सभी सम्मानित साथियों को जय मूलनिवासी। सम्मानित साथियों आइये आज हम लोग ब्राह्मणवादियों द्वारा कहे गए वाक्य " गर्व से कहो , हम हिन्दू हैं " के पीछे छिपे हुए ब्राह्मणवादियों की साजिश को समझनें का प्रयास करते हैं।
सम्मानित साथियों इस विषय को समझनें के लिए हम लोगों को अपनें इतिहास को खंगालना पड़ेगा। सम्मानित साथियों " हिन्दू " शब्द फारसी भाषा का शब्द है। जब मुगलों नें भारत देश पर कब्जा कर लिया, तो भारत देश के मूलनिवासियों को अलग से पहचाननें के लिए इनके लिए " हिन्दू " शब्द का प्रयोग किया। जिसका अर्थ होता है, कालचोर, काफिर आदि। मुगल शासक नें भारत के हिंदुओं के ऊपर " जजिया " कर लगाया, तो आर्यों / ब्राह्मणवादियों / मनुवादियों नें " जजिया " कर देनें से मना करते हुए , मुगलों से कहा कि आप मुगल विदेशी हो और हम लोग आर्य विदेशी हैं, तो एक विदेशी, दूसरे विदेशी से कैसे कर ले सकता है। आपको कर लेना है , तो भारत के मूलनिवासियों से कर लीजिए। अर्थात आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग अपनें को हिन्दुओं से अलग विदेशी मानते थे।
साथियों राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले साहब नें जब 1872 - 1873 में " सत्यशोधक समाज " की स्थापना की तो प्रतिक्रिया स्वरूप दयानन्द सरस्वती नामक ब्राह्मण नें 1875 में " आर्य समाज " की स्थापना किया, क्योंकि तब तक ब्राह्मणवादी लोग अपनें को हिन्दू नहीं मानते थे, अपनें को आर्य मानते थे, अगर अपनें को हिन्दू मानते होते तो, " आर्य समाज " के स्थान पर " हिन्दू समाज " की स्थापना करते।
आखिर आर्यों की ऐसी कौन सी मजबूरी हो गई जो ये लोग कहनें लगे कि गर्व से कहो, हम हिन्दू हैं ?
आइये इस साजिश का पर्दाफाश करते हैं। साथियों 1917 के आस - पास इंग्लैंड में मताधिकार के लिए आंदोलन चल रहता। इसी समय बाबा साहब भीमराव आंबेडकर, भाष्कर राव जाधव एवं मोहम्मद अली जिन्ना साहब भारत के मूलनिवासियों के प्रतिनिधित्व के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे थे। साथियों उस समय इंग्लैण्ड में मताधिकार का प्रयोग वही कर सकता था , जो या तो ग्रेजुएट हो या टैक्स पे करता हो। इसी मुद्दे का विरोध बाबा साहब एवं उनके साथियों नें इंग्लैंड सरकार से करते हुए कहा कि अगर ये व्यवस्था भारत देश में लागू की जायेगी , तो भारत के मूलनिवासियों की बहुत बड़ी आबादी मताधिकार से वंचित हो जायेगी। क्योंकि आर्यों / मनुवादियों / ब्राह्मणवादियों नें 5000 वर्षों से भारत के मूलनिवासी समाज / बहुजन समाज को शिक्षा एवं सम्पत्ति के अधिकार से वंचित कर रक्खा है। अतः भारत देश में जो व्यक्ति 21 वर्ष की आयु पूरी करता है, उसको एक मत देनें का अधिकार दिया जाय, चाहे वह शिक्षित हो या न हो, टैक्स देता हो या न देता हो। क्योंकि 21 वर्ष की आयु तक व्यक्ति के अंदर अपनें अच्छे - बुरे की समझ आ जाती है।
