्यप को विदेशी आर्य युद्ध के मैदान में तो हरा नहीं सके थे लेकिन छल कपट और धोखे से उन्हीं के बेटे प्रहलाद के हाथों उसकी हत्या करवादी गयी, उनकी प्यारी सी बहन का बलात्कार करने के बाद जिंदा जला दिया गया।
इतना घिनोना कृत्य करने के बाद विदेशी आर्यों ने जमकर खुशियाँ मनाई नाच गा कर एक दूसरे में रंग डालकर खुशी का इज़्हार किया गया।
एक पराक्रमी पूर्वज मूल निवासी राजा की हत्या करवादी गई, उनकी बहन के साथ बलात्कार किया गया व उसे जिंदा जला दिया गया
इतना सब अत्याचार एक मूल निवासी राजा के साथ किया गया और उनके वंशज आज तक हकीकत को समझ भी नहीं पाये और समझने की बजाय अभी भी खुशियां मना रहे हैं।
विदेशी आर्य लोग त्योंहार के माध्यम से जश्न मना कर यह संदेश देने का काम करते हैं कि यह त्योंहार नहीं बल्कि तुम्हारी हार है और तुम्हारी हार का हम लोग जश्न मना रहे हैं और तुम हमारा कुछ भी नहीं कर सकते हो क्योंकि इसे हमने धर्म के साथ जोड़ दिया है ।
सच्चाई जानने के बाद मूल निवासियों को होली मनानी चाहिये या नहीं ?
यह हर मूल निवासी की सोच पर निर्भर करता है ,सोच अपनी अपनी और निर्णय भी अपना अपना।
बाबा साहब अंबेडकर के सामाजिक क्रांति के आदर्श रहे महा मानव ज्योति राव फुले द्वारा लिखित पुस्तक गुलामगिरी हर मूल निवासी को होली के दिन अवश्य पढ़नी चाहिए।
बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि जिसे असूर, दैत्य, राक्षश,अछूत और हरिजन बताया गया है वे कोई अन्य नहीं बल्कि इस देश के मूल निवासी हैं।
सभी मूल निवासियों से अपील की जाती है कि
बाबा साहब को पढो आगे बडो👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍
#जय_भीम_नमो _बुद्धाय#👌👌
पहले मैं इस बारे में सोचा भी नहीं था । परंतु शिक्षा एक ऐसी रसायन है जो मन में तर्क करने की क्षमता का विकास कर देती है ।
अब मैं उस त्योहार के लिए आप सबको कैसे बधाई एवं शुभकामनाएँ दूँ जिस त्योहार में किसी स्त्री को जलाया गया हो।
जो होलिका दहन करता है क्या वह स्वयं अपने अंदर की बुराई को जला पाया है ? यदि नहीं तो उसे किसी दूसरे बुरे आदमी को जलाने का अधिकार किसने दिया?
माफ कीजिएगा मित्रों मैं इस स्त्री विरोधी त्योहार में आपको बधाई नहीं दे पाऊँगा।मेरे विचार से आप भी सहमत हों ? 🙏🙏HARENDRA RAJ🙏🙏
जिंदा जलती होलिका....
अग्नि कुण्ड में जला-जलाकर, राखों में ढकने वाले
सती प्रथा में महिलाओं को जलाये हैं ये मतवाले
ज़िंदा जलती चीख-चीख कर, खून की बहती धारें
जलती नारी देख पर इनके आँख में पड़े नहीं छाले
नारी का सम्मान न करते, जिन्दा उसे जलाते हैं
हत्याओं का जश्न मानकर, होली वही मनाते हैं
साल हज़ारों सदियाँ कितनी, खूनों में हैं डूब चुकी
आँखों से खूनों की धारा, नदियाँ बनकर सूख चुकी
नंगा बदन घुमाये कितने गाँव शहर चौराहों पर
सामूहिक दुष्कर्म करे टाँगे खम्भे ’औ’ पेड़ों पर
देवदासी बनाकर रात-दिन, रास रचाया करते हैं
धर्म नाम पर मंदिर के, कोठे में बिठाया करते हैं
सास बहू को कैद किये जो, घूंघट में अकुलाती हैं
भरे समाज बोले गर तो वे शर्मसार की जाती हैं
दीन-दलित की महिलायें, उनसे बेईज्जत की जाती हैं
अगर विरोध कर दें वे कुछ,तो नीलाम की जाती हैं
जन-मन का गीत गाकर,वो माँ का राग सुनाते हैं
जो बहू ठूस घर में अपने,आज़ाद नहीं कर पाते हैं
गाँव में दलित पिछड़ों के घर, होली में झोंके जाते हैं
फिर चारो ओर घूम-घूमकर, डण्डा और बचाते हैं
वे अपने घर से पाँच-पाँच, खण्डे के टुकड़े लाते हैं
डाल होलिका में उसे फिर फगुआ रास सुनाते हैं
दलित पिछड़ों के घर में घुस,बहुओं को रंग लगाते हैं
इसी बहाने वे छेड़छाड़ कर दुष्कर्म भी कर जाते हैं
छेड़-छाड़ आतंक मचाती, हर रंगों की टोली है
ऊपर से ये कहते यारों, बुरा न मानो होली है
रंग लगाते घर में घुस, सामान चुरा ले जाते हैं
पानी कीचड़ रंग अवीर, कपड़े फाड़ चिल्लाते हैं
दहेज न मिलने पर, बहुओं को जिंदा जलाते हैं
मार पीट जिंदा जला, होलिका सी हाल बनाते हैं
हत्याओं का पर्व छिपाने, रंग गुलाल उड़ाते हैं
याद खून की होली को, वे रंगों से भर जाते हैं
दारु गांजा चरस अफीम, भांग संस्कृति फैलाते हैं
नशाखोरी में फंसा समाज, दलदल में ले जाते हैं
समझौता करने वाले, इन रंगों में खो जाते हैं
इतिहास भूल होली का, पकवान बनाकर खाते हैं
Poet-
Bal Gangadhar Bagi-JNU
09718976402
मारवाड़ में हर होली खेली जाती है बहुजनो के खून से????
