Tuesday, 14 March 2017

सत्ता और संस्कृति

सत्ता और संस्कृति

1.संस्कृति  सत्ता को दीर्घकालिक बनाने का आधार है .
2. सत्ता बदलते रहता है किंतु संस्कृति  में स्थायित्व होता है .
3.संस्कृति  का काम समाजिक गंदगी की  सफाई करना है .
4. संस्कृति  वैचारिक  रूप से व्यक्ती और स्मष्टी को जोड़ती  है .
5. संस्कृति  सोच को परिमार्जित करती है .
6. संस्कृति में बंधुत्व भावना पैदा करने की  बडी शक्ती होती है .
7. संस्कृति  संगठन को मजबूत करती है .
8. मजबूत संगठन जनमत का निर्माण करती है .
9.जनमत सत्ता तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करता है .
10.संस्कृति  के बिना दीर्घकालिक सत्ता हासिल करना कठीन है .
11.संस्कृति को नजरअंदाज कर सत्ता हासिल करना कठीन है .
12. श्रमण सत्ता के लिये श्रमण संस्कृति को बेखौफ हो कर युद्ध स्तर पर प्रसारित करने की हिम्मत और हौसला पैदा करने की ज़रूरत है .
13. सत्ता की रणनिती संस्कृति की धारातल पर तयार होनी चाहिये . संस्कृति  की विस्मृती पतन का करण होता है
14. दुनियां की बडी बडी बादशाहियत संस्कृति की बुनियाद पर ही चली है .
डा0 विजय कुमार त्रिशारण


उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनावी परिणाम ने सबको हिलाकर रख दिया है क्योंकि इस तरह के चुनाव के परिणाम की तो किसी को भी आशा नहीं थी, लेकिन फिर भी इस तरह का रिजल्ट हमारे सामने आया है।

लेकिन आज किस तरह से विकसित देशों ने इन ईवीएम मशीनों को कूड़ेदान में फेंककर अपने लोकतंत्र को बचाया है।

दुनिया में सबसे ज्यादा विकसित देश जापान और अमेरिका को माना जाता है लेकिन इस बात को जानकार आपको हैरानी होगी कि, वहां पर वोटिंग सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक मशीनों से नहीं बल्कि बैलट पेपर से ही चुनाव किये जाते है।
लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि, सिर्फ गरीब और विकासशील देशों में ही इन मशीनों का प्रयोग किया जाता है।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव परिणाम को लेकर बसपासुप्रीमो मायावत ने भी इस पर इल्जाम लगाया है कि, बीजेपी ने खुलकर इसके साथ कोई गड़बड़ी की है जिसके कारण ही इस तरह के परिणाम हमारे सामने आ रहे है। यह बात तो जगजाहिर हो चुकी है कि, ईवीएम मशीनों से लोकतंत्र की हत्या होती है।इसलिए ही तो विकसित देशों ने अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए बैलट पेपर को ही इस्तेमाल करते है ताकि वह स्वतंत्र तरीके से अपने उम्मीदवार को वोट दे सके। लेकिन हमने अगर अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए अगर आवाज नहीं उठाई तो नेता लोग हमारे देश का अपनी रोटियां सेंकने के लिए इस तरह से ही हमारा इस्तेमाल करते रहेंगे और हमारा देश विकासशील देश से कभी भी विकसित देश नहीं बन पायेगा।

हालाँकि, भारत दुनिया का बढ़ता हुआ लोकतांत्रिक देश है लेकिनयहाँ पर इस तरह से ईवीएम मशीनों का हमारे देश को खतरे में डाल देगा और विकसित देश हम पर काबिज हो जायेंगे और फिर हम कुछ नहीं कर पाएंगे।
इसलिए अभी भी वक़्त है कि, जब भी अगली बार चुनाव हो तब हमें यह आवाज उठानी है कि, इस बार इस देश में बैलट पेपर से वोटिंग की जाये ताकि, हम स्वतंत्र रहकर वोट कर सके। क्योंकि इस बार मायावती के अनुसार पूरी तरह से ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की आशंका जताई गई है और इससे हमारे लोकतंत्र की हत्या हुई है जिसके कारण देश की भोली भाली जनता के साथ धोखे का मामला पेश आया है।   

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