साथियों आर्यों / मनुवादियों / ब्राह्मणवादियों के अंदर भय पैदा हो गया कि अगर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर एवं उनके साथियों की माँग अंग्रेजी हुकूमत मान लेगी तो, हम 15% लोग अल्पसंख्यक हो जायेंगे और भारत का 85% बहुजन / मूलनिवासी समाज के लोग बहुमत में हो जायेंगे। जब भी मतदान होगा, बहुमत में होनें के कारण बहुजन / मूलनिवासी समाज ही भारत का शासक होगा। इसको ध्यान में रखते हुए जो आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग अपनें को हिन्दू न मानकर आर्य विदेशी मानते थे, 1922 में " हिन्दू महासभा " का गठन करके अपनें आपको हिन्दू कहलाना शुरू कर दिया, ऐसा करनें से अल्पसंख्यक आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी अपनें को बहुसंख्यक में बदलकर भारत देश का शासक बननें की साजिश किया हुआ है। आगे चलकर 1925 में " आरएसएस " नामक मनुवादी / ब्राह्मणवादी संगठन का निर्माण किया। साथियों यूरेशियन आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग जब ओबीसी, एससी, एसटी के मुहल्लों में जाते हैं तभी जोर - जोर से बोलते हैं कि गर्व से कहो हम हिन्दू हैं, जैसे ही अपनें मुहल्लों में पहुँचते हैं, हिन्दू को छोड़कर, ब्राह्मणी / सनातनी धर्म के हो जाते हैं।
साथियों जो आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग अल्पसंख्यक होनें के कारण ग्राम सभा का सदस्य भी नहीं बन सकता है, वही 15% आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग हिंदू का चोला पहनकर भारत के लोकतंत्र के चारों पिलरों, विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं मिडिया पर अनियंत्रित कब्जा करके 85% बहुजन / मूलनिवासी समाज के ऊपर शासन कर रहा है, अर्थात 15% अल्पसंख्यक लोग 85% बहुसंख्यक के ऊपर राज कर रहा है।
जागो बहुजनों / मूलनिवासियों जागो। यूरेशियन आर्यों / मनुवादियों / ब्राह्मणवादियों की साजिशों को जानों। मूलनिवासी जागेगा , ब्राह्मण विदेशी भागेगा। बोल 85 जय मूलनिवासी। ब्राह्मण विदेशी। डॉ. श्रीकान्त ( कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, इम्पा उत्तर प्रदेश ) 🙏💐💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽
सम्मानित साथियों इस विषय को समझनें के लिए हम लोगों को अपनें इतिहास को खंगालना पड़ेगा। सम्मानित साथियों " हिन्दू " शब्द फारसी भाषा का शब्द है। जब मुगलों नें भारत देश पर कब्जा कर लिया, तो भारत देश के मूलनिवासियों को अलग से पहचाननें के लिए इनके लिए " हिन्दू " शब्द का प्रयोग किया। जिसका अर्थ होता है, कालचोर, काफिर आदि। मुगल शासक नें भारत के हिंदुओं के ऊपर " जजिया " कर लगाया, तो आर्यों / ब्राह्मणवादियों / मनुवादियों नें " जजिया " कर देनें से मना करते हुए , मुगलों से कहा कि आप मुगल विदेशी हो और हम लोग आर्य विदेशी हैं, तो एक विदेशी, दूसरे विदेशी से कैसे कर ले सकता है। आपको कर लेना है , तो भारत के मूलनिवासियों से कर लीजिए। अर्थात आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग अपनें को हिन्दुओं से अलग विदेशी मानते थे।
साथियों राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले साहब नें जब 1872 - 1873 में " सत्यशोधक समाज " की स्थापना की तो प्रतिक्रिया स्वरूप दयानन्द सरस्वती नामक ब्राह्मण नें 1875 में " आर्य समाज " की स्थापना किया, क्योंकि तब तक ब्राह्मणवादी लोग अपनें को हिन्दू नहीं मानते थे, अपनें को आर्य मानते थे, अगर अपनें को हिन्दू मानते होते तो, " आर्य समाज " के स्थान पर " हिन्दू समाज " की स्थापना करते।
आखिर आर्यों की ऐसी कौन सी मजबूरी हो गई जो ये लोग कहनें लगे कि गर्व से कहो, हम हिन्दू हैं ?
