Tuesday 14 March 2017

दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव स्कैम भारत में

दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव स्कैम भारत में - CIA की गुप्त रिपोर्ट
BJP बहुत बड़े-बड़े घपले करने में माहिर हैं। चुनावों में Rigging के मास्टरमाइंड है अमित शाह। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 2017 के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट से यह साबित हो गया है। पिछले 4 साल में इन्होंने चुनाव  में चार घपले किए जो इस प्रकार से हैं। इसमें तीन घपले सफल हो गए और एक असफल हो गया।

1- पहला घपला लोकसभा के 2014 के चुनाव में इन्होंने यूपी में ही किया। उन्होंने यूपी की ईवीएम मशीनों को हैक कर दिया जिससे जो भी वोट BSP को पड़े वे बीजेपी के खाते में चले गए। केवल 7 जगह उन्होंने छोड़ दी जिससे सोनिया, राहुल व मुलायम का खानदान कुछ सीटें जीत सके और लोगों को शक भी ना हो। बीजेपी ने खुद 73 सीटें जीत ली। बस इसी ने उनको केंद्र में बहुमत दिलवा दिया।

2- दूसरा घपला इन्होंने दिल्ली में विधानसभा के चुनाव में 2014 में किया। पर यह फेल हो गया। जानना चाहेंगे- EVM की सेटिंग ठीक से हो गई थी परंतु लिस्ट के क्रम में गलती होने से मामला उलट-पुलट हो गया। EVM की सेटिंग में बीजेपी को 67 सीटें, कांग्रेस को 3 सीटें और "आप" को जीरो सीटें मिलनी थी। लेकिन EVM  मशीन (वोटिंग मशीन) में लिस्ट में BJP की जगह आप, और कांग्रेस की जगह BJP के कंडीडेटस् का नाम आ गया। जिससे जो सीटें BJP को मिलनी थी, वे "आप" को मिल गई और जो सीटें कांग्रेस को मिलनी थी, वे बीजेपी को मिल गई यानी कि तीन सीटे। "आप" को जीरो सीटें मिली थी जोकि कांग्रेस को मिल गई। दिल्ली के चुनाव में केजरीवाल की पहली सरकार के कार्य को देखते हुए, ये नामुमकिन था। इसलिए मुख्यमंत्री केजरीवाल को खुद भी विश्वास नहीं हुआ जब उनको 67 सीट मिल गयी।

3- दिल्ली की इस गलती से अमित शाह ने सीख ली। अगले चुनाव में उन्होंने केवल आसाम के चुनाव में ही Rigging करवायी। जहाँ 35 पर्सेंट मुसलमान हो वहां BJP का एब्सोल्यूट मेजोरिटी में आ जाना एक आश्चर्य से कम नहीं है। लेकिन नॉर्थ ईस्ट का प्रदेश होने के कारण किसी ने उसको ज्यादा तवज्जो नहीं दी। विपक्षी पार्टियां खुश थी कि बाकी प्रदेशों में बीजेपी को खास सफलता नहीं मिली।

4- चौथा सबसे बड़ा घपला अमित शाह ने उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड प्रदेश में करवाया। जिस उत्तर प्रदेश में अधिकारी लोग BSP के आने की आशंका से ही हाथी और अंबेडकर पार्क की सफाई करने लगे हो, वहां का रिजल्ट ऐसा उलट नहीं हो सकता। उत्तराखंड में वहां का मजबूत जनाधार वाला मुख्यमंत्री हार जाए इस पर कौन विश्वास कर सकता है। लोगों को शक ना हो इसलिए रातोंरात Exit Poll के रिजल्ट बदलवाये गये। घपले को polarisation का नाम दे दो तो लोग चुप हो जाते हैं।

5- अमित शाह ने ही इसी तरह का एक्सपेरिमेंट करके तीन बार नरेंद्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनवाया। यह एक्सपेरिमेंट सफल होने के बाद इसका प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर किया गया।
जिस मशीन पर अमेरिका जैसे विकसित देश को भी विश्वास नहीं है, उससे भारत में चुनाव कराना लोकतंत्र से खिलवाड़ करना है और फासीवादी ताकतों को मजबूत करना है। 


इसे 2010 में जी.वी.ऐल. नरसिम्हा राव ने लिखा था। टाइटिल है "democracy at risk: can we trust our electronic voting machines?"

ये किताब भारत के नागरिकों को समर्पित की गयी। लिखा है कि भारत के नागरिक एक पूर्ण पारदर्शीत और वेरीफाई इलेक्ट्रोल सिस्टम डिज़र्व करते हैं।

इस किताब का प्रस्तावना लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखा। वे लिखते हैं कि "EVM का मुद्दा डिस्कस किया जाना चाहिए चाहिए। दुनिया के विकसित देशों में से एक जर्मनी EVM को पूरी तरह से बैन कर चुका है। अमेरिका के कई राज्यों ने बिना पेपर के EVM को बैन कर दिया है। वहां पर Voter Verified Physical Audit Trial (VVPAT) लागु किया गया है जिसका अर्थ है कि EVM के साथ पेपर बैलट भी होगा। पेपर बैलट को भी गिना जायेगा जिससे EVM में किसी मल्टीफंक्शनिंग या मिसचीफ को दूर किया जा सके। मैं सोचता हूँ कि अगर भारत का निर्वाचन आयोग भी ऐसा प्रावधान लाता है तो भारत में लोकतंत्र मजबूत होगा."

एक सन्देश चन्द्र बाबू नायडू के द्वारा लिखा गया। उन्होंने भी कहा है कि जब दुनिया में तकनीक के क्षेत्र में एडवांस देश जर्मनी, आयरलैंड, नीदरलैंड, यू एस ए EVM को बैन कर चुके हैं तो भारत को भी बैन करना चाहिए।

दूसरा सन्देश स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डेविड एल डिल के द्वारा लिखा गया। इन्होंने भी कई महत्वपूर्ण बातें लिखी है।

इसके अलावा सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सुप्रीम कोर्ट में EVM के उपयोग को लेकर याचिका दायर की थी।

इतना करने के बाद भी अगर बीजेपी चुप हो गयी यह बहुत ही भयंकर संदेह पैदा करता है।

इससे भी भयानक यह बात है कि इतना बवाल होने के बावजूद भी मीडिया चुप क्यों था व क्यों चुप है?
Harish Parihar

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