Thursday, 2 March 2017

हिन्दू बनाम हिन्दू

डॉ. राममनोहर लोहिया अपनी
किताब, "हिन्दू बनाम हिन्दू" में लिखते हैं:-
"मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि ब्रिटिश अंग्रेजों के समय का गुलामी काल, शूद्रो-अतिशूद्रों के लिये वरदान साबित हुआ है। हम प्राचीन काल की चाहे जितनी भी डींग हांक लें, लेकिन अगर ब्रिटिश अँग्रेजों का सम्पर्क न हुआ होता, तो हम बहुत पिछड़े रहते। भारतीय इतिहास के पांच हजार सालों में एक भी विद्वान शूद्रों-अतिशूद्रों में न हो सका, जबकि अँग्रेजों के लगभग 200 साल के गुलामी काल मे डॉ. अम्बेडकर, मेघनाथ साहा, राधा विनोद पाल, सुरेन्द्र नाथ शील और अन्य कितने ही नाम जिन्हें मैं नहीं जानता, शूद्रों-अतिशूद्रों ने पैदा किये हैं। यदि 1857 का विद्रोह सफल हो जाता तो निश्चय ही शूद्रों-अतिशूद्रों को सामाजिक उत्थान के इतने अवसर न मिलते, जितने की 1857 के बाद अंग्रेजों की गुलामी काल में मिले हैं। यह अंग्रेजों की गुलामी का ही काल था, जब एक ब्राह्मण चपरासी बना तथा चमार एक कलक्टर। इसलिये इस देश का मूल शासक (ब्राह्मण) ये खूब जानता है कि "अगर अंग्रेज 20- 30 साल और रह गये होते तो देश का शूद्र फ़िर से देश का मूल शासक बन गया होता।"
विचार कीजिये 🙏

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