Wednesday 22 March 2017

मनुस्मृति:- हिंदुओं के शोषण के जाल है

मनुस्मृति जैसा शास्त्र हर होली पर जलाया जाना चाहिए-ओशो
रावण को क्यों जलाते हो.. ? बुद्ध ने कहा कोई ब्रह्मा नहीं है, हिंदुओं के शोषण के जाल है ये शास्त्र- ओशो
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07:48 मिनट ओशो वीडियो👇
        यह आकस्मिक नहीं है कि तुम्हारे तथाकथित महात्मा और संत जितने अहंकारी होते हैं उतना कोई और नहीं।

राजनेताओं को भी मात दे देते हैं, सम्राटों को भी मात दे देते हैं। तुम्हारे तथाकथित ब्राह्मण, पंडित जितने अहंकारी होते हैं उतना कोई और नहीं।

यह देश तो अच्छी तरह परिचित है।

         पांच हजार साल हो गये, इस देश पर ब्राह्मण अपने अहंकार के कारण छाती पर चढ़ा हुआ है। और ब्राह्मण ने शास्त्र रचे हैं, उसके अहंकार से निकले शास्त्र हैं।

          *मनुस्मृति जैसा शास्त्र लिखा है, जिसको हर होली पर जलाया जाना चाहिए। रावण को जलाकर क्या करोगे?
पुतला बनाओ और जलाओ! अपना ही पुतला बनाते हो और जलाते हो, नाहक मेहनत कर रहे हो!*

            अब रावण को जलाना बंद करो। रावण की जगह मनुस्मृति जलाओ, क्योंकि मनुस्मृति ब्राह्मण के अहंकार की उदघोषणा है, हिंदू के अहंकार की उदघोषणा है। हिंदू की सारी मूढ़ता मनुस्मृति पर आधारित है।

          मनुस्मृति कहती है कि ब्राह्मण सर्वोच्च है। ब्राह्मण मुख से पैदा हुआ। क्षत्रिय बाहुओं से पैदा हुए। वैश्य जंघाओं से पैदा हुए।

         शूद्र पैरों से पैदा हुए। इसलिए शूद्रों की वही गति है जो जूतियों की। इससे ज्यादा उनकी कोई हैसियत नहीं है।और वैश्य भी कुछ ऊंचा नहीं, क्योंकि नाभि के नीचे का जो शरीर है वह निम्न है।इसलिए वैश्य शूद्र से जरा ही ऊंचा है,
          ख्याल रखना इस भ्रांति में मत पड़ना कि वैश्य कुछ ऊंचा है। मनुस्मृति की उदघोषणा के अनुसार वैश्य भी बस।शूद्र से इंच भर ही बड़ा है, जंघाओं से पैदा होता है।

        शरीर को भी बांट दिया हिस्सों में। जो अविभाज्य है उसको भी विभाजित कर दिया। जो जो अंग कमर के नीचे हैं वे निम्न हैं और जो कमर के ऊपर हैं वे उच्च। क्षत्रिय बाहुओं से पैदा हुए। वे जरा ऊंचे वैश्यों से।

         मगर ब्राह्मण मुख से पैदा हुए--ब्रह्मा के मुख से पैदा हुए। वैश्य चाहे तो शूद्र की लड़की से विवाह कर सकता है,
शूद्र नहीं कर सकता। क्षत्रिय चाहे तो वैश्य और शूद्र की लड़की से विवाह कर सकता है, लेकिन वैश्य क्षत्रिय की लड़की से विवाह नहीं कर सकता। और ब्राह्मण चाहे तो किसी की लड़की से विवाह करे, ब्राह्मण की लड़की से कोई विवाह नहीं कर सकता।

        सौ शूद्र भी मार डालो तो कोई पाप नहीं और अगर एक ब्राह्मण को भी मार डालो तो जन्मों जन्मों  तक नर्कों में सड़ोगे।ब्राह्मण ही लिखेंगे शास्त्र तो स्वभावतः अपने अहंकार  की प्रतिष्ठा करेंगे, अपने अहंकार को बचाएंगे।
और बुद्ध ने कहा कि ब्राह्मण कोई जन्म से नहीं होता, न कहीं कोई ब्रह्मा है जिसके मुंह से ब्राह्मण पैदा हुए।यह सब ब्राह्मणों की ईजाद, ये सब पंडित पुरोहित की चालबाजियां, ये बेईमानियां, ये शोषण के ढंग। शूद्र को वेद सुनने का भी अधिकार नहीं। एक शूद्र के कान में राम तक ने सीसा पिघलवा कर डलवा दिया, क्योंकि यह खबर दी गयी उनको कि उस शूद्र ने किसी ब्राह्मण के द्वारा वेद पढ़ा जा रहा था उसको छुप कर सुन लिया है।और राम को तुम मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हो,संकोच भी नहीं, शर्म भी नहीं! तो फिर अब जो शूद्र जलाए  जाते हैं गांवों में, वह सब धार्मिक कृत्य है! राम तक कर सकते हैं, तो साधारण जनों का क्या कहना!