लगातार पिछले कुछ दशकों से जहाँ तक मुझे जानकारियां प्राप्त हुई है मारवाड़ अँचल में प्रतिवर्ष होली खेलने की परंपरा है लेकिन ये होली सामान्य नहीं है बल्कि बहुजनो क्र खून से खेली जाती है।
पुरे मारवाड़ में जातीय आतंक की कहानी कोई नयी नहीं है लेकिन पाली जिला इसमें लगातार सर्वोच्च स्थान बनाये हुए है।
पाली जिले में अनुसूचित जाति के लोग हर साल होली पर तथाकथित उच्च वर्ग के निशाने पर रहते है, पिछले वर्ष का घेनड़ी कांड की आग अभी तक ठंडी हुई नहीं की इस साल पुनः होली के मोके पर पिलोवानी गांव के मेघवाल समाज के लोगो के साथ राजपुरोहित समाज के सेकड़ो लोगो ने हमला कर दिया है जिसमे कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए है.
सवाल ये है कि क्या आप लोग कब तक हाथ पर हाथ धरे बैठे रहोगे???
घटना की जानकारी मिलते ही शेड्यूल्ड स्टूडेंट्स एन्ड युथ यूनियन (SSYU) के राज्य संयोजक दिनेश जोगावत तुरन्त घटना स्थल पर पहुँच चुके है एवं घायलों को अस्पताल पहुँचा कर आगामी कार्यवाही हेतु प्रयासरत है।
⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔
कमल अम्बेडकर
सुचना प्रभारी
शेड्यूल्ड स्टूडेंट्स एन्ड युथ यूनियन(SSYU)
क्या है होली, मूल निवासियों को क्या इसे मनाना चाहिए ?
फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन भारत में एक त्योंहार मनाया जाता है जिसे होली के नाम से पुकारा जाता है, इस अवसर पर लोग चंग बजाते हैं नाचते गाते हैं और रंग खेलते हैं एवं पहले दिन होलिका दहन किया जाता है एवं प्रहलाद के प्रतीक को बचा लिया जाता है।
इस त्योंहार को मनाने के पीछे कारण यह बताया जाता है कि भारत में सैकड़ो वर्षों पहले हिरणाकश्यप नाम का एक राक्षश राजा था जो कि राम का घोर विरोधी था वह अपने कानों से राम का नाम तक सुनना नहीं चाहता था, लेकिन उसका बेटा प्रहलाद राम का भक्त बन गया था जिससें वह बहुत नाराज हो गया और अपने बेटे प्रहलाद की हत्या करनी चाही एवं वह अपनी बहन होलीका से कहने लगा की जब आप अपनी चुनरी ओढ़ लेती हैं तो आपको आग जला नहीं सकती है इसलिये आप प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाओ आपको आग लगा देंगे जिससे आप तो बच जायेंगी व प्रहलाद जलकर खाक हो जायेगा।
अपने भाई राजा हिरणाकश्यप के कहने से होलिका अपनी चुनरी ओढ़कर अपने भतीजे प्रहलाद को पकड़ कर आग में बैठ गई,लेकिन आग लगते ही भगवान राम ने तेज गति से हवा चलादी जिससे होलिका की चुनरी उड़ गई हवा के झोंके से और होलिका आग में जल कर खाक हो गई जबकि प्रहलाद को भगवान राम ने आग से जिंदा बाहर निकाल लिया, तभी से लोग होलिका दहन की परम्परा निभाने लगे।
इस कहानी का दूसरा पहलू इस प्रकार है कि जिस हिरणाकश्यप को राक्षशों का राजा बताया गया वह हकीकत में हमारा पूर्वज था और मूल निवासियों की वीरता का एक उदाहरण था और आज भी है, वह एक ऐसा मूल निवासी राजा था कि उन्होंने विदेशी आर्यों के छक्के छुड़ा दिये थे ,हिरणाकश्यप राजा की सेना ने आर्यों की सेना को बहुत पीछे तक धकेल दिया था इसलिये आर्यों ने उनके नाबालिग बेटे प्रहलाद को बरगलाना शुरू कर दिया और नशे की आदत डाल दी गई, जब प्रहलाद पूरी तरह उनके काबू में आ गया तब प्रहलाद के द्वारा उसके ही पिता राजा हिरणाकश्यप की हत्या करवादी गयी और उनकी बहन होलिका जो एक राजकुमारी थी जिसे राजा हिरणाकश्यप बड़े ही लाड प्यार से रखते थे उसके साथ आर्यों ने बलात्कार किया और उसके बाद उसे जिंदा जला दिया।