आइये इस साजिश का पर्दाफाश करते हैं। साथियों 1917 के आस - पास इंग्लैंड में मताधिकार के लिए आंदोलन चल रहता। इसी समय बाबा साहब भीमराव आंबेडकर, भाष्कर राव जाधव एवं मोहम्मद अली जिन्ना साहब भारत के मूलनिवासियों के प्रतिनिधित्व के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे थे। साथियों उस समय इंग्लैण्ड में मताधिकार का प्रयोग वही कर सकता था , जो या तो ग्रेजुएट हो या टैक्स पे करता हो। इसी मुद्दे का विरोध बाबा साहब एवं उनके साथियों नें इंग्लैंड सरकार से करते हुए कहा कि अगर ये व्यवस्था भारत देश में लागू की जायेगी , तो भारत के मूलनिवासियों की बहुत बड़ी आबादी मताधिकार से वंचित हो जायेगी। क्योंकि आर्यों / मनुवादियों / ब्राह्मणवादियों नें 5000 वर्षों से भारत के मूलनिवासी समाज / बहुजन समाज को शिक्षा एवं सम्पत्ति के अधिकार से वंचित कर रक्खा है। अतः भारत देश में जो व्यक्ति 21 वर्ष की आयु पूरी करता है, उसको एक मत देनें का अधिकार दिया जाय, चाहे वह शिक्षित हो या न हो, टैक्स देता हो या न देता हो। क्योंकि 21 वर्ष की आयु तक व्यक्ति के अंदर अपनें अच्छे - बुरे की समझ आ जाती है।
साथियों आर्यों / मनुवादियों / ब्राह्मणवादियों के अंदर भय पैदा हो गया कि अगर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर एवं उनके साथियों की माँग अंग्रेजी हुकूमत मान लेगी तो, हम 15% लोग अल्पसंख्यक हो जायेंगे और भारत का 85% बहुजन / मूलनिवासी समाज के लोग बहुमत में हो जायेंगे। जब भी मतदान होगा, बहुमत में होनें के कारण बहुजन / मूलनिवासी समाज ही भारत का शासक होगा। इसको ध्यान में रखते हुए जो आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग अपनें को हिन्दू न मानकर आर्य विदेशी मानते थे, 1922 में " हिन्दू महासभा " का गठन करके अपनें आपको हिन्दू कहलाना शुरू कर दिया, ऐसा करनें से अल्पसंख्यक आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी अपनें को बहुसंख्यक में बदलकर भारत देश का शासक बननें की साजिश किया हुआ है। आगे चलकर 1925 में " आरएसएस " नामक मनुवादी / ब्राह्मणवादी संगठन का निर्माण किया। साथियों यूरेशियन आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग जब ओबीसी, एससी, एसटी के मुहल्लों में जाते हैं तभी जोर - जोर से बोलते हैं कि गर्व से कहो हम हिन्दू हैं, जैसे ही अपनें मुहल्लों में पहुँचते हैं, हिन्दू को छोड़कर, ब्राह्मणी / सनातनी धर्म के हो जाते हैं।
साथियों जो आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग अल्पसंख्यक होनें के कारण ग्राम सभा का सदस्य भी नहीं बन सकता है, वही 15% आर्य / मनुवादी / ब्राह्मणवादी लोग हिंदू का चोला पहनकर भारत के लोकतंत्र के चारों पिलरों, विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं मिडिया पर अनियंत्रित कब्जा करके 85% बहुजन / मूलनिवासी समाज के ऊपर शासन कर रहा है, अर्थात 15% अल्पसंख्यक लोग 85% बहुसंख्यक के ऊपर राज कर रहा है।
जागो बहुजनों / मूलनिवासियों जागो। यूरेशियन आर्यों / मनुवादियों / ब्राह्मणवादियों की साजिशों को जानों। मूलनिवासी जागेगा , ब्राह्मण विदेशी भागेगा। बोल 85 जय मूलनिवासी। ब्राह्मण विदेशी। डॉ. श्रीकान्त ( कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, इम्पा उत्तर प्रदेश ) 🙏💐💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽💪🏽
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