           स्त्रियों को कोई अधिकार नहीं। स्त्रियों को कोई मनुष्य होने का हक नहीं। स्त्रियां वस्तुएं जैसी हैं। स्त्री को तो पति के साथ मर जाना चाहिए, सती हो जाना चाहिए। यही उसका एक मात्र उपयोग है--पति के लिए जीए, पति के लिए मरे।' पुरुषों ने शास्त्र लिखे तो पुरुषों ने अपने अहंकार की रक्षा कर ली।

          स्त्री के अहंकार को बचाने वाला तो कोई शास्त्र नहीं। महात्माओं ने शास्त्र लिखे तो अपने अहंकार की  व्यवस्था कर ली उन्होंने कि महात्माओं की सेवा करो, इसमें पुण्य है। महात्माओं के पैर दबाओ, इसमें पुण्य है। इससे स्वर्ग मिलेगा।

         बुद्ध ने इस सब की जड़ काट दी। कहा: ब्राह्मण होता है कोई ब्रह्म को जानने से। और ब्रह्म है तुम्हारा स्वभाव। और स्वभाव का पता तब चलता है जब मैं बिलकुल मिट जाता है। आत्मा को भी मत अपने पकड़ कर रखना, नहीं तो उतने में भी अहंकार बच रहेगा।

       बुद्ध को हम क्षमा नहीं कर पाए,  क्योंकि बुद्ध  ने बाहर  के ईश्वर को भी इनकार कर दिया और भीतर की आत्मा को भी इनकार कर दिया। अहंकार को कहीं भी बचने की कोई जगह न दी, कोई शरण न दी। अहंकार को जिस तरह से बुद्ध ने काटा, पृथ्वी पर  किसी व्यक्ति ने कभी नहीं काटा था।

         इसलिए बुद्ध की जो अनुकंपा है वह बेजोड़ है,उसका कोई जवाब नहीं बुद्ध बस अपने उदाहरण स्वयं हैं।लेकिन हमने उखाड़ फेंका बुद्ध को इस देश से। यह धार्मिक देश है! धार्मिक नहीं है, अहंकारी है।
इसलिए उखाड़ फेंका बुद्ध को, क्योंकि बुद्ध ने हमारे अहंकार पर ऐसी चोटें कीं कि हम कैसे बर्दाश्त करते। हमने बदला लिया।
      अहंकार का अर्थ है: मैं अलग हूं अस्तित्व से। अस्तित्व से माया है, मैं सत्य हूं! यह वृक्ष, ये पशु-पक्षी, ये आकाश, ये चांद तारे--ये माया हैं, मैं सत्य हूं और मजा यह है कि ये सब सत्य हैं और मैं माया है। लेकिन मैं को माया कहने में हमारे प्राण छटपटाते हैं। हालांकि इस मैं के कारण ही हम दुख झेलते हैं। हमारी मूढ़ता बड़ी सघन है! हम यह भी नहीं देखते कि हमारे दुख का कारण क्या है।
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ओशो पुस्तक: "ज्यूँ मछली बिन नीर"
2.3MB
07:48 मिनट ओशो वीडियो यूट्यूब लिंक👇

https://youtu.be/v970wdZ2O5Q

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1) 🤑🌶🍒 निम्बू-मिर्च खाने के लिये है.. कही टाँगने के लिए नहीं है....

2) 😱🐈 बिल्लियाँ जंगली या पालतू जानवर है, बिल्ली के रास्ता काटने से कुछ गलत नहीं होता.. बल्कि चूहों से होनेवाले नुक्सान को बचाया जा सकता है.....
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3) 🗣💨 छींकना एक नैसर्गिक क्रिया है , छींकने से कुछ अनहोनी नहीं होती ना हि किसी काम में बाधा आती है- छींकने से शरीर की सुप्त पेशियां सक्रीय हो जाती है...

4) 💀🌳 भूत पेड़ों पर नहीं रहते - पेड़ों पर पक्षीरहते है.....

5) 🔬🔭 चमत्कार जैसी कोई चीज नहीं होती - हर घटना के पिछे वैज्ञानिक कारण होता है.....

6) ⛄☃ भोपा, बाबा जैसे लोग झुठे होते है- जिन्हें शारारिक मेहनत नहीं करनी ये वही लोग है.....

7) ⛈🌪👺🔥 जादू टोणा, या किसी ने कराया ऐसा कुछ नहीं होता, ये दुर्बल लोगोंके मानसिक विकार है....
जादू-टोणा करके आपके ग्रहो की दिशा बदलने वाले बाबा, हवा और मेघों की दिशा बदलकर बारिश नहीं ला सकते...?⛈☁🌒💫

8 ) 🌏🐠 वास्तुशास्त्र भ्रामक है. सिर्फ दिशाओ का डर दिखाकर लूट...
वास्तविक तो पृथ्वी ही खुद हर क्षण अपनी दिशा बदलती है....  अगर कुबेर जी उत्तर दिशा में है तो एक ही स्थान या दिशा में अमीर और गरीब दोनों क्यों पाये जाते है?..... .

9) 👼🐓🐐🍇🍎 मन्नत,पूजा, बलि, टिप या चढ़ावे से भगवान प्रसन्न होकर फल देते है, तो क्या भगवान् रिश्वतखोर है?.....    आध्यात्म मोक्ष के लिए है, धन कमाने के लिए नहीं.....

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