वीर और पराक्रमी मूल निवासी राजा हिरणाकश्यप को विदेशी आर्य युद्ध के मैदान में तो हरा नहीं सके थे लेकिन छल कपट और धोखे से उन्हीं के बेटे प्रहलाद के हाथों उसकी हत्या करवादी गयी, उनकी प्यारी सी बहन का बलात्कार करने के बाद जिंदा जला दिया गया।
इतना घिनोना कृत्य करने के बाद विदेशी आर्यों ने जमकर खुशियाँ मनाई नाच गा कर एक दूसरे में रंग डालकर खुशी का इज़्हार किया गया।
एक पराक्रमी पूर्वज मूल निवासी राजा की हत्या करवादी गई, उनकी बहन के साथ बलात्कार किया गया व उसे जिंदा जला दिया गया
इतना सब अत्याचार एक मूल निवासी राजा के साथ किया गया और उनके वंशज आज तक हकीकत को समझ भी नहीं पाये और समझने की बजाय अभी भी खुशियां मना रहे हैं।
विदेशी आर्य लोग त्योंहार के माध्यम से जश्न मना कर यह संदेश देने का काम करते हैं कि यह त्योंहार नहीं बल्कि तुम्हारी हार है और तुम्हारी हार का हम लोग जश्न मना रहे हैं और तुम हमारा कुछ भी नहीं कर सकते हो क्योंकि इसे हमने धर्म के साथ जोड़ दिया है ।
सच्चाई जानने के बाद मूल निवासियों को होली मनानी चाहिये या नहीं ?
यह हर मूल निवासी की सोच पर निर्भर करता है ,सोच अपनी अपनी और निर्णय भी अपना अपना।
बाबा साहब अंबेडकर के सामाजिक क्रांति के आदर्श रहे महा मानव ज्योति राव फुले द्वारा लिखित पुस्तक गुलामगिरी हर मूल निवासी को होली के दिन अवश्य पढ़नी चाहिए।
बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि जिसे असूर, दैत्य, राक्षश,अछूत और हरिजन बताया गया है वे कोई अन्य नहीं बल्कि इस देश के मूल निवासी हैं।
सभी मूल निवासियों से अपील की जाती है कि
बाबा साहब को पढो आगे बडो👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍
#जय_भीम_नमो _बुद्धाय#👌👌
Dhanyawad Kuch to ethihas ki jankari mile Bilkul Satya h jo bhagwan per besbas karta h Sayad uske ley jhoot ho per me nahi manta ki es Duniya me bhagwan h
ReplyDeleteTum nai mante bhagwan hai. mgr hai kyuki aatma hai to parmatma bhi hoga. Jese maanlo ki desh me garib hai to amir bhi hai. desh ko chlane wale neta police fir big pradhan mantri bhi hai, janwaaro me bhi aisa hota hai unka raja hota hai, jab nature ke har hisse me ye cheeze hai. to aatma hai to usse upper bhi super aatma bhi hogi jise tum bhgwan keh skte ho. aab tum kaho ki me to atma ko bhi nai maanta to tum bewkoof ho. thoda adhyatm aur vigyaan pado
DeleteDhanyawad Kuch to ethihas ki jankari mile Bilkul Satya h jo bhagwan per besbas karta h Sayad uske ley jhoot ho per me nahi manta ki es Duniya me bhagwan h
ReplyDeleteहोलिका दहन नारी के प्रति क्रूरता और नारी के अपमान का प्रतीक है।
ReplyDeleteइतिहास गवाह है नारी द्वारा अनेक असंभव किए गए हैं, जो पुरुषों के लिए मुमकिन नहीं था।
उनके है याद में नारी सम्मान दिवस आयोजित किया जाना चाहिए था।
अतः यह परम्परा दुष्टों व पाखंडियों द्वारा शुरू किया षड्यंत्र का नमूना है
Great bahot acha lga aaj holi k din ese such ka pta chala i dnt believe but ye to bahut bura events hai kisi nari ko jinda jala dena Koi khushi nhi hai me holi kbhi nhi manaugaa...... Jay bhim
ReplyDeleteSir apne thik bataya
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